तारीखी फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सूबे के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर के कातिल मुमताज कादरी की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने कादरी को मौत की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उसने शीर्ष अदालत में...
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सूबे के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर के कातिल मुमताज कादरी की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने कादरी को मौत की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। कादरी के वकीलों ने इस दावे के साथ आला अदालत में गुहार लगाई थी कि यह मामला कत्ल का नहीं, बल्कि उकसाने भर का है। अलबत्ता, सुप्रीम कोर्ट का यह तारीखी फैसला बताता है कि मजहबी कट्टरपंथियों के खिलाफ पाकिस्तान का रुख नाटकीय तौर से सख्त हुआ है; और आखिरकार पिछले पांच सालों से अपनी सजा से बच रहा यह शख्स अपने किए का अंजाम भुगतेगा। 4 जनवरी, 2011 को मुमताज कादरी ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अहम मेंबर तासीर का कत्ल किया था, और रावलपिंडी की अदालत ने दो बार उसे फांसी की सजा सुनाई। कादरी के वकीलों ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में बहस करते हुए यह दलील पेश की थी कि 'एक ईशनिंदक को सजा देना तो मजहबी फर्ज है।' हाईकोर्ट में कादरी की सुनवाई के समय भारी भीड़ उसकी हिमायत में उतर पड़ी थी। कादरी के बचाव में मुल्क के आलातरीन वकील उतर आए थे, जिनमें से दो पुराने जज थे। मगर तीन मुख्य न्यायाधीशों ने इस दलील को नकार दिया कि कादरी को कानून अपने हाथ में लेने का हक था या ईशनिंदा कानून की महज आलोचना इस्लाम की तौहीन हो गई।
इस मुकदमे की सबसे अहम बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कादरी को दहशतगर्दी के जुडे़ कानून के तहत दी गई सजा को पलट दिया गया था। इससे यह मामला एक साधारण मुकदमा हो जाता। बहरहाल, इस फैसले के नतीजतन मुल्क के सियासी रहनुमाओं और इंसानी हुकूक के पैरोकारों को एक मौका मिला है कि वे ईशनिंदा कानून में सुधार की मांग को और जोरदार तरीके से उठाएं। अगर सदर-ए-पाकिस्तान मुमताज कादरी की रहम की अर्जी ठुकरा देते हैं, तो एंटी-टेेरोरिज्म ऐक्ट के तहत एक जालिम को लटकाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
द नेशन, पाकिस्तान