Hindi Newsअमेरिका से मां का शव लाई बेटी, किया अंतिम संस्कार
अमेरिका से मां का शव लाई बेटी, किया अंतिम संस्कार
मां की आखिरी इच्छा अधूरी न रह जाए, इसके लिए बेटी पूरी तरह प्रतिबद्ध थी। उसे अमेरिका के टेक्सास में मां की मौत के बाद उसका शव मथुरा लाने में 10 दिन लग गए, लेकिन वह टूटी नहीं। गुरुवार को उसने मथुरा में...
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 22 May 2015 11:44 AM
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मां की आखिरी इच्छा अधूरी न रह जाए, इसके लिए बेटी पूरी तरह प्रतिबद्ध थी। उसे अमेरिका के टेक्सास में मां की मौत के बाद उसका शव मथुरा लाने में 10 दिन लग गए, लेकिन वह टूटी नहीं। गुरुवार को उसने मथुरा में खुद ही मां का दाह संस्कार किया।
शकुंतला देवी भरतपुर के राजा बच्चू सिंह के परिवार से ताल्लुक रखती थीं। वर्ष 1963 में उनकी शादी डॉ. हंसराज से हुई। डॉक्टर हंसराज कुछ दिनों बाद अमेरिका के टेक्सास चले गए। इस बीच आना-जाना लगा रहा।
उनकी बेटी हुई, जिसका नाम रीमा रखा। वर्ष 1992 में शकुंतला अपनी बेटी रीमा के साथ अमेरिका चली गईं, लेकिन इसके कुछ वर्षों बाद डॉ. हंसराज से उनका अलगाव हो गया। मां-बेटी साथ रहने लगीं।
मां ने रीमा को पढ़ाया-लिखाया और उसमें अच्छे संस्कार रोपे। गत 11 मई को शकुंतला देवी का टेक्सास के कैंट बोर्ड सिटी स्थित आवास में निधन हो गया। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनका दाह संस्कार मथुरा में हो।
रीमा में भरे संस्कारों ने उसे बल दिया और उसने मां की अंतिम इच्छा पूरी करने की ठानी। करीब 5-6 दिन अमेरिका में कागजी कार्यवाही पूरी करने लगे तो 3 दिन मां का शव लेकर विमान से दिल्ली पहुंचने में। गुरुवार को दोपहर में मथुरा आकर रीमा ने विधि-विधान से मां का अंतिम संस्कार किया।
शकुंतला देवी भरतपुर के राजा बच्चू सिंह के परिवार से ताल्लुक रखती थीं। वर्ष 1963 में उनकी शादी डॉ. हंसराज से हुई। डॉक्टर हंसराज कुछ दिनों बाद अमेरिका के टेक्सास चले गए। इस बीच आना-जाना लगा रहा।
उनकी बेटी हुई, जिसका नाम रीमा रखा। वर्ष 1992 में शकुंतला अपनी बेटी रीमा के साथ अमेरिका चली गईं, लेकिन इसके कुछ वर्षों बाद डॉ. हंसराज से उनका अलगाव हो गया। मां-बेटी साथ रहने लगीं।
मां ने रीमा को पढ़ाया-लिखाया और उसमें अच्छे संस्कार रोपे। गत 11 मई को शकुंतला देवी का टेक्सास के कैंट बोर्ड सिटी स्थित आवास में निधन हो गया। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनका दाह संस्कार मथुरा में हो।
रीमा में भरे संस्कारों ने उसे बल दिया और उसने मां की अंतिम इच्छा पूरी करने की ठानी। करीब 5-6 दिन अमेरिका में कागजी कार्यवाही पूरी करने लगे तो 3 दिन मां का शव लेकर विमान से दिल्ली पहुंचने में। गुरुवार को दोपहर में मथुरा आकर रीमा ने विधि-विधान से मां का अंतिम संस्कार किया।