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सार्क सम्मेलन में मोदी-शरीफ ने एक-दूसरे से कुशलक्षेम भी नहीं पूछी

दक्षेस सम्मेलन में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने एक दूसरे से कुशल क्षेम भी नहीं पूछी और न ही एक दूसरे की तरफ...

सार्क सम्मेलन में मोदी-शरीफ ने एक-दूसरे से कुशलक्षेम भी नहीं पूछी
Wed, 26 Nov 2014 07:15 PM
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दक्षेस सम्मेलन में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने एक दूसरे से कुशल क्षेम भी नहीं पूछी और न ही एक दूसरे की तरफ देखा।

मुंबई हमले की छठी बरसी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दक्षेस नेताओं से कहा कि भारत को जान गवांने वालों के प्रति अपार पीड़ा है। उन्होंने आठ देशों के समूह से एक होकर आतंकवाद से मुकाबला करने का आग्रह किया। मोदी ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुंबई हमले का जिक्र किया। मुंबई पर हमले में 166 लोगों की जान गयी थी।

प्रधानमंत्री ने दक्षेस के अपने पहले संबोधन में तीन से पांच साल के लिए कारोबारी वीजा तथा चिकित्सा उपचार के लिए भारत जाने वाले मरीजों और उनके एक सहायक के लिए तुरंत चिकित्सा वीजा की घोषणा की। मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित दक्षेस नेताओं से मुखातिब होते हुए कहा कि आज, हम 2008 में मुंबई में आतंकी हमले की दहशत को याद कर रहे हैं। जान गंवाने वालों के प्रति हमें अपार पीड़ा है। आतंकवाद और अंतर-देशीय अपराधों से मुकाबले के संकल्प को पूरा करने के लिए हमें साथ मिलकर काम करना चाहिए।

भारत और पाकिस्तान के अलावा, दक्षेस देशों में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और अफगानिस्तान है। मोदी ने कहा कि बढ़िया पड़ोसी की दुनिया में सबको आकांक्षा है। उन्होंने कहा कि अगर हम एक दूसरे की सुरक्षा और अपने लोगों की जिंदगी के प्रति संवेदनशील हैं तो हमें अपने क्षेत्र में दोस्ती प्रगाढ़ करना होगा, सहयोग बढ़ाने होंगे और स्थिरता लानी होगी। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया लोकतंत्र का फलता फूलता क्षेत्र है, समृद्ध विरासत है, युवाओं की बेमिसाल क्षमता है और बदलाव तथा प्रगति की जबरदस्त आंकाक्षा है। उन्होंने कहा कि मैं जिस भारत के भविष्य का सपना देखता हूं उसकी इच्छा समूचे क्षेत्र के लिए करता हूं।

प्रधानमंत्री ने मई में अपने शपथ ग्रहण समारोह में दक्षेस नेताओं की शिरकत की तारीफ करते हुए कहा, मैंने पूरी दुनिया की शुभकामनाओं के साथ पद संभाला। लेकिन, जिसने मुझे प्रभावित किया, प्रिय साथियों, वह आपकी निजी उपस्थिति थी। विदेशी दौरे के अनुभवों को साझा करते हुए मोदी ने कहा, प्रशांत के मध्य से अटलांटिक महासागर के दक्षिणी तट तक, मैंने अखंडता की उठती लहरों को देखा।

सीमाओं को प्रगति की राह में अड़चन बताते हुए मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय भागीदारी विकास की रफ्तार को गति देती है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में तुरंत समन्वित प्रयासों की जितनी जरूरत है दुनिया में किसी भी जगह नहीं। और जगह इतना उदार नहीं है। बड़ी और छोटी, हम समान चुनौतियों का सामना करते हैं - विकास के शिखर सम्मेलन के लिए लंबी चढ़ाई।

मोदी ने कहा कि लेकिन मुझे हमारी असीम क्षमताओं में बड़ा भरोसा और विश्वास है-यह भरोसा हमारे अपने देशों में नवोन्मेष और नयी पहल की विभिन्न प्रेरक कहानियों से आता है। उन्होंने कहा कि यद्यपि दक्षेस 30 साल पहले गठित हुआ था, लेकिन जब हम दक्षेस की बात करते हैं तो हम आम तौर पर निराशावादी और संशयवादी दो तरह की प्रतिक्रियाएं सुनने को मिलती है।

