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नवरात्र के लिए घर और मंदिर सजे

फरीदाबाद। कार्यालय संवाददाता। शैलपुत्री के पूजन के साथ गुरुवार से शहर में नवरात्र की रौनक शुरू होगी। खास बात यह है कि इस बार आदिशक्ति की आराधना का ये पर्व कई शुभ संयोगों के साथ आएगा। नवरात्र की...

नवरात्र के लिए घर और मंदिर सजे
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 25 Sep 2014 12:21 AM
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फरीदाबाद। कार्यालय संवाददाता। शैलपुत्री के पूजन के साथ गुरुवार से शहर में नवरात्र की रौनक शुरू होगी। खास बात यह है कि इस बार आदिशक्ति की आराधना का ये पर्व कई शुभ संयोगों के साथ आएगा।

नवरात्र की शुरुआत अतिशुभ माने जाने वाले ब्रह्मयोग में होगी तो समापन आनंद योग में होगा। ऐसे में जातकों को नवरात्रि पूजन का विशेष फल मिलेगा। नवरात्र के मद्देनजर एक दिन पहले सभी जगह पूजन की तैयारियां पूरी की गईं। मंदिरों में जहां माता के पूजन के लिए विशेष रूप से सजावट की गई है तो वहीं घरों में भी लोगों ने मंदिरों में सफाई कर पूजन की व्यवस्था की। नौ दिन तक विधि-विधान से होने वाली पूजा के लिए जरूरी खरीदारी की गई है।

दिनभर नौ दिन तक के पूजन के लिए श्रद्धालु तैयारियों में जुटे रहे। पंडित गिरिराज दत्त गौड़ बताते हैं कि अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र प्रारंभ होंगे। इस बार शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 25 सितंबर से हो रहा है। इस दिन हस्त नक्षत्र भी रहेगा। साथ ही ब्रह्मयोग व सवार्थ-सिद्धि योग भी विद्यमान रहेंगे, वहीं तीन अक्तूबर को नवरात्र का समापन होगा। इस दिन नवमी और दशमी तिथि एक साथ पड़ेगी, इसलिए इस दिन नवदुर्गा विसर्जन और विजयदशमी का पर्व साथ मनाया जाएगा।

नौ दिन तक शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धीदात्री का पूजन विधिवत होगा। इस बार नवरात्र पूरे दिनों के हैं, विद्वानों की मानें तो ये नवरात्र विशेष फलदायी रहेंगे। शास्त्रों के अनुसार भी सुख-शांति के लिए नवरात्र विशेष लाभकारी रहते हैं। इन दिनों मंत्र जाप से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। शुभदायी योग में होगा नवरात्र का शुभारंभ और समापन : पंडित दर्शन लाल जोशी ने बताया कि नवरात्र ब्रह्मयोग में शुरू होंगे। साथ ही नवमी व दशमी के दिन आनंद योग रहेगा।

ये दोनों योग शुभ योग माने गए हैं। इसके अतिरिक्त स्वार्थ सिद्धि और रवि योग भी पड़ेंगे। इस कारण माता की विशेष कृपा भक्तों को मिलेगी और घर में सुख-समृद्धि भी रहेगी। इस बार अष्टमी व नवमी तिथि एक ही दिन रहेगी। तिथि का क्षय होने से नवरात्रि आठ दिनों की होगी। सुबह 6:14 से शाम तक कलश स्थापना के कई मुहूर्त : पंडित जुगल किशोर शास्त्री बताते हैं कि शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6 बजकर 13 मिनट से शाम 7:43 बजे तक है।

अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:49 से दोपहर 12:37 बजे तक है। हस्त नक्षत्र शाम 7: 40 तक है। इसके बाद चित्रा प्रारंभ नक्षत्र होगा, जो घटस्थापना में वर्जित माना जाता है, इसलिए इस दिन घटस्थापना सूर्योदय प्रात: 6:14 के बाद हस्त नक्षत्र में सायं 7:40 तक करना श्रेष्ठ रहेगा। इस तरह करें कलश स्थापना : पंडित हर्षमणि भट्ट बताते हैं कि सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी के कलश की ही स्थापना करें। लोहे या स्टील के कलश का इस्तेमाल ना करें।

कलश के ऊपर ओम लिखकर घर के ईशान कोण में कलश स्थापित करें। मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ गणेश भगवान की मूर्ति रखें। कलश स्थापना के बाद अखंड जोत जलाएं। इसके बाद विधि विधान से गणेश, वरूण देव, विष्णु, सूर्य, चंद्रादि नवग्रह की पूजा करें। इस तरह करें मां को प्रसन्न : कलश स्थापना के बाद सर्वप्रथम मां का ध्यान करें। इसके बाद आह्वान, आसन, अर्घ्य,स्नान, वस्त्र, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, अक्षत, हल्दी, पुष्प, धूप, दीप, मिष्ठान, नारियल, मौसमी फल अर्पित करें।

इसके बाद सपरिवार आरती और प्रार्थना करें। 24 घंटे खुलेंगे माता के कपाट : तिकोना पार्क स्थित श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर में नवरात्र के मद्देनजर खास तैयारियां की गई हैं। ज्वाला से मंगाई गई जोत सुबह साढ़े 8 बजे प्रज्ज्वलित होगी। वहीं मंदिर के कपाट पूरे नवरात्रों के दौरान 24 घंटे खुले रहेंगे। मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि सुबह माता की अखंड जोत जलाई जाएगी। इसके बाद विधिवत माता का श्रृंगार होगा। ढोल-नगाड़े के साथ श्रद्धालु कार्यक्रम में भाग लेंगे।

वहीं प्रबंधक बसंत कालरा ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर 400 सेवादार और पबंधन कमेटी के 25 सदस्य सहयोग देंगे। दिन-रात कड़ी निगरानी में माता रानी का पूजन चलेगा। फूलों और लडि़यों से पूरा पंडाल सजाया गया है। आरती, भोग, भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण में भक्त रोजाना भाग लेंगे।

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