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जेेएनयू में आइसा की लगातार तीसरे साल जीत

नई दिल्ली। कार्यालय संवाददाता। जेएनयू में आइसा का दबदबा कायम है। वर्ष 2012 मार्च से लेकर अब तक चार चुनाव हो चुके हैं। 2012 मार्च का चुनाव, 2013 सितंबर का चुनाव और इस बार के चुनाव में इस वामपंथी...

जेेएनयू में आइसा की लगातार तीसरे साल जीत
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 14 Sep 2014 09:47 PM
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नई दिल्ली। कार्यालय संवाददाता। जेएनयू में आइसा का दबदबा कायम है। वर्ष 2012 मार्च से लेकर अब तक चार चुनाव हो चुके हैं। 2012 मार्च का चुनाव, 2013 सितंबर का चुनाव और इस बार के चुनाव में इस वामपंथी संगठन ने सेंट्रल पैनल की चारों सीटें जीती हैं। ऐसे में लगातार तीन साल से आइसा की बादशाहत कायम है। जीत के बाद अध्यक्ष चुने गए आशुतोष कुमार ने कहा कि हमने जेएनयू में कई काम किए हैं। बीते साल एमसीएम छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाई।

इस बार नए हॉस्टल खुलवाने के लिए संघर्ष करेंगे। वहीं पूर्व जेएनयूसू अध्यक्ष सुचेता डे ने कहा कि आइसा की कामयाबी का सफर बताता है कि छात्र हमारी नीतियों के खिलाफ नहीं हैं। बहरहाल, बता दें कि 2012 से पहले चार साल तक जेएनयू में छात्र संघ चुनाव पर रोक थी। तमाम छात्र संगठन लिंगदोह की सिफारिशों के खिलाफ थे। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सिफारिशों में कुछ छूट देकर चुनाव कराने की अनुमति दी। हर साल नए सत्र के लिए सितंबर माह में चुनाव होता है लेकिन कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को सत्र के बीच में यानी वर्ष 2012 मार्च में चुनाव कराने पड़े।

उस वक्त आइसा ने चारों सीटें जीतीं और सुचेता डे अध्यक्ष चुनी गईं। इस पैनल का कार्यकाल सिर्फ छह माह का था क्योंकि आधा सत्र खत्म हो चुका था और बीच में चुनाव हुए थे। छह माह बाद सितंबर 2012 में नए सत्र के लिए दोबारा से चुनाव हुए। इसमें भी आइसा ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए अध्यक्ष पद को छोड़कर तीन सीटें जीतीं। एसएफआई के लेनिन अध्यक्ष चुने गए थे। 2013 सितंबर के चुनाव में आइसा ने जबरदस्त वापसी की और चारों सीटें जीतीं।

इस बार सत्र 2014 के चुनाव में यह कामयाबी का सफर बरकरार रखा। ऐसे में सितंबर 2012 का चुनाव छोड़ दें तो अब तक तीन सालों से लगातार सेंट्रल पैनल पर कब्जा किए हुए है। दो सीटों पर एबीवीपी ने दी टक्कर: एबीवीपी का प्रदर्शन पहले से बेहतर हुआ है। सेंट्रल पैनल की उपाध्यक्ष और महासचिव की सीट पर एबीवीपी दूसरे स्थान पर रहा। उपाध्यक्ष पद पर आइसा के अनंत प्रकाश नारायण को जहां 1366 वोट मिले तो वहीं एबीवीपी के मोहम्मद जहिदुल दीवान को 756 वोट मिले।

इसके अलावा महासचिव सीट पर आइसा के चिंटू कुमारी को 1605 वोट और एबीवीपी के आशीष कुमार धनोतिया को 791 वोट मिले। एबीवीपी जेएनयू यूनिट की मंत्री ममता त्रिपाठी का कहना है कि हमने कड़ी टक्कर दी। हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है। उधर, एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार जोगेंद्र सिंह पंवार ने कहा कि हम भले ही हार गए लेकिन छात्र हित में संघर्ष करते रहेंगे। बता दें कि 1997 में आखिरी बार एबीवीपी सेंट्रल पैनल की सीट हासिल करने में कामयाब रहा था।

'डीयू में किया संघर्ष काम आया': आइसा ने जीत के बाद कैंपस में विजय जुलूस निकाला। उसने छात्रों का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह जीत छात्रों की जीत है। न सिर्फ जेएनयू बल्कि डीयू समेत देशभर के छात्रों की जीत है। हमने एफवाईयूपी को लेकर जो देशभर में लड़ाई लड़ी उसे जेएनयू के छात्रों ने समझा और वोट दिया। इस बीच एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रोजी जॉन ने कहा कि हम डीयू और जेएनयू में मिली हार की समीक्षा करेंगे।

छात्रों के बीच में जाकर उनके लिए संघर्ष करेंगे। लगातार बन और टूट रहे नए वामपंथी संगठन: विश्वविद्यालय में आइसा को चुनौती देने के लिए अन्य वामपंथी संगठन नए गठबंधन से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार तीन संगठनों ने लेफ्ट प्रोग्रेसिव फ्रंट यानी एलपीएफ गठबंधन बनाया। इसमें मुख्य तौर डीएसएफ शामिल रहा। इतना ही नहीं, पिछले दो सालों से पुराने संगठनों से अलग होकर नए संगठन बने हैं। पहले एसएफआई से एक धड़ा अलग होकर एसएफआई जेएनयू बना। बाद में वो डीएसएफ बना।

इस बनते और टूटते संगठनों के बावजूद आइसा मजूबत हुआ है। 1000 से अधिक नोटा का प्रयोग: जेएनयू में पहली बार नोटा का इस्तेमाल किया गया। सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर करीब 1000 से अधिक छात्रों ने किसी को न चुनते हुए नोटा का प्रयोग किया। अध्यक्ष की सीट पर 106 नोटा, उपाध्यक्ष की सीट 340, महासचिव की सीट पर 368 और संयुक्त सचिव की सीट पर 531 छात्रों ने नोटा को चुना। किसे कितना वोट मिला अध्यक्ष पद आशुतोष कुमार, आइसा- 1386 सौरभ कुमार, एबीवीपी- 944 राहिला परवीन, एलपीएफ- 1009 पिंडिग अंबेडकर, एसएफआई-890 उपाध्यक्ष पद अनंत प्रकाश नारायण, आइसा- 1366 जाहिदुल दीवान, एबीवीपी-756 वरुतंत मनवतकर, एलपीएफ- 648 शालिनी एलआर, एसएफआई- 672 महासचिव पद चिंटू कुमारी, आइसा- 1605 आशीष कुमार धनोतिया, एबीवीपी-791 बीबेक कुमार, एलपीएफ- 606 नजीब वीआर, एसएफआई- 758 संयुक्त सचिव शफाकत हुसैन बट, आइसा- 1209 गोपाल लाल मीणा, एबीवीपी- 857 मुलायम सिंह, एलपीएफ- 969 दिनेश कुमार, एसएफआई- 695 जीत के बाद बोले उम्मीदवार आशुतोष कुमार, जेएनयूसू अध्यक्ष यह जीत कई मायनों में अहम है।

 

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