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आपबीती: मौत पीछा कर रही थी और हम भाग रहे थे

अगल-बगल मकान ताश के पत्तों की तरह चरमराकर गिर रहे थे। अजीब सा शोर था, दहशत इतनी कि किसी की बोली नहीं फूट रही थी। मौत पीछा कर रही थी और हम..बस भाग रहे थे। नेपाल से लौटे भूकंप के चश्मदीद कुछ ड्राइवरों...

आपबीती: मौत पीछा कर रही थी और हम भाग रहे थे
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Apr 2015 10:41 AM
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अगल-बगल मकान ताश के पत्तों की तरह चरमराकर गिर रहे थे। अजीब सा शोर था, दहशत इतनी कि किसी की बोली नहीं फूट रही थी। मौत पीछा कर रही थी और हम..बस भाग रहे थे। नेपाल से लौटे भूकंप के चश्मदीद कुछ ड्राइवरों ने आंखोंदेखी बताई तो रोंगटे खड़े हो गए। जान बचाने के लिए ईश्वर को धन्यवाद के साथ इनकी बस यही दुआ है कि दोबारा ऐसा मंजर न देखना पड़े।

दर्शनार्थियों और पर्यटकों को लेकर अक्सर वाराणसी, गया और नेपाल जाने वाले राजेश जायसवाल गोरखपुर के रहने वाले हैं। ज्यादातर वह नेपाल की ट्रिप पर रहते हैं। 25 अप्रैल को भी पर्यटकों को लेकर वहीं गए थे। दिमाग पर जोर डालकर राजेश बताते हैं कि उस वक्त पोखरा के विंध्यवासिनी मंदिर के बाहर वह गाड़ी के पास चाय पी रहे थे। अचानक तेज झटका लगा तो बगल में खड़े युवक ने कहा कि बंदर आया है। तभी सामने गाड़ियां तेजी से हिलने लगीं। भूकंप का शोर हुआ तो जैसे पैर ही जाम हो गए। आंखों के सामने दो मकान धमाके के साथ गिरे तो लगा कि जान खतरे में है।

उन्होंने बताया कि पर्यटक, दुकानदार, पुजारी सभी भाग रहे थे। किसी तरह अपनी पार्टी को खोजा और उन्हें लेकर होटल पहुंचा। रात में फिर कई झटके महसूस हुए तो लगा कि खतरा ज्यादा है। रात में ही वापसी कर ली। रास्ते में गोरखा और सोनधारा जैसे गांव तबाह हो चुके थे। मुंगलिंग के पास फिर झटके लगे तो गाड़ी सड़क किनारे रोक दी। पता चला कि आगे पहाड़ गिर पड़ा है। जाम के बीच किसी तरह रास्ता बनाकर गोरखपुर लौटे।

भूकंप के दिन नेपाल में फंसे ध्रुव गुप्ता चेन्नई के पांच लोगों के परिवार को लेकर गए थे। ध्रुव बताते हैं कि जीवन में पहली बार भूकंप देखा। मुंगलिंग से 30 किमी आगे थे जब झटके के कारण गाड़ी लहरा गई। सामान्य झटका मानकर काठमांडू पहुंचे तो वहां तबाही देखकर दिल बैठ गया।

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