प्रधानमंत्री ने दक्षेस नेताओं से कहा कि हमें निराशावाद को आशावाद में बदलने के लिए काम करना चाहिए। हमें दक्षिण एशिया को शांति एवं संपन्नता के समद्ध क्षेत्र में परिवर्तित करने की उम्मीद को कुसुमित करने के लिए काम करना चाहिए। मोदी ने अफसोस जताया कि दक्षेस देशों के बीच का आपसी व्यापार इस क्षेत्र के वैश्विक व्यापार का पांच प्रतिशत से भी कम है। उन्होंने कहा कि अभी आपस में जो व्यापार हो रहा है उसका 10 प्रतिशत से कम दक्षेस मुक्त व्यापार क्षेत्र व्यवस्था के अंतर्गत होता है। मोदी ने उल्लेख किया कि भारतीय कंपनियां विदेशों में अरबों का निवेश कर रही हैं, लेकिन क्षेत्र के देशों में उनका देश एक प्रतिशत से भी कम है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकाक या सिंगापुर के मुकाबले हमारे क्षेत्र में यात्रा करना अब भी कठिन है, और, एक-दूसरे से बात करना अधिक खर्चीला है। उन्होंने पूछा कि हमने अपनी प्राकतिक संपदा को साक्षा संपत्ति में बदलने या अपनी सीमाओं को साझा भविष्य में तब्दील करने हेतु मोर्चा बनाने के लिए दक्षेस में क्या किया है।

मोदी ने कहा कि भारत ने पांच दक्षिण एशियाई देशों के 99.7 प्रतिशत माल को भारत में शुल्क मुक्त प्रवेश की सुविधा दे रखी है और उनकी सरकार ऐसे और भी कदम उठाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के देशों के लिए एक दशक में करीब आठ अरब डॉलर की सहायता उपलब्ध कराना भारत का सौभाग्य रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आधारभूत ढांचा हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी कमजोरी है और यह सबसे बड़ी अत्यावश्यक भी है। जब मैंने सड़क मार्ग से काठमांडो आने के बारे में सोचा तो इससे भारत में कई अधिकारी घबरा गए। (यह घबराहट) सीमा पर सड़कों की हालत की वजह से थी। उन्होंने कहा कि आधारभूत ढांचा भारत में मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

मोदी ने कहा कि हमारे इस क्षेत्र में अवसंरचना परियोजनाओं को वित्तीय मदद देने के लिए मैं भारत में एक विशेष प्रयोजनीय सुविधा स्थापित करना चाहता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम भारत में व्यवसाय को आसान करने की बात करते हैं। हमें अपने इस पूरे क्षेत्र में इसका विस्तारित करने की आवश्यकता है। मैं वायदा करता हूं कि सीमाओं पर हमारी सुविधाओं से व्यापार में तेजी सुनिश्चित की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि भारत अब दक्षेस के लिए 3-5 वर्ष के लिए व्यवसाय वीजा देगा। प्रधानमंत्री ने दक्षेस व्यवसाय यात्री कार्ड के जरिए इसे व्यवसायियों के आवागामन को आसान बनाने का प्रस्ताव किया। यह उल्लेख करते हुए कि भारत का दक्षेस देशों के साथ विशाल व्यापार अधिशेष है, उन्होंने कहा कि यह न तो ठीक और न ही दीर्घकाल तक चलने वाला है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम आपकी चिंताओं का समाधान करेंगे और आपको भारत में बराबर का मौका देंगे। लेकिन, मैं आपको भारतीय बाजार हेतु उत्पादन करने के लिए और आपके युवाओं के लिए नौकरियां पैदा करने के वास्ते भारतीय निवेश आकर्षित करने को प्रोत्साहित करता हूं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी साक्षा विरासत और विविधता की शक्ति का उपयोग अपने क्षेत्र के अंदर पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए करना चाहिए और दक्षिण एशिया को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। हम बौद्ध सर्किंट के पर्याटन से इसकी शुरुआत कर सकते हैं लेकिन हमें केवल इसी पर रुकना नहीं है।

मोदी ने कहा कि टीबी और एचआईवी के लिए दक्षेस क्षेत्रीय वहद संदर्भ प्रयोगशाला की स्थापना के लिए कोष की कमी को पूरा करेगा। पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम दक्षिण एशिया के बच्चों के लिए एक में ही पांच तरह के टीको वाली वैक्सीन की पेशकश करते हैं। हम पोलियो मुक्त देशों की निगरानी और सर्वेक्षण में सहायता करेंगे और यदि कहीं पोलियो फिर से प्रकट हुआ तो वहां के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि और, चिकित्सा उपचार के लिए आने वाले रोगियों और उसके एक तीमारदार के लिए मेडिकल वीजा उपलब्ध कराएगा। उन्होंने दक्षेस क्षेत्र के लिए एक उपग्रह प्रक्षेपित करने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि इससे हम सभी को शिक्षा, टेलीमेडिसिन, आपदा प्रबंध, संसाधन प्रबंधन, मौसम भविष्वाणी और संचार में लाभ मिलेगा।

