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ऐसा हो आम बजट जो रखे सबका ख्याल

मुजफ्फरपुर। कार्यालय संवाददाता। मोदी सरकार के पहले आम बजट से हर वर्ग उम्मीद लगाए बैठा है। रेल बजट ने भले ही उत्तर बिहार को निराश किया हो, लेकिन गुरुवार को पेश होने वाले आम बजट की ओर सभी देख रहे...

ऐसा हो आम बजट जो रखे सबका ख्याल
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 10 Jul 2014 12:43 AM
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मुजफ्फरपुर। कार्यालय संवाददाता। मोदी सरकार के पहले आम बजट से हर वर्ग उम्मीद लगाए बैठा है। रेल बजट ने भले ही उत्तर बिहार को निराश किया हो, लेकिन गुरुवार को पेश होने वाले आम बजट की ओर सभी देख रहे हैं।

इसके पीछे कारण भी हैं। आम बजट का असर व्यापक होता है। बजट में लिए गए फैसले देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे और इसकी जद में हर आम और खास आएगा। बजट के जरिए महंगाई पर लगाम लगने की आस हर वर्ग को है। दूसरा मसला आयकर की सीमा को लेकर है। मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग के लोगों को आस है कि नई सरकार आयकर के वर्तमान स्लैब को बढ़ाकर राहत देगी। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सीडी के तरीकों में भी बदलाव की चाह है।

गृहणियों को खाद्य सामग्रियों के साथ-साथ गैस के दाम की चिंता है। मानना है कि दाम बढ़ाना जरूरी हो तो लक्जरी आइटम पर बढ़ाएं। खाद्य सामग्री और गैस के दाम बढ़ने से निम्न और मध्यम वर्ग सबसे अधिक परेशान होता है। ( सभी की सपरिवार तस्वीर)महंगाई पर पाना होगा काबू एलएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमरेंद्र नारायण यादव कहते हैं कि महंगाई से आम और खास दोनों परेशान हैं। काबू नहीं पाया गया तो इसके भीषण परिणाम देखने को मिलेंगे।

आम बजट ऐसा हो कि वह निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए मरहम का काम करे। दोनों वर्ग अशिक्षा, बेरोजगारी, कुपोषण की समस्या से सबसे ज्यादा परेशान हैं। उम्मीद करते हैं की सरकार महंगाई पर काबू पाने के उपाय बजट के माध्यम से करेगी। साथ ही आयकर सीमा को बढ़ाकर कम से कम तीन लाख और सीनियर सिटीजन के लिए साढ़े तीन लाख किया जाना चाहिए। ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों को बजट में ज्यादा तरजीह देनी चाहिए।

इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च, टैक्स में रियायत अजय नंदे व नीता नंदे दोनों बैंक कर्मी हैं। आम बजट पर इन्होंने साफ शब्दों में कहा कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सरकार टैक्स की राशि को आधारभूत संरचना पर खर्च करे। साथ ही आयकर की सीमा में छूट दे। महंगाई के दौर में यह जरूरी भी है। साथ ही कई तरह के व्यावसायिक करों को विलोपित कर एक टैक्स रखा जाए, ताकि लोग राहत महसूस कर सकें।

मध्यम वर्ग के लिए आज हाउसिंग व कार लोन का प्रीमियम अधिक पड़ता है। सर्विस टैक्स, वैट और रोड टैक्स जैसी व्यवस्था भी उन्हें परेशान करती हैं। इनका सरलीकरण हो। वाजपेयी सरकार की तर्ज पर सरलीकरण के लिए गंभीर प्रयास किए जाएं। सब्सीडी वितरण सुधरे, व्यापारियों को मिले पेंशन युवा व्यवसायी अम्बिका ढंढ़ारिया कहते हैं कि उम्मीद है नए बजट में महंगाई पर काबू पाने के उपाय किए जाएंगे। साथ ही सब्सीडी वितरण प्रक्रिया में बदलाव लाया जएगा। वर्तमान में गैस और पेट्रोल की सब्सीडी का लाभ योग्य और अयोग्य दोनों उठाते हैं।

व्यवस्था हो कि जरूरतमंदों को ही सब्सीडी का लाभ मिले। व्यापारियों से मिलने वाले टैक्स का एक भाग भविष्य निधि के रूप में सरकार जमा करे। रिटायरमेंट की उम्र के बाद व्यापारियों को बतौर पेंशन वह राशि लौटायी जाये। आयकर की सीमा बढ़े। छोटे होटल व ढाबों को सर्विस टैक्स से मुक्त किया जाए। कहती हैं महिलाएं..आयकर में छूट, पढ़ाई हो सस्ती (सिंगल फोटो)कामकाजी महिला पूजा शर्मा कहती हैं कि बजट में महिलाओं को आयकर में विशेष छूट का प्रावधान होना ही चाहिए।

महिलाओं को जब तक आर्थिक रूप से मजबूत होने का अवसर नहीं मिलेगा, वह स्वावलंबी नहीं हो सकतीं। महंगाई पर काबू पाना बजट की प्राथमिकता होनी चाहिए। बच्चों की पढ़ाई में ही ज्यादातर परिवारों का बजट बिगड़ रहा है। सरकार को कुछ कड़े फैसले स्कूल प्रबंधन के संबंध में भी लेने चाहिए। स्कूलों की मनमानी पर रोक लगेगी तो लोग राहत की सांस लेंगे। व्यापारियों को मिले सुरक्षा (सिंगल फोटो)व्यवसायी महिला शोभा शलभपुरिया कहती हैं कि महंगाई देश के सामने सबसे अहम मुद्दा है।

इस पर काबू पाने के लिए सरकार को हर जरूरी कदम उठाने चाहिए। साथ ही पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दाम पर नियंत्रण होना चाहिए। हर आम और खास प्रभावित होता है। व्यापारी वर्ग पूरे साल टैक्स देता है, उनकी सुरक्षा और मजबूती के लिए भी सरकार को कदम उठाने चाहिए। व्यवसायी वर्ग एक निरीह प्राणी बनकर रह गया है जो मशीन की तरह टैक्स तो देता है, पर उसकी चिंता सरकार कतई नहीं करती। जरूरत के सामान हों सस्ते (सिंगल फोटो)गृहणी सविता सिंह बताती हैं कि जरूरत की चीजों को सस्ता करना सरकार का लक्ष्य होना चाहिए।

सही दाम पर खाद्य चीजें मिलें। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम काबू में हों। सरकार को विकास के लिए राशि की जरूरत है तो लक्जरी आइटम पर टैक्स बढ़ाया जाए। जरूरत की चीजें महंगी होने का चौतरफा बुरा असर पड़ता है। चैम्बर ऑफ कॉमर्स की मांगें-आयकर में छूट की सीमा को हर साल बढ़ाया जाए, उसे एक बार में ही पांच लाख कर दिया जाए। -पीएफ और एलआईसी में निवेश करने पर कर छूट की सीमा एक लाख से बढ़ाकर दो लाख की जाए।

-नगद लेनदेन की सीमा बीस हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपए तक की जाए। -टैक्स प्रणाली का सरलीकरण किया जाए। कई तरह के टैक्स का एक साथ समायोजन किया जाए। -वरिष्ठ नागरिक व महिलाओं को कर में रियायत देकर उन्हें सुविधाएं मुहैया करायी जाए। -महंगाई पर रोक लगाने के लिए सतत नगिरानी की व्यवस्था की जाए। -बैंक शाखाओं का ग्रामीण स्तर तक विस्तार किया जाए और आबादी के अनुरूप शाखाएं खुलें।

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