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नोटिफिकेशन पर कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, केजरीवाल पहुंचे हाईकोर्ट

उच्चतम न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की उस याचिका पर कल सुनवाई करेगा, जिसमें उच्च न्यायालय ने उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें केंद्र की एक अधिसूचना को संदिग्ध बताया...

नोटिफिकेशन पर कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, केजरीवाल पहुंचे हाईकोर्ट
एजेंसीThu, 28 May 2015 02:18 PM
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उच्चतम न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की उस याचिका पर कल सुनवाई करेगा, जिसमें उच्च न्यायालय ने उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें केंद्र की एक अधिसूचना को संदिग्ध बताया गया है। इस अधिसूचना में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार रोधी शाखा को आपराधिक मामलों में अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका गया था। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि उपराज्यपाल अपनी मनमर्जी से काम नहीं कर सकते।

केंद्र की याचिका को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल महिंद्र सिंह द्वारा न्यायाधीश ए के सीकरी और न्यायाधीश यू यू ललित की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष लाया गया। सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय की टिप्पणियों ने पूर्ण अनिश्चितता पैदा कर दी है और राष्ट्रीय राजधानी में रोजमर्रा के प्रशासन को मुश्किल बना दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच के समीकरण में संतुलन बैठाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए की स्पष्ट व्याख्या जरूरी है।

जब पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सिर्फ संदिग्ध शब्द का इस्तेमाल किया है, तो अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि स्पष्टीकरण जरूरी है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उच्च न्यायालय की ये टिप्पणियां एसीबी द्वारा गिरफ्तार किए गए एक पुलिसकर्मी की जमानत याचिका के निपटारे के दौरान आई हैं। दिल्ली सरकार ने भी एक पक्षीय आदेश पारित किए जाने से पहले ही एक प्रतिवाद दाखिल कर दिया है।

अपने आवेदन में इसने कहा है कि कोई भी आदेश पारित किए जाने से पहले शहर की सरकार को उसका पक्ष स्पष्ट करने का मौका दिया जाए। गृह मंत्रालय ने कल शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर करके 25 मई को जारी हुए उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने वह आदेश दिल्ली पुलिस के एक कॉन्सटेबल की जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए सुनाया था। इस कॉन्सटेबल को रिश्वत लेने के आरोप में दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था।

उच्च न्यायालय की टिप्पणियां दरअसल एक फैसले का हिस्सा थीं, जिसमें उसने यह कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार की भ्रष्टाचार रोधी शाखा को पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का अधिकार है। दिल्ली में आप सरकार और उपराज्यपाल सार्वजनिक तौर पर एक जंग में उलक्षे हैं। यहां जंग उपराज्यपाल की शक्तियों और निर्वाचित सरकार के अधिकारों के बीच है।

केंद्र ने 21 मई को उपराज्यपाल का पक्ष लेते हुए एक अधिसूचना जारी की थी। उच्च न्यायालय ने हेड कॉन्सटेबल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। इस हेड कॉन्सटेबल को एसीबी ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था।

दिल्ली सरकार गई हाईकोर्ट
आप सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण अधिकार देने की केंद्र की हालिया अधिसूचना को चुनौती देते हुए आज दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। न्यायाधीशों बी डी अहमद और संजीव सचदेवा के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है, दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय की 21 मई की अधिसूचना के खिलाफ जाने का फैसला किया है।

इसमें कहा गया है, अधिसूचना के तहत उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में सेवाओं, लोक आदेश, पुलिस और भूमि तथा नौकरशाहों की सेवाओं से जुड़े मामले होंग़े़़इससे उन्हें मुख्यमंत्री से राय मांगने के संबंध में विवेकाधीन शक्तियां होंगी। दिल्ली सरकार के स्थायी वकील रमन दुग्गल ने यह याचिका ऐसे समय में दायर की है, जब एक दिन पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देते हुए केंद्र उच्चतम न्यायालय पहुंच गया। उच्च न्यायालय के आदेश में गह मंत्रालय की हालिया अधिसूचना को संदिग्ध बताया गया था।

केंद्रीय गृह सचिव से मिले दिल्ली के उपराज्यपाल
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने आप सरकार के साथ जारी टकराव के बीच आज केंद्रीय गह सचिव एलसी गोयल से मुलाकात की। यह मुलाकात दिल्ली विधानसभा द्वारा केंद्रीय गह मंत्रालय की उस अधिसूचना को खारिज करने का प्रस्ताव पारित किए जाने के एक दिन बाद हुई है, जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों के तबादलों और पद स्थापना सहित विभिन्न मामलों में उप राज्यपाल को संपूर्ण शक्तियां दी गई थीं।

