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समय के साथ बदल गया सेहरी का ट्रेंड

हिन्दुस्तान संवाददाता, अलीगढ़। पकवानों की खुशबू और पूरी रात जगमगाते बाजार। गली मोहल्लों में होटलों और ढाबों की रौनक के बीच लोगों का जमावड़ा। खाते-पीते एक-दूसरे के साथ जमकर होती मौज मस्ती। रमजान के...

समय के साथ बदल गया सेहरी का ट्रेंड
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 05 Jul 2014 10:26 PM
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हिन्दुस्तान संवाददाता, अलीगढ़। पकवानों की खुशबू और पूरी रात जगमगाते बाजार। गली मोहल्लों में होटलों और ढाबों की रौनक के बीच लोगों का जमावड़ा। खाते-पीते एक-दूसरे के साथ जमकर होती मौज मस्ती। रमजान के महीने की यह सब ट्रेंड शायद ही आगे देखने को मिले। वक्त के तेजी से चलते पहिए के साथ सब कुछ काफी बदल गया है।

पहले रातभर गुलजार रहते थे। लोग वहीं सेहरी किया करते थे, वहीं अब घरों में ही सेहरी करने में दिलचस्पी ली जाने लगी है। पहले सेहरी के लिए लोग रात भर जागकर तैयारियां किया करते थे। बाजारों में दुकानें विभिन्न प्रकार के पकवानों से सजी रहती थीं। पूरी रात बाजार चलते रहते थे और लोग अपने घरों में कम और सड़कों पर ज्यादा दिखते थे। गली-मोहल्लों में देखा जाए तो कोई बात करता हुआ तो कोई ढाबों पर एक-दूसरे के साथ खान-पान का लुत्फ उठाता दिखता था।

लेकिन अब इस ट्रेंड में काफी बदलाव आ चुका है। लोग अब दुकानों पर जाने की बजाय अपने घरों में सेहरी करने लगे हैं। भीड़-भाड़ और रौनक में अब दिलचस्पी कम होने लगी है। वक्त के साथ अब सब कुछ काफी नया सा हो गया है। लोग पहले रात में तैयार होने वाली चीजों से सेहरी करना पसंद करते थे, वहीं अब सेहरी का पूरा इंतजाम रात में ही कर लिया जाने लगा है। कुछ लोग अभी भी पुराने रीति-रविाजों को पूरा कर रहे हैं।

लेकिन बहुत सी जगहों पर तो सुबह उठकर बस समय से पूर्व कुछ खाकर रश्म अदायगी भर की जाने लगी है। वर्जन--पहले का समय कुछ और होता था। सभी लोग बाजार में ही सेहरी किया करते थे। अब वैसा कुछ नहीं होता, लोग घरों में ही रहते हैं। नमाज अदा करने के लिए ही मस्जिद में मिलते हैं। कहीं-कहीं तो वो भी कम हो गया है। लोग घरों में ही नमाज कर लिया करते हैं। -अजमत खान-पिछले काफी सालों से सब बदलता जा रहा है।

हकीकत तो यह है कि अब समय बहुत आगे बढ़ता जा रहा है। लोगों के पास समय ही नहीं रह गया है। पहले लोग रात उठ कर घर से निकलते थे। अपने दोस्तों के साथ खाते-पीते थे। नमाज व सेहरी के बाद ही वापस जाते थे। लेकिन अब सब बदल गया है। -फइक हुसैन-कुछ सालों पहले तक यह चलन हर ओर था, आप ऊपरकोट या कोई भी बड़ा बाजार देखिए वहां पर रौनक पूरी रात रहती थी। लेकिन अब लोगों के पास काम इतना हो गया है कि वे इन सबके लिए समय ही नहीं पाते हैं।

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