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कागजों पर पूरी सैलरी, हाथ में आधी

नई दिल्ली। वरिष्ठ संवाददाता। राजधानी में एक निजी स्कूल के प्रबंधन पर उनके ही शिक्षकों और कर्मचारियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। स्कूल प्रबंधन के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में शिक्षकों और...

कागजों पर पूरी सैलरी, हाथ में आधी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 23 Sep 2014 12:43 AM
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नई दिल्ली। वरिष्ठ संवाददाता। राजधानी में एक निजी स्कूल के प्रबंधन पर उनके ही शिक्षकों और कर्मचारियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। स्कूल प्रबंधन के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में शिक्षकों और कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि कागजों पर तो उन्हें सरकारी स्कूल के बराबर वेतन व भत्ते दिए जाते हैं लेकिन हकीकत में उन्हें बहुत ही कम वेतन दिया जाता है। इतना ही नहीं, शिक्षकों और कर्मचारियों का दावा है कि स्कूल प्रबंधन उनकी तरफ से हर साल आयकर का भुगतान भी कर रहा है।

इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस हीमा कोहली ने शिक्षा निदेशालय को 24 नवंबर तक विस्तृत जानकारी देने का आदेश दिया है। उन्होंने दिलशाद पब्लिक स्कूल को भी हलफनामा दाखिल कर सफाई देने को कहा है। हाईकोर्ट ने अजय शर्मा, शांति लाल व अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और आरुषी अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है।

याचिका में कहा गया है कि पांचवे वेतन आयोग के अनुसार वेतन की मांग को लेकर स्कूल के शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वर्ष 2005 में कर्मचारियों और स्कूल प्रबंधन के बीच आपसी सहमति के बाद हाईकोर्ट ने चेक के जरिए वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया। लेकिन 9 साल तक स्कूल प्रबंधन ने इस पर अमल नहीं किया। अधिवक्ता अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि पिछले माह स्कूल प्रबंधन ने सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को बैंक में खाता खुलवाने का निर्देश दिया ताकि वेतन सीधे उनके खाते में स्थानांतरित किया जा सके।

इसमें यह भी कहा गया है कि स्कूल ने सभी को अपना-अपना पासबुक और खाली चेक पर हस्ताक्षर कर जमा कराने का निर्देश दिया। याचिका में आरोप है कि पासबुक और हस्ताक्षर करके चेक नहीं देने की वजह से स्कूल प्रबंधन ने खाते में उनकी वेतन नहीं दिया। 22 साल की नौकरी के बाद महज 2300 रुपये वेतन दिलशाद पब्लिक स्कूल में 22 साल से पानी पिलाने का काम कर रही मनोरमा पांडेय को महज 2300 रुपये प्रतिमाह वेतन मिल रहा है।

कमोवेश यही हाल 14 साल से स्कूल में चपरासी के तौर पर काम कर रहे नंद किशोर का भी है। उन्हें महज 2800 रुपये वेतन दिया जाता है। दोनों का दावा है कि स्कूल प्रबंधन कागजों पर उनकी सैलरी हजारों दिखाता है लेकिन उनके हाथों में चंद रुपये देता है।

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