बदमाश नहीं ट्रांसपोर्टर था रणवीर
डिबाई में हुए एनकाउंटर में पुलिस की गर्दन फंस गई नजर आ रही है। पुलिस ने जिस युवक को शराब तस्कर बताकर ढेर कर दिया, वह रेवाड़ी का एक प्रतिष्ठित ट्रांसपोर्टर निकला। मृतक के परिजनों ने पुलिसकर्मियों पर...
डिबाई में हुए एनकाउंटर में पुलिस की गर्दन फंस गई नजर आ रही है। पुलिस ने जिस युवक को शराब तस्कर बताकर ढेर कर दिया, वह रेवाड़ी का एक प्रतिष्ठित ट्रांसपोर्टर निकला। मृतक के परिजनों ने पुलिसकर्मियों पर रुपयों के लिए ट्रांसपोर्टर की हत्या करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है।
सोमवार को पुलिस एनकाउंटर में मारे गए युवक रनवीर के दादा दादा रामकिशन, चाचा प्रीतराम और साला सुनील आदि लोग मंगलवार रात बुलंदशहर पहुंचे। जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस पर रखे शव को देखते ही परिजनों के होश फाख्ता हो गए। रोते हुए चाचा प्रीतराम ने बुलंदशहर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनके भतीजे को शराब तस्कर बताकर बदमाशों की तरह मारा गया, जबकि शराब की तस्करी से उसका दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। रनवीर का रेवाड़ी में ट्रांसपोर्ट का काफी अच्छा काम है। उसके पास अपने चार-पांच मिनी ट्रक और बड़े वाहन हैं।
रनवीर अपने दोस्तों के साथ गया था। दूसरे प्रदेश जाने की बात भी किसी को नहीं मालूम थी। दादा रामकिशन ने रोते-बिलखते हुए कहा कि वह उनके पोते को बदमाश की तरह मारने वाले पुलिसकर्मियों को नहीं छोड़ेंगे। पुलिसकर्मियों ने रनवीर के पास मौजूद लाखों रुपये हड़पने के लिए उसकी हत्या कर दी। कानून के जरिए सभी दोषी पुलिसकर्मियों को सजा दिलाएंगे। पोते की हत्या के मामले में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट तक मामले की पैरवी कर दोषियों को सजा दिलाकर रहेंगे।
रनवीर पर नहीं है कोई भी मुकदमा
पीड़ित परिजनों ने पोस्टमार्टम हाउस पर बताया कि मृतक रनवीर पर रेवाड़ी समेत देश के किसी भी थाना-कोतवाली में कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। पुलिस ने सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए एक निर्दोष को बदमाश बताकर मार दिया।
मुठभेड़ की फर्द में शामिल होने से बचते रहे पुलिसकर्मी
किसी मुठभेड़ में शामिल होना पुलिसकर्मियों के लिए गर्व की बात होती है, किंतु डिबाई मुठभेड़ के बाद कोई पुलिसकर्मी उसमें शामिल ही नहीं होना चाहता था। किसी तरह सीओ के अलावा आठ पुलिसकर्मियों को फर्द में शामिल किया गया, जबकि बदमाशों का पीछा करने का दावा करने वाले खुर्जा कोतवाल साफ बच निकले।
एसएसपी की पत्रकार वार्ता में मंगलवार को दावा किया गया था कि खुर्जा पुलिस ने एक सूचना पर शराब के कैंटर के साथ चल रही स्विफ्ट कार को पकड़ने का प्रयास किया तो वह बैरियर को रगड़ते हुए कार भगा ले गए। इस पर प्रभारी निरीक्षक खुर्जा विवेक रंजन राय ने गाड़ी पुलिसकर्मियों समेत उसके पीछे लगा दी। इसके बाद केंटर को पकड़ लिया गया। बाद में वायरलैस पर सूचना पर नाकाबंदी कर दी गई। इसके बावजूद शिकारपुर, अहमदगढ़ आदि के बैरियर गिराकर शराब तस्करों की कार डिबाई में कसेर रेलवे फाटक के पास पहुंच गई। कार का पीछा खुर्जा नगर पुलिस भी कर रही थी। डिबाई में मुठभेड़ में एक शराब तस्कर मार