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Hindi Newsजन्माष्टमी स्पेशलः श्री कृष्ण के बारे में 10 अनकही बातें

जन्माष्टमी स्पेशलः श्री कृष्ण के बारे में 10 अनकही बातें

भगवान श्री कृष्ण के बारे में जितना भी जानिए आपको कम ही लगेगा। हिंदू देवी-देवताओं में श्री कृष्ण का दर्जा सबसे अलग। हिंदू धर्म में अगर भगवान के किसी अवतार के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा हुई है तो वो...

जन्माष्टमी स्पेशलः श्री कृष्ण के बारे में 10 अनकही बातें
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 04 Sep 2015 04:44 PM
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भगवान श्री कृष्ण के बारे में जितना भी जानिए आपको कम ही लगेगा। हिंदू देवी-देवताओं में श्री कृष्ण का दर्जा सबसे अलग। हिंदू धर्म में अगर भगवान के किसी अवतार के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा हुई है तो वो कृष्ण ही हैं। शनिवार को पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम होगी।

श्री कृष्ण के बारे में हम आपको ऐसी 10 बातें बताने जा रहे हैं जो शायद ही आप जानते हों-

1- श्री कृष्ण का जन्म रोहिण नक्षत्र में हुआ था। वो देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। श्री कृष्ण के जन्म से पहले छह भाइयों को कंश ने मार दिया था। कंस देवकी का भाई था और अपनी बहन से बहुत प्यार करता था। देवकी और वासुदेव की शादी के बाद आकाशवाणी हुई कि कंस की मौत देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी। इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया और एक-एक करके उनके सात बच्चों को मार दिया। कृष्ण के जन्म के बाद वासुदेव उन्हें गोकुल में यशोदा और नंद बाबा के घर छोड़ आए थे। कृष्ण को जन्म भले ही देवकी ने दिया हो लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा ने किया था।

2- श्री कृष्ण के गुरु संदीपनि थे, कृष्ण ने अपने गुरु को ऐसी दक्षिणा दी थी जो शायद ही किसी गुरु को मिली हो। श्रीकृष्ण ने संदीपनि को उनका मरा हुआ बेटा गुरु दक्षिणा के रूप में दिया था।

3- बहुत कम लोग ये जानते हैं कि श्री कृष्ण ने देवकी के छह मरे हुए बच्चों को भी वापस बुलाया था। श्री कृष्ण ने देवकी-वासुदेव की मुलाकात उनके छह मृत बच्चों से करवाई थी। यह छह बच्चे हिरणकश्यप के पोते थे और एक शाप में जी रहे थे।

4- गोकुल के गोप प्राचीन-रीति के मुताबिक वर्षा काल बीतने और शरद के आगमन के अवसर पर इन्द्र देवता की पूजा किया करते थे। इनका विश्वास था कि इन्द्र की कृपा के कारण बारिश होती है, जिसके परिणामस्वरूप पानी पड़ता है। कृष्ण और बलराम ने इन्द्र की पूजा का विरोध किया और गोवर्धन की पूजा का अवलोकन किया। इस प्रकार एक ओर कृष्ण ने इन्द्र के काल्पनिक महत्त्व को बढ़ाने का काम किया, दूसरी ओर बलदेव ने हल लेकर खेती में वृद्धि के साधनों को खोज निकाला। पुराणों में कथा है कि इस पर इंद्र नाराज हो गए और उसने इतनी अत्यधिक बारिश की कि हाहाकार मच गया। लेकिन कृष्ण ने बुद्धि-कौशल के गिरि द्वारा गोप-गोपिकाओं, गौओं आदि की रक्षा की। इस प्रकार इन्द्र-पूजा के स्थान पर अब गोवर्धन पूजा की स्थापना की गई।

5- द्रौपदी चीरहरण के समय उनकी साड़ी श्रीकृष्ण ने बढ़ा दी थी यह सबको पता है लेकिन इसके पीछे की पूरी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं। जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपने सुदर्शन चक्र से किया था तब उनकी उंगली थोड़ी सी कट गई थी। उस समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्ला फाड़कर श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया था। तब श्री कृष्ण ने उनसे कहा था कि द्रौपदी मैं तुम्हारे एक-एक सूत का कर्ज उतारूंगा।

6- श्री कृष्ण की 16,108 पत्नियां थी। जिनमें से आठ उनकी रानियां थी। आठ रानियों से श्री कृष्ण के 80 बच्चे थे। श्री कृष्ण की पत्नी रुकमणी को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। सभी आठ रानियों के 10-10 पुत्र थे।

7- श्री कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा थी। सुभद्रा वासुदेव और रोहिणी की बेटी थीं। बलराम उनकी शादी दुर्योधन से कराना चाहते थे जबकि रोहिणी और बाकी लोग ऐसा नहीं चाहते थे। इस स्थिति से बचने के लिए श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा का अपहरण करने की सलाह दी। इतना ही नहीं श्री कृष्ण ने सुक्षद्रा से कहा कि वो रथ की कमान संभालेगी जिससे यह अपहरण ना लगे।

8- श्री कृष्ण के साथ भले ही राधा का नाम हमेशा से जुड़ा सुनाई दिया हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी धर्मग्रंथ में राधा का जिक्र तक नहीं है। महाभारत या श्रीमद भगवत गीता दोनों में से किसी भी धर्मग्रंथ में उनका नाम नहीं लिया गया है। जयदेव ने पहली बार राधा का जिक्र किया था और उसके बाद से श्री कृष्ण के साथ राधा का नाम जुड़ा हुआ है।

9-
एकलव्य जिसने द्रोणाचार्य को अपना अंगूठा गुरु दक्षिणा में काटकर दे दिया था। उसका संबंध भी श्री कृष्ण से था। एकलव्य श्री कृष्ण का चचेरा भाई था। एकलव्य वासुदेव के भाई का बेटा था। एकलव्य जंगल में खो गया था और वो हिरण्यधनु को मिल गया था। रुकमणी के स्वयंवर के समय अपने पिता को बचाते हुए एकलव्य की मृत्यु हुई थी। एकलव्य की मृत्यु कृष्ण के हाथों ही हुई थी।

10- क्या आप जानते हैं अर्जुन अकेला ऐसा इंसान नहीं था जिसने श्री कृष्ण के मुंह से सबसे पहले बार गीता का सार सुना था। अर्जुन के साथ हनुमान जी और संजय ने भी गीता का सार सुना था। जब कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश सुना रहे थे उस समय हनुमान जी रथ के ध्वज में मौजूद थे और संजय अपनी दिव्य दृष्टि से गीता का सार सुन रहे थे।

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