शिक्षक भर्ती में 45 प्रतिशत का विवाद भी पहुंचा कोर्ट
इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता। 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में 45 प्रतिशत का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। राज्य स्तरीय समस्या निवारण समिति की अनुशंसा पर सरकार ने स्नातक में 45 प्रतिशत से कम पाने...
इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता। 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में 45 प्रतिशत का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। राज्य स्तरीय समस्या निवारण समिति की अनुशंसा पर सरकार ने स्नातक में 45 प्रतिशत से कम पाने वाले सामान्य और 40 फीसदी से कम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग में शामिल नहीं करने का निर्णय लिया है।
इसे उन अभ्यर्थियों ने चुनौती दी है, जिन्होंने परास्नातक के आधार पर बीएड किया है। पीजी के आधार पर बीएड करने वाले मनीष कुमार सिंह व पांच अन्य की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में अभ्यर्थियों का तर्क है कि उन्होंने एनसीटीई की गाइडलाइन के आधार पर बीएड किया है। 20 मई 2011 को राजस्थान हाईकोर्ट ने भी उन सभी अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती में शामिल करने के आदेश दिए थे, जिन्होंने समय-समय पर जारी एनसीटीई की अधिसूचना के आधार पर बीएड किया है।
यहां तक कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2013 की टीईटी में भी परास्नातक के आधार पर बीएड करने वालों को शामिल किया था। अब इन्हंे काउंसिलिंग से बाहर किया जा रहा है। परास्नातक के आधार पर बीएड करने वाले हजारों अभ्यर्थी हैं जिन्होंने इस भर्ती के लिए आवेदन कर रखा है।
ढाई साल तक इंतजार के बाद अब इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। हाईकोर्ट ने याचिका पर राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। विरोधियों ने भी दाखिल की कैविएट परास्नातक के आधार पर बीएड करने वालों को 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती से बाहर करने के लिए विरोधी गुट भी सक्रिय हो गया है।
इस भर्ती के अभ्यर्थी संजीव कुमार मिश्र ने हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल किया है कि स्नातक में 45 प्रतिशत से कम वाले याचिका दायर करते हैं तो उनका पक्ष भी सुना जाए।