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दहेज मौत के 14 साल पुराने मामले में पति बरी

दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति और उसके परिवार के चार सदस्यों को दहेज मौत के 14 साल पुराने मामले में बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने पूर्वी दिल्ली निवासी वायु सेना कर्मी...

 दहेज मौत के 14 साल पुराने मामले में पति बरी
एजेंसीTue, 22 Jul 2014 02:32 PM
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दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति और उसके परिवार के चार सदस्यों को दहेज मौत के 14 साल पुराने मामले में बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने पूर्वी दिल्ली निवासी वायु सेना कर्मी दिनेश कुमार गौतम, उनकी मां विमलेश और परिवार के तीन अन्य लोगों को बरी कर दिया।
    
इन लोगों पर महिला के साथ उसके पति और परिवार के सदस्यों द्वारा क्रूरता किए जाने तथा दहेज मौत के आरोपों में भादंसं की धारा 498ए और 304बी के तहत मामला चल रहा था।
    
सविता वर्ष 2000 में अपने ससुराल में फांसी से लटकी पाई गई थी। न्यायाधीश ने मृतका के ससुराल के लोगों को बरी करते हुए कहा, मुझे लगता है कि मांग और उसके बाद क्रूरता तथा उत्पीड़न के आरोप किसी ठोस तथ्य पर आधारित नहीं हैं तथा वे बिना किसी परिपुष्टि के सामान्य और अस्पष्ट रहे हैं ।
    
अदालत ने सविता की बेटी की इस गवाही पर भरोसा किया कि उसकी मां और दादी के बीच इस तरह का कोई झगड़ा नहीं हुआ था। न्यायाधीश ने कहा, सास और बहू के बीच दहेज या अन्य गैर कानूनी मांग से इतर अन्य किसी बात पर झगड़ा होना भारतीय परिवारों में कोई बहुत असामान्य नहीं है ।
    
उन्होंने कहा, हालांकि, इस तरह के सभी झगड़ों को ऐसी क्रूरता का रूप नहीं दिया जा सकता। जिससे कि पीडिम्ता आत्महत्या कर ले, न ही इस तरह के झगड़े को किसी गैर कानूनी मांग से संबंधित क्रूरता या उत्पीड़न माना जा सकता है।

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