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पूर्व रॉ प्रमुख का खुलासा: खुफिया एजेंसी कश्मीर में आतंकियों को देती है पैसा

भारतीय खुफिया एजेंसियां जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ हुर्रियत नेताओं और नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी समेत तमाम सियासी दलों को पैसा देती हैं। रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत ने संवाददाता से विशेष बातचीत...

पूर्व रॉ प्रमुख का खुलासा: खुफिया एजेंसी कश्मीर में आतंकियों को देती है पैसा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 04 Jul 2015 08:44 AM
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भारतीय खुफिया एजेंसियां जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ हुर्रियत नेताओं और नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी समेत तमाम सियासी दलों को पैसा देती हैं। रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत ने संवाददाता से विशेष बातचीत में यह खुलासा किया है।

1988 में जम्मू-कश्मीर में खुफिया अधिकारी के तौर पर तैनात रहे दुलत ने कहा, कोई भी घूस से बचा नहीं है। चाहे  आतंकी हों, नेता या फिर अलगाववादी। हमने उन्हें पैसा दिया ताकि जता सकें कि जो आईएसआई कर रहा है, हम उससे बेहतर कर सकते हैं, बजाए लोगों को मारने के।

दुलत ने बताया, जैसे-जैसे 1990 के दशक में आतंकवाद पनपा, पैसा भी बढ़ता गया। भुगतान सैकड़ों रुपये से लाखों रुपये तक पहुंच गया।

उन्होंने कहा, हुर्रियत में कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने पैसे कबूल नहीं किए। दुलत ने हालांकि उनका नाम बताने से इनकार कर दिया।

दुलत ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ 2004 तक ही भुगतान की बात पुष्ट कर सकते हैं। अपनी किताब ‘कश्मीर : द वाजपेयी ईयर्स’ के विमोचन से पहले दुलत ने कहा, 2004 में सत्ता में आई यूपीए सरकार ने उन्हें ‘एनडीए की कश्मीर नीति का विलेन’ बना दिया।

दुलत बोले, 1988 में जब मेरी श्रीनगर में तैनाती हुई तब मुझे पता चला था कि कौन किसको कितना पैसा दे रहा है। यह कोई बड़ी बात नहीं है। पूरी दुनिया की खुफिया एजेंसियां ऐसे पैसा देती हैं। दुलत ने यह भी कहा कि वाजपेयी सरकार ने अलगाववादियों से वार्ता शुरू की थी, मोदी सरकार को भी ऐसा करना चाहिए।

खारिज किया दावा

नेकां और पीडीपी दोनों दलों ने दुलत के दावों को खारिज कर दिया। नेकां के जुनैद अजीम मट्टू ने कहा कि हम पारदर्शी तरीके से कश्मीर की जनता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीं, पीडीपी प्रवक्ता वाहिद ने बताया, लोग रिटायर होने के बाद ऐसे आरोप लगाते हैं। हम नहीं जानते दुलत किसे लाभ देने की कोशिश कर रहे हैं।

दुलत का दावा

2002 के गुजरात दंगों के बाद नेशनल कांफ्रेंस ने एनडीए सरकार का साथ सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ा क्योंकि फारूख अब्दुल्ला को उम्मीद थी कि उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया जाएगा। (दुलत ने किताब में दावा किया है कि वाजपेयी 2002 में फारूख अब्दुल्ला को उपराष्ट्रपति बनाना चाहते थे)

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