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7.8 तीव्रता के भूकंप से हिला जापान, दिल्ली-एनसीआर में भी लगे झटके

जापान के तटीय इलाकों में शनिवार को 7.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया जिससे राजधानी तोक्यो में इमारते हिल गयीं और कारों के अलार्म बजने लगे। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता काफी अधिक होने के बावजूद...

7.8 तीव्रता के भूकंप से हिला जापान, दिल्ली-एनसीआर में भी लगे झटके
एजेंसीSun, 31 May 2015 11:04 AM
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जापान के तटीय इलाकों में शनिवार को 7.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया जिससे राजधानी तोक्यो में इमारते हिल गयीं और कारों के अलार्म बजने लगे। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता काफी अधिक होने के बावजूद सुनामी का कोई खतरा नहीं है। प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र ने यह जानकारी दी है।

भूकंप का यह झटका जापान के अलावा भारत में दिल्ली और एनसीआर में भी महसूस किया गया।
 
स्थानीय समयानुसार रात्रि करीब साढ़े आठ बजे के करीब आए भूकंप से रिहायशी इलाकों में इमारतें हिलने लगीं। एएफपी के एक संवाददाता ने यह जानकारी दी। भूकंप के कारण किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं है।
 
भूकंप का केंद्र धरती की सतह से 676 किलोमीटर नीचे स्थित था। यह तोक्यो के दक्षिण में करीब 870 किलोमीटर दूर प्रशांत महासागर में एक दूरवर्ती इलाके में केंद्रित था। अमेरिकी भूगर्भ विज्ञान सर्वेक्षण ने यह जानकारी दी है।
 
भूकंप के केंद्र के करीब बसे इलाकों में से एक चिचिजिमा में पारंपरिक गेस्ट हाउस चलाने वाले योशियुकी सासामोतो ने बताया कि मकान काफी जोरदार तरीके से हिले।

उन्होंने बताया कि शुरुआत में हल्का भूकंप आया और यह रुक गया। उसके बाद शक्तिशाली भूकंप आया। यह इतना अधिक भीषण था कि मैं सीधे खड़ा नहीं रह सका और चल भी नहीं सका।

तोक्यो के प्रमुख नरीता हवाई अड्डे के दोनों रनवे अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं और जांच पड़ताल की जा रही है। तोक्यो में ट्रेनों को भी अस्थायी रूप से रोक दिया गया है और शहर में एक फुटबाल मैच भी कुछ समय के लिए टाल दिया गया है।
 
क्षेत्र के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में से किसी में भी किसी प्रकार की गड़बड़ी की कोई खबर नहीं है। जापान में मार्च 2011 में समुद्र के नीचे आए भीषण भूकंप से देश के उत्तर पूर्वी तट पर सुनामी आ गई थी।

इस सुनामी ने हजारों लोगों की जान लेने के साथ ही शहरों को तबाह कर दिया था और सुनामी की लहरों ने फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कूलिंग सिस्टम को भी प्रभावित किया था जिससे तीन रिएक्टर ठप पड़ गए थे।
 
चेनार्बिल के बाद दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु त्रासदी माने जाने वाली इस घटना में लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बड़ा भूभाग कई दशकों के लिए बंजर हो गया था।

जापान चार टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन स्थल पर टिका है और हर साल विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली भूकंपों में से करीब 20 फीसदी भूकंप जापान में आते हैं।
 
कल जापान के दक्षिणी हिस्से में एक ज्वालामुखी फट गया था जिसने आसमान में धुएं और धूल के विशाल गुबार पैदा कर दिए थे और प्रशासन को इस द्वीप से लोगों को बाहर निकालना पड़ा था।

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