दिया गया, जबकि दो को पकड़ लिया गया। सूत्रों की मानें तो मुठभेड़ की फर्द में शामिल होने का नंबर आया तो पुलिसकर्मी उससे बचने लगे। बाद में अधिकारियों के निर्देश पर सीओ डिबाई ब्रहम सिंह के अलावा उनके हमराह ललित और गाड़ी चालक धर्मराज तथा खुर्जा कोतवाली के पुलिसकर्मी प्रमोद कुमार, मणिकांत, सुशील, सचिन एवं हिमांशु को मुठभेड़ में दर्शाया गया। सवाल यह उठता है कि खुर्जा कोतवाल मुठभेड़ में शामिल क्यों नहीं हुए। जब शराब तस्करों के संबंध में वायरलैस कर दिया गया था तो शिकारपुर, अहमदगढ़ आदि क्षेत्रों में उन्हें क्यों नहीं पकड़ा जा सका? बैरियर गिराकर भागने के दौरान शिकारपुर, अहमदगढ़ पुलिस ने शराब तस्करों का पीछा क्यों नहीं किया? जाहिर है कि ऐसे कई सवालों का जवाब आने वाले दिनों में पुलिस अधिकारियों को देना होगा। बहरहाल, एसएसपी अनंत देव का कहना है कि शराब तस्करों के फायरिंग करने पर पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। मुठभेड़ पूरी तरह सही है।
आखिर किसने मांगे थे ट्रक छोड़ने के लिए दो लाख रुपये
खुर्जा में शराब का ट्रक पकड़ने के बाद चालक के माध्यम से दो लाख रुपये की डिमांड की गई थी। पकड़े गए एक आरोपी ने स्वीकार किया कि चालक ने फोन कर उसको पुलिस की डिमांड की जानकारी दी। इसके बाद सौदेबाजी शुरू हो गई। तब तक पुलिस को जानकारी मिल गई थी कि कार में कैश भी है। इसके बाद कार का पीछा शुरू कर दिया गया। पुलिस अधिकारियों ने दो लाख की डिमांड करने वाले पुलिसकर्मी का पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया है।
पुलिसकर्मियों की सुगबुगाहट पैदा कर रही शक
डिबाई में पुलिस के कथित एनकाउंटर के पीछे सवाल खड़े हो गए हैं। इस तरह पुलिसकर्मियों में पूरे मामले को लेकर सुगबुगाहट है। उससे एनकाउंटर शक के दायरे में है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि मृतक की शिनाख्त होने के बाद भी करीब 18 घंटे बाद परिजनों को सूचना क्यों दी गई?
डिबाई पुलिस की दावे पर विश्वास करें तो उनकी शराब तस्करों से 9 बजकर 45 मिनट पर मुठभेड़ हुई थी। घेराबंदी करने पर शराब तस्कर फायरिंग करते हुए भागे। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में एक शराब तस्कर ढेर हो गया, जबकि दो पकड़े गए। मृतक के पास से ड्राइविंग लाइसेंस मिला था, जिससे उसकी शिनाख्त रनवीर सिंह पुत्र जगफूल सिंह निवासी मलपुरा जिला रेवाड़ी (हरियाणा) के रूप में हो गई। इसके बाद पुलिस ने दो पुलिसकर्मियों के साथ शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शव का पोस्टमार्टम दोपहर करीब 3 बजे हो गया। उसके बाद करीब 4 बजे जिला अस्पताल से डिबाई पुलिस ने मृतक के परिजनों को सूचना दी, जिसमें बताया गया कि एक्सीडेंट में उनके पुत्र की मौत हो गई है। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि अगर एनकाउंटर सही था और मृतक की तत्काल शिनाख्त हो गई थी तो परिजनों को सूचना देने में करीब 18 घंटे की देरी क्यों की गई? इसके अलावा जिस तरह एनकाउंटर के बाद पुलिसकर्मियों में खुशी की जगह अजीब सी बेचैनी और सुगबुगाहट है, वह भी पूरे मामले को संदिग्ध बना रही है। चर्चा यह भी है कि पुलिस का इरादा परिजनों को मृतक के पोस्टमार्टम से दूर रखना था। इसी कारण उन्हें सूचना देने में देरी की गई।