सरकार जानबूझकर लोकायुक्त नियुक्त नहीं कर रही: खंडूरी
छह महीने पहले उत्तराखंड विधानसभा में लोकायुक्त कानून पारित हो जाने के बावजूद लोकायुक्त की नियुक्ति न हो पाने के लिये राज्य सरकार की आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने गुरुवार को...
छह महीने पहले उत्तराखंड विधानसभा में लोकायुक्त कानून पारित हो जाने के बावजूद लोकायुक्त की नियुक्ति न हो पाने के लिये राज्य सरकार की आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने गुरुवार को कहा कि यह देरी जानबूझकर की जा रही है।
पौड़ी से लोकसभा सांसद खंडूरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार लोकायुक्त की नियुक्ति में जानबूझकर देर कर रही है, क्योंकि उसे डर है कि सरकारी पदों पर बैठे हुए उसके लोग इस भ्रष्टाचार निरोधी कानून के दायरे में आ जायेंगे।
उन्होंने इस सबंध में आरोप लगाया कि राज्य सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। खंडूरी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी इस बात से भी जाहिर होती है कि उनके कार्यकाल के
दौरान वर्ष 2011 में राज्य विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा मंजूर किये गये लोकायुक्त विधेयक को उसने निरस्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती विजय बहुगुणा सरकार ने केंद्र के लोकपाल की तर्ज पर एक बहुत कम सख्त लोकायुक्त विधेयक पारित किया और अब उसकी नियुक्ति भी नहीं कर रही है। इससे पता चलता है कि सरकार के पास भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये इच्छा ही नहीं है।
बहुगुणा सरकार ने इस वर्ष 21 जनवरी को राज्य विधानसभा में लोकायुक्त विधेयक पारित कराया था और संवैधानिक प्रावधानों के तहत इसे छह महीने के भीतर लागू किया जाना था। लोकायुक्त की नियुक्ति के लिये छह माह की अवधि आगामी 26 अगस्त को समाप्त हो रही है।