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12 अक्तूबर को कर सकते हैं शुभ कार्य

पितृपक्ष का अंतिम दिन 12 अक्तूबर शुभ कार्य के लिए उत्तम योग वाला है। इस दिन शुभ कार्यकरने पर पितरों का आशीर्वाद बना रहेगा। लेन-देन, खरीद- बिक्री, पितरों के नाम पर दान दक्षिणा और शादी-ब्याह की बातचीत...

12 अक्तूबर को कर सकते हैं शुभ कार्य
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 10 Oct 2015 07:09 PM
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पितृपक्ष का अंतिम दिन 12 अक्तूबर शुभ कार्य के लिए उत्तम योग वाला है। इस दिन शुभ कार्यकरने पर पितरों का आशीर्वाद बना रहेगा। लेन-देन, खरीद- बिक्री, पितरों के नाम पर दान दक्षिणा और शादी-ब्याह की बातचीत कर सकते हैं।

ज्योतिषाचार्य डॉ. सुधानंद झा ने बताया पितृपक्ष में शुभ कार्य के लिए सबसे अच्छा समय अमावस्या है। आश्विन मास कृष्ण पक्ष पहली प्रतिपदा पहली तिथि  28 सितंबर से 12 अक्तूबर अमावस्य तिथि तक पितृपक्ष है। इस पितृपक्ष में तीन दिन मातृ नवमी, एकादशी और अमावस्या शुभ कार्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इन दिनों में पितरों का सीधा आशीर्वाद मिलता है।

अमावस्या में मनाएं बरसी
डॉ. सुधानंद झा ने बताया कि जिन के पूर्वज या ऐसे सदस्य जो इस दुनिया में नहीं हैं और उनकी पुण्य तिथि (बरसी) पता नहीं है तो वैसे लोग अमावस्या को अपने पितरों के नाम से तर्पण कर सकते हैं। यह समय पिंडदान के लिए उत्तम होता है। तर्पण, दान-दक्षिणा, कुष्ठ रोगी, असहाय प्राणी, नि:शक्त की सेवा और ब्रा२ाण भोज कराने से पितृ संतुष्ट होते हैं और वर्षभर आशीर्वाद देते हैं।

ब्र२ा मुहूर्त में भी तर्पण
कामकाजी व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष का तर्पण ब्र२ामुहूर्त में भी कर सकते हैं। अर्थात सूर्योदय से डेढ़ घंटे पहले स्नानादि कर अपने पूर्वजों को तर्पण कर सकते हैं। दोपहर 12:30 बजे तक तर्पण का उत्तम समय होता है। वैसे सूर्यास्त तक तर्पण कर सकते हैं। श्राद्ध का दिन आश्विन अमावस्या को पितृपक्ष की पूर्णाहुति के साथ दुर्गापूजा के महालया शुरू हो जाता है।
 

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