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चालीस सालों बाद पारित हुआ राज्यसभा में सांसद का निजी विधेयक

विपरीत लिंगी लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनने की राह खुल गई है। राज्यसभा ने इस संदर्भ में पेश किए गए एक निजी विधेयक को पारित कर दिया है। पिछले चालीस सालों में यह पहला मौका है जब किसी...

चालीस सालों बाद पारित हुआ राज्यसभा में सांसद का निजी विधेयक
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Apr 2015 07:50 PM
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विपरीत लिंगी लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनने की राह खुल गई है। राज्यसभा ने इस संदर्भ में पेश किए गए एक निजी विधेयक को पारित कर दिया है। पिछले चालीस सालों में यह पहला मौका है जब किसी सांसद का निजी विधेयक सदन में पारित हुआ है। अब यह लोकसभा जाएगा।

प्रत्येक शुक्रवार को दोहपर बाद दोनों सदनों में निजी विधेयक पेश करने का दिन होता है। जिसमें सांसद अपनी तरफ से एक विधेयक बनाकर पेश करता है। इसी क्रम में शुक्रवार को द्रमुक के टी. शिवा ने विपरीत लिंगी (ट्रांसजेंडर) व्यक्तियों के अधिकार विधेयक 2014 को पेश किया था। जिसकी आबादी एक अनुमान के मुताबिक करीब पांच लाख है।

चर्चा के बाद इसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके पहले सदन के नेता और वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि यह उचित नहीं होगा कि सदन इस मुद्दे पर विभाजित दिखे क्योंकि सभी सदस्य ट्रांसजेंडर समुदाय के हितों के पक्ष में हैं। इस मौके पर सत्ता पक्ष के अधिकतर सदस्य और कई मंत्री सदन में मौजूद थे वहीं विपक्ष के कई सदस्य सदन में नहीं थे।

सदन में मौजूद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर एक व्यापक विधेयक लाएगी इसलिए शिवा अपना विधेयक वापस ले लें। क्योंकि ऐसी ही परंपरा चली आ रही है। लेकिन शिवा इसके लिए तैयार नहीं हुए। गहलोत ने कहा कि यह एक जटिल मुद्दा है और इससे कई मंत्रालय जुड़े हुए हैं।

विधेयक में इस समुदाय के लिए प्राथमिक शिक्षा में आरक्षण, निजी क्षेत्र में नियोक्ताओं को प्रोत्साहन, विशेष रोजगार कार्यालय की स्थापना आदि की बात की गयी है। जिन्हें लागू करने में तकनीकी दिक्कतें हैं। कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी है। शिवा ने विधेयक पर मतदान कराए जाने पर जोर दिया और कहा कि यह काफी महत्वपूर्ण मुद्दा है और ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के अधिकारों की रक्षा किए जाने की तत्काल जरूरत है।

इस दौरान कई मंत्रियों ने शिवा से अपना विधेयक वापस लेने का अनुरोध किया। आसन ने भी सदन की परंपरा का जिक्र करते हुए उनसे विधेयक वापस लेने की अपील की। लेकिन विधेयक वापस लेने से इंकार करते हुए शिवा ने कहा कि दुनिया के 29 देशों में ट्रासजेंडर लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं।

अब तक 14 निजी विधेयक बने हैं कानून-सत्तण के दशक तक 14 गैर सरकारी विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित होकर कानून बन चुके हैं लेकिन पिछले 40 साल में कोई निजी विधेयक कानून का रूप नहीं ले पाया है।

आगे क्या होगा-संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अनुसार राज्यसभा सचिवालय से अब यह विधेयक लोकसभा को भेजा जाएगा। जहां कोई भी सदस्य इसे सदन में पेश करने का नोटिस दे सकता है। इसके बाद इस पर सदन के नियमों के तहत चर्चा होगी और पारित किया जा सकता है।

लोस में मुश्किल नहीं-चूंकि राज्यसभा में सरकार विधेयक के साथ खड़ी हुई थी और सदन के नेता अरूण जेटली ने भी कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सदन बंटा हुआ नहीं दिखना चाहिए। इसलिए सरकार के समर्थन से लोकसभा में इसका पारित होना महज वक्त की बात रह गई है।

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