ईरान के हक में
ईरान और दुनिया की छह बड़ी ताकतों के बीच हुए परमाणु करार को लागू करने का काम रफ्तार पकड़ने लगा है। इतवार को अमेरिकी सदर बराक ओबामा ने करारनामे की शर्तों के मुताबिक ईरान के खिलाफ जारी पाबंदियों को...
ईरान और दुनिया की छह बड़ी ताकतों के बीच हुए परमाणु करार को लागू करने का काम रफ्तार पकड़ने लगा है। इतवार को अमेरिकी सदर बराक ओबामा ने करारनामे की शर्तों के मुताबिक ईरान के खिलाफ जारी पाबंदियों को उठाने का हुक्म दिया। ओबामा का यह हुक्म परमाणु रजामंदी को यूएन सिक्युरिटी कौंसिल की मंजूरी के 90 दिनों बाद आया है। गौरतलब है कि इस साल जुलाई में वियना में इस करारनामे पर दस्तखत हुए थे। सदर ओबामा का यह कदम समझौते के अमल की राह में एक मील का पत्थर तो है ही, तेहरान और पश्चिम के रिश्तों को सामान्य बनाने के लिहाज से भी काफी अहम है। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने अपने बयान में कहा भी है कि 'हम सबके लिए यह एक खास दिन है और यह सुनिश्चित करने की दिशा में पहला संजीदा कदम भी कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पुरअमन मकसद के लिए होगा।' अब जब परमाणु करार एक हकीकत है, तो इस क्षेत्र और इससे जुड़े तमाम मुल्कों को आने वाले दिनों की योजना बनानी चाहिए। जैसे ही पूरी तरह से पाबंदियां हटाई जाएंगी, ईरान दुनिया के देशों के साथ अपना कारोबार शुरू कर देगा। इसकी इकोनॉमी में जबर्दस्त उछाल आने की उम्मीद है और तमाम तरह के कारोबारों में भी काफी तरक्की होगी, जिनमें हवाई उड़ान और एनर्जी सेक्टर शामिल हैं। जाहिर है, पश्चिमी कंपनियां, जो कि नए मौकों की तलाश में हैं, तेहरान की ओर दौड़ेंगी। कारोबारी और माली रिश्तों में बेहतरी का असर यकीनन सियासी और कूटनीतिक संबंधों पर भी होगा। इसके अलावा, पश्चिमी बैंकों में जब्त ईरान के खातों को फिर से बहाल किए जाने पर उनमें जमा अरबों की रकम भी ईरान को अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में काम आएगी। खाड़ी के इलाके में इस करार के भू-राजनीतिक असर को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं, जिसे कई वजीरों और अफसरों ने अपनी आवाज भी दी है। और भरोसे लबरेज ईरान अरब दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश जरूर करेगा। इसी आशंका के मद्देनजर सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कल कहा कि 'उम्मीद है, ईरान पड़ोसी मुल्कों के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी नहीं करेगा।'
द पेनिन्सुला, कतर