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छठी बार किला भेदने को तैयार

दिल्ली में इस बार पांच दिग्गजों के सामने छठी बार अपना किला बचाने की चुनौती होगी। यह नेता 1993 में विधानसभा के गठन के बाद से लगातार चुनाव जीतते आए हैं। इसमें भाजपा के दो और कांग्रेस के तीन विधायक...

छठी बार किला भेदने को तैयार
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 27 Jan 2015 10:46 PM
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दिल्ली में इस बार पांच दिग्गजों के सामने छठी बार अपना किला बचाने की चुनौती होगी। यह नेता 1993 में विधानसभा के गठन के बाद से लगातार चुनाव जीतते आए हैं। इसमें भाजपा के दो और कांग्रेस के तीन विधायक शामिल हैं। भाजपा के जगदीश मुखी जनकपुरी से और साहब सिंह चौहान घोंडा से किस्मत आजमाएंगे। वहीं, कांग्रेस से मतीन अहमद सीलमपुर से, हारून युसूफ  बल्लीमारान से, जदयू से आए शोएब इकबाल मटियामहल से छठी बार चुनावी मैदान में उतरेंगे।

जगदीश  मुखी ने पहले चुनाव से लेकर मौजूदा चुनाव तक भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है। साहब सिंह चौहान 2013 और 2008 में घोंडा सीट से जीत चुके हैं। 2008, 1998 और 1993 में वे यमुना विहार सीट से जीते थे। दिल्ली में हुए परिसीमन के बाद उन्होंने अपनी सीट बदली और घोंडा दो बार चुनाव लड़ा। वहीं, हारून युसूफ ने भी पहले चुनाव से लेकर वर्तमान चुनाव कांग्रेस से लड़ा है। मतीन और इकबाल ने अपना पहला चुनाव जनता दल से लड़ा था। मतीन 2003 में कांग्रेस में शामिल हुए थे, जबकि इकबाल ने एक माह पहले ही कांग्रेस से हाथ मिलाया है।

इसमें से अधिकतर सीटों पर हारे हुए उम्मीदवारों को बदल दिया गया है। बल्लीमारान ने जहां भाजपा ने इस बार मोती लाल की जगह श्याम मोरवाल को उतारा है तो मटियामहल से भाजपा के उम्मीदवार आम आदमी पार्टी से कुछ समय पहले आए अंजुम देहलवी है तो आप के उम्मीदवार असीम अहमद खान है। जनकपुरी से भाजपा उम्मीदवार जगदीश मुखी के सामने जहां आप के राजेश रिषि फिर से चुनौती है तो कांग्रेस से मुकाबला उनके दामाद सुरेश कुमार से है।

वहीं सीलमपुर से भाजपा ने इस बार संजय जैन को उतारा है तो आप के उम्मीदवार हाजी इशरूख है। जगदीश मुखी कहते हैं कि तब से लेकर आज तक चुनाव लड़ने के तरीकों में बदलाव आया है। अब ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सअप जैसे सोशल मीडिया के माध्यम का महत्व बढ़ा है। लोगों और कार्यकर्ताओं तक बात पहुंचाने के लिए एसएमएस का सहारा लिया जाता है। कांग्रेस के हारून युसूफ कहते हैं सोशल मीडिया आने के बाद प्रचार के तौर-तरीके में बड़ा बदलाव आया है। अधिक लोगों तक इससे कम समय में पहुंचना आसान होता है लेकिन लोगों से सीधा संवाद अधिक जरूरी है। मौजूदा समय में भी प्रचार का सबसे प्रभावी माध्यम लोगों से सीधे बात करना है।

सेंटर फॉर पालिसी अफेयर्स एंड रिसर्च के राहुल कहते हैं कि इन सीटों पर अभी तक हुए चुनावों में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा है। सिर्फ जनकपुरी में आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा था। ऐसे में इस बार इन सीटों पर यह चुनाव काफी रोचक होने की उम्मीद है।

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