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राखी में भद्रा लगेगी इस बार

इस साल रक्षाबंधन पर्व में राखी दोपहर बाद क्यों बांधी जाएगी? नूतन सिन्हा, आरा, बिहार इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार 29 अगस्त (शनिवार) को है, लेकिन भाइयों को राखी बांधने के लिए बहनों को दोपहर 1.51 बजे...

राखी में भद्रा लगेगी इस बार
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Aug 2015 06:37 PM
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इस साल रक्षाबंधन पर्व में राखी दोपहर बाद क्यों बांधी जाएगी?
नूतन सिन्हा, आरा, बिहार

इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार 29 अगस्त (शनिवार) को है, लेकिन भाइयों को राखी बांधने के लिए बहनों को दोपहर 1.51 बजे तक भद्रा समाप्त होने का इंतजार करना पड़ेगा। भद्रा में रक्षासूत्र बांधना शास्त्र सम्मत नहीं है। सबसे ज्यादा अशुभ मानी जाती है शनिवार की भद्रा, जिसे वृश्चिकी भद्रा कहते हैं। कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि के चंद्रमा में भद्रा का निवास मनुष्यलोक में रहता है, जिससे मनुष्यलोक के निवासियों को भारी कष्ट भोगना पड़ता है। इस दिन कुंभ राशि में चंद्रमा हैं भी। इसके ठीक विपरीत मेष, वृष, मिथुन और वृश्चिक राशि के चंद्रमा में भद्रा का निवास स्वर्ग में, कन्या, तुला, धनु और मकर राशि के चंद्रमा में भद्रा का निवास पाताल में होता है, जिसके फलस्वरूप मनुष्य लोक में इसका असर नहीं होता। मनुष्य लोक वाली भद्रा का तो हर हाल में त्याग कर देना चाहिए, अन्यथा बड़ा भारी आर्थिक और मानसिक कष्ट उठाना पड़ता है।

शिव जी के प्रिय मास श्रावण की पूर्णिमा के दिन अपने विकारों पर तथा सांसारिक कार्यों में विजय हासिल करने के प्रयासों का शुभारंभ होता है। अगर आप अपने शत्रुओं को परास्त करना चाहते हैं तो वरुण देव की इस दिन पूजा अवश्य करें। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि राजा के अभिमान को आज के ही दिन नष्ट किया था। महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ  बदलते हैं। साथ ही लक्ष्मी जी के पिता समुद्र की पूजा करते हैं। आज के दिन के संबंध में एक पौराणिक कथा बहुत प्रचलित है। देवों और दानवों में युद्ध हो रहा था। इस युद्ध में जब देवता हारने लगे, तब वे देवराज इंद्र के पास गए। देवताओं को भयभीत देख कर इंद्राणी ने उनके हाथों में रक्षासूत्र बांध दिया। इससे देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की। प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों के उपदेश की पूर्णाहुति इसी दिन होती थी। वे राजाओं के हाथों में रक्षासूत्र बांधते थे, इसलिए आज भी इस दिन ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बांधते हैं। रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र है- येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबन्धामि मा चल मा चल॥

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