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गुर्जर आंदोलन: बैंसला बोले, चाहे कुछ हो जाए बिना आरक्षण लिए नहीं लौटेंगे

राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक भी गुर्जर प्रदर्शकारी को गिरफ्तार नहीं कर पाने और अलोकतांत्रिक प्रदर्शन से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति देने को लेकर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की आज...

गुर्जर आंदोलन: बैंसला बोले, चाहे कुछ हो जाए बिना आरक्षण लिए नहीं लौटेंगे
एजेंसीThu, 28 May 2015 07:20 PM
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राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक भी गुर्जर प्रदर्शकारी को गिरफ्तार नहीं कर पाने और अलोकतांत्रिक प्रदर्शन से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति देने को लेकर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की आज खिंचाई की। गुर्जरों के विरोध प्रदर्शनों के कारण राज्य में सड़क एवं रेल सेवाएं बाधित हो गई हैं, जिसके कारण आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से कहा कि वे सभी सड़कों और रेल मार्गों से अवरोध हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करें। अदालत ने मुख्य सचिव और डीजीपी को कल तक शपथ पत्र जमा करके यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने उनसे कहा कि वे गुर्जरों के विरोध प्रदर्शन के कारण निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की विस्तृत जानकारी मुहैया कराएं। गुर्जर सरकारी नौकरियों में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

अदालत की एकल पीठ ने कहा कि आप (मुख्य सचिव और डीजीपी) नौकरशाही और कानून व्यवस्था तंत्र के प्रमुख होने के नाते गुर्जर प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक वार्ता के केवल दर्शक बने रहने के लिए बाध्य नहीं हैं।

न्यायमूर्ति आर एस राठौड़ ने कहा, हम इन अलोकतांत्रिक प्रदर्शनों से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति नहीं दे सकते। ऐसा प्रतीत होता है कि आप दोनों आम लोगों की मुश्किलों को लेकर संवेदनहीन हो गए हैं। हम स्पष्ट शब्दों में आपसे यह कह रहे हैं कि अदालत यह देखना चाहती है कि अवरोधकों को आज तत्काल हटाया जाए और रेल पथ एवं राजमार्ग को रातभर आवाजाही के लिए साफ किया जाए और जब हम यह कह रहे हैं तो हमें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

यह आदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के उल्लंघन को लेकर कर्नल किरोड़ी एस बैंसला समेत गुर्जर नेताओं के खिलाफ 2008 से लंबित अवमानना याचिका के संबंध में आया है। कोटा मंडल में रेल विभाग के डीआरएम और रेलवे पुलिस बल :आरपीएफ: के मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी अदालत में मौजूद थे। अदालत ने प्रभावित इलाकों में प्रदर्शनकारियों को रेल पटरियों से फिश प्लेट हटाने से रोकने में आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा अधिकारी की निष्क्रियता पर भी नाखुशी जताई। इसके कारण दिल्ली और जयपुर के बीच रेल यातायात बाधित हो गया है।

न्यायमूर्ति राठौड़ ने कहा कि राज्य प्रशासन ने राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए कड़े प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है लेकिन एक भी नामजद व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया गया है और न ही जांच शुरू की गई है।

पीठ ने मुख्य सचिव और डीजीपी को कल तक एक शपथपत्र दाखिल करके यह स्पष्ट करने का आदेश दिया कि गुर्जर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने उनसे निजी और सार्वजनिक संपत्ति को हुए वास्तविक नुकसान की विस्तत जानकारी भी देने को कहा है।

कोटा में रेल विभाग के डीआरएम को भी शपथपत्र दायर करके यह स्पष्ट करने का आदेश दिया गया है कि रेल संपत्ति की रक्षा करने के लिए समय पर कदम क्यों नहीं उठाए गए और रेल पटरियों के लिए तैनात आरपीएफ के जवान क्या कर रहे थे। पीठ ने अधिकारियों के निजी पेशी से छूट संबंधी अनुरोध भी अस्वीकार कर दी। पीठ ने कहा कि रेल और सड़क यातायात सुचारू किए जाने तक उन्हें अदालत में पेश होना होगा अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। मामले की आगे की सुनवाई कल होगी।

वहीं, राजस्थान में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रही गुर्जर संघर्ष समिति के अध्यक्ष कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला आज राज्य सरकार के बुलावे पर बातचीत के लिए जयपुर पहुंच गये हैं। सूत्रों ने बताया कि बातचीत सचिवालय कक्ष में होगी, जिसमें चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री हेमसिंह भडाना के साथ गुर्जर नेता बैंसला एवं गुर्जर समाज के अन्य प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। इससे पहले गुर्जर नेताओं ने भडाना के घर पहुंच कर उनसे मुलाकात की तथा बाद में सचिवालय के लिए रवाना हो गये।

इससे पहले कल गुर्जर प्रतिनिधि मंडल के साथ राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की तीन बार बैठक हुई, लेकिन नतीजा नहीं निकला। गुर्जरों की सरकार से मौजूदा पचास प्रतिशत अंदर ही आरक्षण देने की मांग थी, जिसे सरकार ने स्वीकार नहीं किया। राज्य सरकार का कहना है कि पचास फीसदी आरक्षण सीमा के बाहर जाकर गुर्जर को आरक्षण दिया जा सकता है। यह संविघान की धारा 16(4ए) तथा 16(4बी) के अनुसार संभव है। यदि गुर्जर समाज इस पर राजी हुआ तो सरकार इस संबंघ में नया विधेयक ला सकती है।

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद राजस्थान सरकार अभी तक गुर्जर आंदोलनकारियों से पीलूपुरा के निकट दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक और दौसा जिले के सिकंदरा के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य मार्ग को खाली नहीं करवा सकी है। पचास प्रतिशत आरक्षण के भीतर पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर आन्दोलनकारियों के आन्दोलन के आठवें दिन आज पीलूपुरा के निकट मुम्बई-दिल्ली रेल मार्ग पर महिलाओं और बच्चों की संख्या अचानक बढ़ गयी है।

जिला कलेक्टर रवि जैन ने आंदोलनकारियों से रेलवे ट्रैक खाली करने एवं सड़क मार्गों से अवरोध हटाए जाने की सख्त हिदायत की है। इसके बावजूद पीलूपुरा ट्रैक पर आंदोलनकारी जमे हुये हैं। ट्रैक के आसपास के गांव रसेरी, महावर, पीलूपुरा कारबारी और अन्य ढाणियों की महिलाओं ने कहा है कि राज्य सरकार आरक्षण देने में चाहे जितना समय लगा ले, लेकिन इस बार लड़ाई आर पार की होगी और आरक्षण के बगैर पटरियां नहीं छोडेंगी।

कर्नल बैसला ने बुधवार को देर शाम पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं। यदि आंदोलनकारियों को दमनपूर्वक ट्रैक से खदेड़ा गया तो वह ट्रैक के दोनों तरफ गुर्जर समाज के खेतों में पड़ाव डालेंगे लेकिन बिना आरक्षण के खाली हाथ नहीं लौटेंगे।

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