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वाहनों के वीआईपी नंबर की नीलामी की मांगी अनुमति

नई दिल्ली प्रमुख संवाददाता। जल्द ही दिल्ली में चार पहिया निजी वाहनों के वीआईपी नंबर पाने की होड़ फिर शुरू हो सकती है। वाहनों का पंजीकरण कराने पर वीआईपी नंबर हासिल करने की वाहन मालिकों की चाहत को पूरा...

वाहनों के वीआईपी नंबर की नीलामी की मांगी अनुमति
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 20 Apr 2014 11:54 PM
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नई दिल्ली प्रमुख संवाददाता। जल्द ही दिल्ली में चार पहिया निजी वाहनों के वीआईपी नंबर पाने की होड़ फिर शुरू हो सकती है। वाहनों का पंजीकरण कराने पर वीआईपी नंबर हासिल करने की वाहन मालिकों की चाहत को पूरा करने की दिल्ली सरकार ने फैंसी नंबरों की नीलामी शुरू करने की पहल की है। परवहिन विभाग ने वीआईपी नंबरों की ऑनलाइन नीलामी करने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी मांगी है। देश में चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण इस तरह के किसी भी फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए आयोग की पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य है।

परवहिन आयुक्त ज्ञानेश भारती ने बताया कि विभाग को फैंसी नंबरों की नीलामी के लिए उपराज्यपाल नजीब जंग से अनुमति मिल गई है। अब नीलामी प्रक्रिया शुरू करने से पहले चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई है। इस पहल का सकारात्मक पहलू फैंसी नंबर के लिए आवेदन और नीलामी दोनों ऑनलाइन किया जाना है। जिसके कारण वीआईपी कार नंबर की चाहत रखने वालों क ो परवहिन कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने होंगे और पारदर्शिता के साथ ये नंबर नीलाम भी हो सकेंगे।

नीलामी के दौरान वीआईपी नंबर के लिए न्यूनतम मूल्य पहले से नियत होगा और इसकी अंतिम कीमत नीलामी में तय होगी। उदाहरण के तौर पर 0001 नंबर की बोली न्यूनतम कीमत (बेस प्राइज) दस हजार रुपये के साथ शुरू हो और जो भी अधिकतम कीमत लगेगी वही उस नंबर की अंतिम कीमत होगी। हालांकि सांसद, विधायक, जज और आला अधिकारियों के लिए पहले से नियत वीआईपी नंबरों को नीलामी प्रक्रिया से दूर रखने के बारे में अभी अनशि्चितता बरकरार है।

क्योंकि नीलामी के दौरान फैंसी नंबर की कीमत चुकाने में सक्षम सामान्य लोग भी इन नंबरों को खरीद सकते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस बारे में व्याप्त संदेह को नीलामी नीति पर आयोग की मंजूरी मिलने से पहले दूर कर लिया जाएगा। ज्ञात हो कि अक्टूबर 2009 में दिल्ली सरकार ने वीआईपी नंबर नीति लागू करते हुए इसके दायरे में सिर्फ विधायक, सांसद, हाईकोर्ट और निचली अदालत के जज तथा सचवि स्तरीय अधिकारियों को शामिल किया था। बाद में सामान्य लोगों को भी इसमें शामिल कर लिया गया।

इसके लिए बाकायदा नीलामी होती है और अधिकतम कीमत लगाने वाले को उक्त वीआईपी नंबर आवंटित किया जाता है। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन नीलामी कराने की पहल की गई है।

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