आतंकवाद के खिलाफ ठोस प्रयासों का आहवान

मुंबई हमले की छठी बरसी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद और अंतरदेशीय अपराधों से निपटने के लिए ठोस प्रयासों का आहवान किया। 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के दौरान अधिकतर दक्षेस नेताओं द्वारा आतंकवाद और अंतरदेशीय अपराधों को एक बड़ी चुनौती बताया गया। मुंबई आतंकी हमलों के 166 मतकों और सैंकड़ों घायलों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हम गंवाई जा चुकी जिंदगियों की अनंत पीड़ा महसूस करते हैं। आइए आतंकवाद और अंतरदेशीय अपराधों से निपटने के लिए हमने जो संकल्प किए उन्हें पूरा करने के लिए हम सब मिलकर काम करें।

शिखर सम्मेलन में अपने लगभग 30 मिनट के संबोधन में मोदी ने अफगानिस्तान और श्रीलंका के राष्ट्रपतियों के इन विचारों का समर्थन किया कि आतंकवाद का खतरा क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की मूलभूत चुनौती है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कहा कि मई 2009 में श्रीलंका में आतंकी समूहों को निष्क्रिय करने से क्षेत्र का माहौल व्यापक स्तर पर बदल गया।

राजपक्षे ने कहा कि आतंकवाद अभी भी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सुरक्षा की मूलभूत चुनौती बना हुआ है। श्रीलंका उदासीन नहीं रह सकता। उन्होंने यह भी कहा कि इस खतरे से निपटने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कुछ लोगों के चरमपंथी विचार और कुछ अन्य का भटका हुआ एजेंडा क्षेत्र में रहने वाले अमन पसंद लोगों के वहद बहुमत की सुरक्षा और कल्याण को कमजोर न करे।

हाल में एक वॉलीबॉल मैच के दौरान किए गए एक आत्मघाती हमले का संदर्भ देते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अहमदजई ने उन देशों की कड़ी निंदा की, जो आतंकवादियों को शरणस्थल उपलब्ध करवाते हैं। इस हमले में उनके देश के 50 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे।

अफगान नेता ने कहा, सरकारों के विघटन या विफलता के परिणाम अनियंत्रित स्थानों के रूप में सामने आते हैं, जो कि समान उदेश्य के लिए संबंध बनाने हेतु आतंकी संगठनों को पनपने के लिए जमीन उपलब्ध करवाते हैं। यह संबंध उस समय घातक बन जाता है जब सरकारें इन राज्येतर तत्वों को अंगीकार कर लेती हैं और उन्हें प्रायोजित करती हैं, उन्हें संसाधन और शरणस्थलियां उपलब्ध करवाती हैं और उनका इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में परोक्ष युद्ध के रूप में करती हैं।

आतंकवाद पर रोकथाम के लिए एकीकृत प्रयास की जरूरत पर जोर देते हुए अहमदजई ने सभी दक्षेस नेताओं से इस समस्या को खत्म करने के लिए गंभीरता से काम करने की अपील की और भरोसा दिलाया कि अफगानिस्तान अपने किसी भी पड़ाेसी देश के खिलाफ अपनी जमीन का इसतेमाल नही होने देगा। हम किसी को भी अपनी जमीन से छद्म युद्ध करने की मंजूरी नहीं देंगे।

भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भी आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की मांग की। हालांकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने विवादों से मुक्त दक्षिण एशिया के बारे में बात की जहां आपस में लड़ने की बजाए देश गरीबी और दूसरे सामाजिक समस्याओं से लड़ें लेकिन उनके करीब 15 मिनट के भाषण में आतंकवाद का कोई जिक्र नहीं था।

मोदी ने दक्षेस क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य, विज्ञान, वीजा नीति और संपर्क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कई पहलों को रेखांकित किया और सामूहिक प्रयासों से दक्षिण एशिया को शांति एवं खुशहाली की एक समद्ध जमीं में बदलने की उम्मीद को बढ़ावा देने का आहवान किया और कहा कि दुनिया में इनकी सबसे ज्यादा जरूरत दक्षिण एशिया में है।

 

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