दिल्ली विधानसभा ने केंद्रीय गह मंत्रालय की अधिसूचना को खारिज करते हुए कल यह प्रस्ताव पारित किया था। गृह मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के इस फैसले को चुनौती देने के लिए कल उच्चतम न्यायालय का रूख किया कि 21 मई की अधिसूचना संदिग्ध है और जनादेश का उप राज्यपाल द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए। उप राज्यपाल ने गह सचिव से मिलने के बाद मीडियाकर्मियों से बात करने से इनकार किया।

सूत्रों ने बताया कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा द्वारा कल पारित किए गए प्रस्ताव और एसएलपी के संबंध में शीर्ष अदालत में सरकार के रुख से संबंधित मुद्दे पर चर्चा की। जंग और केजरीवाल सरकार के बीच टकराव 15 मई को वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किए जाने पर शुरू हुआ था। केजरीवाल ने कल उप राज्यपाल पर यह कहकर वार किया था कि जंग केंद्र के इशारे पर चल रहे हैं और आप सरकार के लिए जान-बूझकर बाधाएं पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या थी अधिसूचना
गृह मंत्रालय ने 21 मई को गजट अधिसूचना जारी कर केजरीवाल सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई (एसीबी) को केंद्रीय कर्मियों, अफसरों और पदाधिकारियों पर कार्रवाई के अधिकार से वंचित कर दिया था। साथ ही दिल्ली के उपराज्यपाल को वरिष्ठ अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती करने की भी पूर्ण शक्तियां दी गई थीं।

क्या कहा था हाईकोर्ट ने
हाईकोर्ट ने कहा था, एलजी अपने विवेकाधिकार के आधार पर काम नहीं कर सकते। वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार से बाध्य हैं और वह उसकी मदद और सलाह से ही काम कर सकते हैं। दिल्ली सरकार को लोगों ने चुना है और केंद्र अपने आदेश से उसके अधिकारों में कटौती नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई संवैधानिक या कानूनी बाध्यता न हो तो एलजी को दिल्ली की चुनी हुई सरकार का सम्मान करना चाहिए।

केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित
दिल्ली विधानसभा ने बुधवार को केंद्र सरकार की अधिसूचना ध्वनिमत से खारिज कर दी। अधिसूचना पर चर्चा के लिए बुलाए गए दो दिवसीय आपात सत्र के अंतिम दिन इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करके इसे वापस लेने की मांग की गई। चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ आप के विधायकों ने केंद्र की अधिसूचना को भ्रष्टाचार रोकने के लिए की जा रही दिल्ली सरकार की पहल को नाकाम करने का प्रयास बताया।

भाजपा का विरोध
तीन विधायकों वाले विपक्षी दल भाजपा ने इस आशय के प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि अधिसूचना पूर्व स्थापित व्यवस्था पर उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच पैदा हो रहे भ्रम को दूर करने के लिए महज स्पष्टीकरण मात्र है। इसलिए इसे असंवैधानिक बताने वाला प्रस्ताव ही असंवैधानिक है।

सात दिन में बढ़ी बात

ऐसे गरमा गया मामला
21 मई : गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को अधिसूचना जारी की
25 मई : हाईकोर्ट ने अधिसूचना संदिग्ध बताते हुए खारिज की
27 मई : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की

क्या कहता है कानून
संविधान की सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची की एंट्री 1 और 2 के तहत केंद्र सरकार का राज्यों पर कोई अधिकार नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार की 21 मई की अधिसूचना संदिग्ध है।
- जस्टिस विपिन सांघी
(हाईकोर्ट में अधिसूचना पर आदेश में कहा
)

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर करारा प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि उपराज्यपाल को अधिसूचना के माध्यम से ज्यादा शक्तियां देना देश को तानाशाही की तरफ ले जाने का प्रयोग है। दिल्ली विधानसभा में अपने संबोधन में केजरीवाल ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर प्रहार किया और कहा कि वह केंद्र के इशारे पर चल रहे हैं और आप सरकार के लिए जानबूझकर बाधाएं पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, दिल्ली में जो हो रहा है वह खतरनाक है। यह भाजपा नीत केंद्र का दिल्ली में प्रयोग है। एक-एक कर यह प्रयोग हर गैर भाजपा शासित राज्यों में किया जाएगा। वे देश को तानाशाही की तरफ ले जाना चाहते हैं। मैं सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि इस मुद्दे पर एकजुट हों।

केजरीवाल ने कहा कि नौकरशाहों की नियुक्ति के साथ ही पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के मामले में उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां देने वाली अधिसूचना राजनीतिक हित को ध्यान में रखकर की गई क्योंकि केंद्र आप सरकार को बदनाम करना चाहता है। उन्होंने कहा, यह संवैधानिक मुद्दा नहीं जैसा कि कल भाजपा अध्यक्ष ने कहा। यह राजनीतिक मुद्दा है। केंद्र आप सरकार को विफल करना चाहती है। लेकिन हम संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि दिल्ली में झुग्गी झोपडि़यां जंग के निर्देशों पर तोड़ी जा रही हैं, ताकि लोग आप सरकार से झुब्ध हो जाएं।

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