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घाटों पर गंदगी और कचरा, कठिन होगा अर्घ्यदान

लोक आस्था के महापर्व सूर्य षष्ठी पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान सोमवार को शुरू हो जाएगा। बुधवार को सूर्य देव को पहला अर्घ्य छठव्रती देंगे। लेकिन जिन घाटों पर सूर्य की आराधना करते हुए व्रती अर्घ्य देंगे,...

घाटों पर गंदगी और कचरा, कठिन होगा अर्घ्यदान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Oct 2014 09:11 PM
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लोक आस्था के महापर्व सूर्य षष्ठी पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान सोमवार को शुरू हो जाएगा। बुधवार को सूर्य देव को पहला अर्घ्य छठव्रती देंगे। लेकिन जिन घाटों पर सूर्य की आराधना करते हुए व्रती अर्घ्य देंगे, उनकी हालत खराब है। वहां गंदगी और कचरा पसरा है। शहर में कई ऐसे नदी तट हैं जो प्रशासनिक तैयारी को मुंह चिढ़ाते हैं। शनिवार को ब्रह्मपुर स्थित शिवशक्ति घाट से लेकर रूपगंज घाट तक देखने के बाद निराशा हाथ लगी।

कहीं जमीन दलदली हो गयी है। पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है तो कहीं इतना कचरा पसरा है कि पानी की धारा तक जाने की हिम्मत नहीं हो रही। अगले तीन दिनों में प्रशासन किस हद तक व्रतियों की सहूलियत का खयाल रखता है, यह देखने वाली बात होगी। सभी घाट अव्यवस्थित और गंदगी भरे शहर के प्राय: सभी घाट अव्यवस्थित और गंदगी भरे हैं। सरयू नदी का दहियांवा घाट दलदली है। काफी खतरनाक है। पैदल चलने में पांच जमीन में धंस रहे हैं।

फिसलन भी काफी है। माथे पर दउरा रखकर जाने के पहले संभलकर पांव रखना होगा। दौलतगंज घाट और रुपगंज घाट गंदगी के मामले में समान हैं। दोनों शहर के दो भागों में हैं लेकिन दोनों ही घाटों पर गंदगी एक समान है। नदी की धारा तो वैसे भी दूर है। उस पर से ये गंदगी। कहीं फटे-पुराने कपड़े फेंके गये हैं तो कहीं घरों से निकाले गये काफी मात्रा में कचरे। घरों की साफ-सफाई के बाद कचरे लाकर इधर ही फेंके गये हैं।

सत्यनारायण मंदिर घाट, धर्मनाथ मंदिर घाट के भी यहीं हालात हैं। व्रतियों के परिजन चिंतित हैं कि आखिर अर्घ्यदान कहां किया जाएगा। सफाई का नहीं दिख रहा इंतजाम प्रशासनिक स्तर पर नदी घाटों की सफाई का कोई प्रभावी इंतजाम होता नहीं दिख रहा है। शहर के नदी घाटों का निरीक्षण भी अभी किसी अधिकारी ने नहीं किया है। नगरपालिका की ओर से सफाई का अभी भी लोगों को इंतजार है। कई ऐसी सड़कें भी हैं तो घाटों तक जाती हैं और उनकी सफाई होनी बाकी है।

डोरीगंज में शुक्रवार को अधिकारी गये थे। लेकिन समीप के रिविलगंज में अभी नहीं पहुंचे हैं। वहां के घाटों पर अरार और पानी की कमी ने व्रतियों को परेशानी में डाल दिया है।

कॉलोनियों में भी बन रहे छोटे अस्थायी तालाब

घरों के आसपास स्थित खाली जमीन में अस्थायी तालाब बनाकर और घरों की छतों पर छठ मनाने की परंपरा शहर में जोर पकड़ती जा रही है। इसका प्रमुख कारण है नदी घाटों की लगातार बिगड़ती स्थिति और धारा का कछार से दूर होते जाना। इस बार भी सरयू व गंगा की स्थिति को देखकर हजारों छठ व्रती अस्थायी तालाब व घर की छत पर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने की तैयारी में हैं।

डोरीगंज में गंगा और शहर के किनारे से बह रही सरयू की धारा के कछार से दूर जाने के कारण इसके तट तक पहुंचना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है। घाटों की बिगड़ती स्थिति से त्रस्त होकर शहर के रिहायशी इलाकों में अस्थायी तालाब बनाकर अर्घ्य देने की सहूलियत अब परंपरा का रूप लेने लगी है।

ब्रह्मपुर से रूपगंज घाट तक सरयू की धारा कछार से काफी दूर चली गयी है। किनारे में झाड़-झंखाड़ और गंदगी है। मात्र इतना ही नहीं, धारा तक के बीच के रास्ते में दलदल भी हैं। नतीजतन कई मोहल्लों में अर्घ्य देने के लिए सार्वजनिक रूप से अस्थायी तालाब का निर्माण करने को लोग महत्त्व देने लगे हैं। विभिन्न कॉलोनियों में भी खाली जगह देख लोग अस्थायी तालाब बना रहे हैं। कुछ वर्षों पहले तक शहर के नेवाजी टोला घाट, रुपगंज घाट, सत्यनारायण मंदिर घाट, सोनारपट्टी घाट, धर्मनाथ मंदिर घाट पर दर्जनों मोहल्लों से हजारों की संख्या में छठ व्रती अर्घ्य देने तट पर जाते थे।

रिविलगंज, मांझी और डोरीगंज जाने वालों की भी बड़ी संख्या होती थी। लोग नदी में सूर्य देव को अर्घ्य देते थे। लकिन घाटों की दुर्दशा और रास्तों की खराब हालत से छठ व्रती गंगा घाट जाने की बजाए अस्थायी तालाब या घर की छत पर ही अर्घ्य देना पसंद करते हैं। घरों की छत पर या कैंपस में अस्थायी तालाब में अर्घ्य देने की तैयारी है।

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