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Hindi Newsराष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के इंटरव्यूह पर स्वीडिश अखबार से भारत खफा

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के इंटरव्यूह पर स्वीडिश अखबार से भारत खफा

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा एक साक्षात्कार के दौरान अनायास मुंह से निकली बात को मना किए जाने के बावजूद साक्षात्कार में शामिल करने को लेकर भारत ने स्वीडिश दैनिक दाजेन नेतर के समक्ष बुधवार को कड़ा...

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के इंटरव्यूह पर स्वीडिश अखबार से भारत खफा
एजेंसीWed, 27 May 2015 07:33 PM
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राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा एक साक्षात्कार के दौरान अनायास मुंह से निकली बात को मना किए जाने के बावजूद साक्षात्कार में शामिल करने को लेकर भारत ने स्वीडिश दैनिक दाजेन नेतर के समक्ष बुधवार को कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि यह सामने वाले को नीचा दिखाने के लिए की गई गैर पेशेवर और अनैतिक कार्रवाई है।

स्वीडन में भारतीय राजदूत बनश्री बोस हैरिसन ने दैनिक के मुख्य संपादक पीटर वोलोदारस्की को लिखे एक पत्र में कहा है कि मुझसे कहा गया है कि जिस तरीके से साक्षात्कार को पेश किया गया, उस पर मैं दिल्ली में हमारे प्रशासन की निराशा से अवगत कराऊं।

उन्होंने पत्र में लिखा, राष्ट्रपति द्वारा साक्षात्कार समाप्त होने के बाद साक्षात्कार के दौरान अनायास मुंह से निकली बात के संबंध में कराए गए ऑफ दी रिकार्ड सुधार को आपकी ओर से रिपोर्ट में शामिल करना गैर पेशेवर होने के साथ ही अनैतिक है।

राजदूत ने लिखा कि मुझे बताया गया कि उस समय आपने राष्ट्रपति के समक्ष सहानुभूति दर्शायी थी और कहा था कि ऐसा किसी से भी हो सकता है। उसके बाद जिस तरीके से आपकी ओर से दूसरे को नीचा दिखाने की मंशा से उस बात को रिपोर्ट में शामिल किया गया, उसकी एक उच्च मानदंडों वाले प्रमुख समाचारपत्र या पेशेवर पत्रकार से सामान्य तौर पर अपेक्षा नहीं की जाती।

उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति मुखर्जी के प्रति वह शिष्टाचार और सम्मान प्रदर्शित नहीं किया गया जिसके बतौर एक राष्ट्राध्यक्ष वह हकदार हैं। राजदूत ने इस बात को भी रेखांकित किया कि बोफोर्स संबंधी सवाल तीसरे नंबर पर था लेकिन इसे ऐसे दिखाया गया कि यह पहला सवाल था। उन्होंने कहा कि अगर मैं स्पष्ट शब्दों में यह कहूं कि यह पत्रकार का लाइसेंस लेकर लोगों को गुमराह करने जैसी बात है तो मैं उम्मीद करती हूं आप मुझे माफ करेंगे।

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