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जरूरी नहीं परमाणु ऊर्जा

पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ ने गुरुवार को कराची न्यूक्लियर पावर प्लांट में के-2 पावर प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी। इस मौके को पाकिस्तान-चीन भाईचारा के तौर पर देखा गया और पूरी घटना 'तारीखी' बताई गई।...

जरूरी नहीं परमाणु ऊर्जा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 21 Aug 2015 09:04 PM
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पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ ने गुरुवार को कराची न्यूक्लियर पावर प्लांट में के-2 पावर प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी। इस मौके को पाकिस्तान-चीन भाईचारा के तौर पर देखा गया और पूरी घटना 'तारीखी' बताई गई। चीनी हुकूमत की मदद पर हमें ऐतराज नहीं, मगर यह सवाल खुद से है कि क्या हमें कराची की चिंताओं की लिस्ट लंबी करनी चाहिए? हम यह जानते हैं कि न्यूक्लियर पावर प्लांट अपने को ठंडा रखने और भाप बनाने के लिए बहुत ज्यादा पानी खर्च करता है, उसके बाद टरबाइन चलता है, जिससे बिजली पैदा होती है। अगर इसके लिए रोजाना हजारों गैलन पानी न लाया जाए, तो यह बिजली पैदावार का सस्ता और आसान तरीका है। मगर पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है, जहां सेहत व हिफाजत के कायदे-कानून तभी अमल में आते हैं, जब विदेशी निवेशक इसकी मुख्तारी करे। यह सब जानते हुए बेहद अफसोसनाक है कि वैसी जगह चुनी गई, जहां सघन आबादी है और न्यूक्लियर रेडिएशन का खतरा सबसे ज्यादा है। वैसे, न्यूक्लियर एनर्जी को सबसे साफ-सुथरा बताया जाता है, आबोहवा पर इसका बुरा असर कम से कम होता है।

मगर यूरेनियम-खनन और उसकी सफाई पर साफ-सुथरी कवायद की मुहर नहीं लग सकती। असल में, परमाणु ईंधन को लाना और ले जाना प्रदूषण से जुड़े खतरों को न्योता देना है। यही नहीं, जब एक बार ईंधन इस्तेमाल में आ जाए, तब उसके साथ कचरे जैसा बर्ताव नहीं हो सकता, क्योंकि यह रेडियोएक्टिव व नुकसानदेह होता है। इस्तेमाल में लाए गए परमाणु ईंधन को निष्क्रिय करने में कई सौ साल लग जाते हैं। के-2 मुल्क में सबसे बड़ा पावर प्लांट होगा। इससे 1,100 मेगावाट बिजली पैदा होगी। जब तरबला जैसे पनबिजलीघर की क्षमता 4,900 मेगावाट की है और वह ज्यादा महफूज है, तब क्यों करोड़ों डॉलर खर्च करके तमाम खतरों को न्योता दिया जा रहा है? कुदरत ने पाकिस्तान को ढेर सारे संसाधन दिए हैं। यहां पांच नदियां हैं, मानसूनी बारिश है। ये सैलाब बनकर बर्बादी लाती हैं। अगर इनका सही इस्तेमाल हो, तो हमें न्यूक्लियर एनर्जी की ओर देखना भी न पड़े।
द नेशन, पाकिस्तान

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