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जसवंत नगर के परिणामों ने तोड़ दिया भाजपा का दिल

मनोज चतुर्वेदी, मैनपुरी। लोकसभा उपचुनाव में उम्मीद के विपरीत आए नतीजों से भाजपा खेमा हैरान है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को इतनी बड़ी हार की उम्मीद कतई नहीं थी। बुधवार को भाजपाई खेमा हार के...

जसवंत नगर के परिणामों ने तोड़ दिया भाजपा का दिल
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 18 Sep 2014 12:44 AM
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मनोज चतुर्वेदी, मैनपुरी। लोकसभा उपचुनाव में उम्मीद के विपरीत आए नतीजों से भाजपा खेमा हैरान है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को इतनी बड़ी हार की उम्मीद कतई नहीं थी। बुधवार को भाजपाई खेमा हार के कारणों की तलाश में जुटा रहा।

वहीं नेताओं ने इस हार के लिए अलग-अलग कारण गिनाए। पार्टी को जसवंत नगर विधानसभा में अप्रत्याशित परिणामों की उम्मीद थी लेकिन वहां के मतदाताओं ने भी हमेशा की तरह भगवा खेमे का साथ नहीं दिया।

मैनपुरी विधानसभा सीट पर जीत की उम्मीदें लगाए बैठा भाजपा खेमा सदर सीट के परिणामों को देख भौचक्का रह गया। परिणाम आने के बाद हार जीत के गणित में भाजपाई खेमा उलझ गया है। लोकसभा के सामान्य चुनाव में जिस तरह भाजपा प्रत्याशी एसएस चौहान को जिले के मतदाताओं ने भरपूर वोट दिए।

2 लाख 31 हजार वोट मिलने से उत्साहित भाजपाई उपचुनाव को लेकर बेहद आशावान थे। लेकिन उपचुनाव की शुरूआत में ही भाजपा सपा से पिछड़ गयी। सबसे पहले हाईकमान ने मैनपुरी उपचुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी घोषित करने में देरी कर दी। नामांकन दाखिल होने से ठीक दो दिन पहले प्रेम सिंह शाक्य को उम्मीदवार घोषित किया गया। इससे पहले जिले भर में कभी अशोक सिंह चौहान, कभी अशोक यादव तो कभी किसी अन्य लीडर का नाम जनता के बीच भाजपा प्रत्याशी के रूप में तैरता रहा।

इसी के चलते मतदाताओं में भाजपा को लेकर असमंजस के हालात पैदा बने रहे। रही सही कसर चुनाव प्रचार के दौरान मैनपुरी नहीं आए पार्टी के बडे़ लीडरों ने पूरी कर दी और अंतत: वही हुआ जिसका भाजपा के मतदाताओं को डर था। भाजपा प्रत्याशी उम्मीद के विपरीत 3 लाख 21 हजार के बडे़ अंतर से चुनाव हार गए। इनसेट मतदान का दिन आते-आते कमजोर पड़ गई भाजपा की हवा मैनपुरी। उपचुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था।

इस स्थिति का लाभ लेने के लिए भगवा खेमे ने चुनाव प्रचार में भरपूर प्रयास किए मगर चुनाव प्रचार के अंतिम तीन दिन भाजपा खेमे पर भारी पड़ गए। पार्टी के पास अंतिम दिनों में धन की कमी आडे़ आ गयी और बूथों पर एजेंटों को तैयार करने में भी भाजपा पिछड़ गई। जसवंत नगर, करहल के ज्यादातर बूथों पर भाजपा के मतदान एजेंट ही तैनात नहीं हो सके। यही स्थिति अन्य विधानसभाओं में भी सामने आई। फलस्वरूप भाजपा के पक्ष में जो हवा चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में बनी रही वो मतदान का दिन आते-आते पूरी तरह मंद पड़ गयी।

इनसेट कार्यकर्ता पूछ रहे प्रचार में क्यों नहीं आए बडे़ लीडर मैनपुरी। उपचुनाव के बाद भाजपा समर्थक मतदाता भाजपा के बडे़ लीडरों से खासे नाराज नजर आ रहे हैं। पार्टी के समर्थक मतदाता नेताओं से यही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर पूरे चुनाव में पार्टी का बड़ा लीडर प्रचार करने नहीं आया।

जबकि सपा प्रत्याशी के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आधा दर्जन सभाएं कीं। प्रो. रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव, धर्मेन्द्र यादव जैसे लोकप्रिय लीडर जिले में डेरा जमाए रहे और भाजपा के पक्ष में एक मात्र योगी आदित्यनाथ की जनसभा भी पूरी नहीं कराई जा सकी। 

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