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महिला डॉक्टर को गुजारा भत्ता दिलाने से कोर्ट का इंकार

दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला चिकित्सक को अलग रह रहे पति से अंतरिम गुजारा भत्ता दिलाने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि पत्नी की अच्छी खासी रकम की आय है और एक पक्ष को गुजारा भत्ता दूसरे व्यक्ति को...

महिला डॉक्टर को गुजारा भत्ता दिलाने से कोर्ट का इंकार
एजेंसीSun, 19 Apr 2015 11:51 AM
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दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला चिकित्सक को अलग रह रहे पति से अंतरिम गुजारा भत्ता दिलाने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि पत्नी की अच्छी खासी रकम की आय है और एक पक्ष को गुजारा भत्ता दूसरे व्यक्ति को सजा देने के लिए नहीं दिया जाता।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनु राय सेठी ने महिला की अपील खारिज करते हुए कहा कि वह 20,000 से अधिक राशि प्रति माह कमाती है और यह नहीं कहा जा सकता कि वह अपना गुजारा करने की स्थिति में नहीं है।

अदालत ने कहा एक पक्ष को गुजारा भत्ता दूसरे व्यक्ति को सजा देने के लिए नहीं दिया जाता। अंतरिम गुजारा भत्ता सुनवाई लंबित रहने के दौरान दावेदार को उसकी आजीविका चलाने में मदद के लिए दिया जाता है।

अदालत ने सुनवाई अदालत का वह आदेश बरकरार रखा जिसमें महिला को यह कहते हुए अंतरिम गुजारा भत्ता देने से मना किया गया था कि वह और उससे अलग रह रहे उसके पति समान रूप से शिक्षित हैं और पत्नी भी काम कर रही है।

अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता महिला 20,000 रूपये प्रतिमाह से अधिक कमाती है। यह बात कल्पना से परे है कि यह रकम बहुत कम है और यह भी कि, इतनी रकम अर्जित करने वाला व्यक्ति अपना गुजारा नहीं चला सकता।

महिला ने अपील में दावा किया था कि निचली अदालत ने गलत तरीके से उसका दावा खारिज कर दिया क्योंकि उसका पति उससे अधिक शिक्षित है और दोनों को उनकी आय के संदर्भ में समान नहीं समझा जा सकता।

उसने दावा किया था कि उसके पति ने ऑस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा हासिल की और प्रति माह 1.4 लाख रूपये कमाता है तथा उसका जीवन स्तर बहुत बेहतर है। उसके अनुसार, पत्नी होने के नाते वह भी समाज में उसी दर्जे और जीवन स्तर की हकदार है।

दूसरी ओर पति ने महिला का दावा खारिज करते हुए कहा कि उसकी अलग रह रही पत्नी ने बीडीएस की डिग्री हासिल की और फिर एमबीए भी कर लिया। वह फिलहाल जो नौकरी कर रही है, उसे उससे बेहतर नौकरी मिल सकती है।

उसने आरोप लगाया कि महिला ने जानबूझकर बेहतर वेतन वाली नौकरी खोजने का प्रयास नहीं किया। अंतरिम गुजारा भत्ता के लिए सुनवाई अदालत मे की गई अपील में महिला ने कहा कि उसका विवाह 11 मई 2011 को उत्तर प्रदेश में हिंदू रीतिरिवाज से हुआ था। उसने कहा कि विवाह में मिले दहेज से उसके ससुराल वाले खुश नहीं थे और उसे आए दिन मौखिक, भावनात्मक तथा मानसिक रूप से प्रताडित करते थे।

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