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कांग्रेस सहित कई दलों ने जीएसटी पर उठाए सवाल

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को वस्तु एवं सेवाकर से संबंधित एक सौ बाईसवां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पारित नहीं होगा। संविधान संशोधन और...

कांग्रेस सहित कई दलों ने जीएसटी पर उठाए सवाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 19 Dec 2014 10:32 PM
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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को वस्तु एवं सेवाकर से संबंधित एक सौ बाईसवां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पारित नहीं होगा। संविधान संशोधन और राज्यों से जुड़े आर्थिक हितों को देखते हुए इसे व्यापक चर्चा के लिए संसदीय समिति में भेजे जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।

हालांकि विधेयक को संसदीय समिति में भेजे जाने के सवाल पर जेटली ने कहा कि वे निजी रूप से इसके पक्षधर नहीं हैं। क्योंकि इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान संसदीय समिति और कई अन्य स्तरों पर काफी चर्चाए हो चुकी हैं। राज्यों से भी काफी विचार विमर्श किया जा चुका है। एक दो जटिल मुद्दे थे जिन्हें संघीय ढांचे का सम्मान करते हुए विधेयक में शामिल किया गया है। अब इसपर आगे संसदीय समिति में चर्चा की जरूरत है या नहीं यह सदन को देखना है।
विरोध सामने आया

इससे पहले विधेयक को पेश करने के सरकार के फैसले का तृणमूल कांग्रेस,कांग्रेस सहित कुछ अन्य दलों ने विरोध किया। तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने कहा कि पश्चिम बंगाल की चिंताओं का समाधान किए बिना विधेयक जल्बदाजी में लाया गया है। उन्होंने कहा कि मैं जीएसटी का विरोध नहीं कर रहा हूं लेकिन पश्चिम बंगाल को पहले का बकाया राजस्व नहीं मिला है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सांसदों की चिंता का हवाला देते हुए कहा कि संविधान संशोधन विधेयक पेश करने से एक सप्ताह पहले सूचित करना चाहिए था। हालांकि जेटली ने आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक का दो आधार पर ही विरोध किया जा सकता है अगर इसमें कानूनी पहलुओं का ध्यान नहीं रखा गया है या फिर यह संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ हो।

राज्यों के हित का ख्याल
वित्तमंत्री ने कहा कि विधेयक के मसौदे में राज्यों की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी केंद्र व राज्य दोनों के लिए फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि अभी तक सेवा कर केंद्र के अधिकार क्षेत्र में था अब इसमें केंद्र व राज्य दोनों की भागीदारी होगी। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह कई राज्यों के मंत्रियों एवं प्रतिनिधियों के साथ बैठक में उन्हें विधेयक का मसौदा दिखाया गया था। राज्यों के सुझाव को विधेयक में शामिल किया गया है। वित्तमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने से राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। इसका प्रावधान विधेयक में किया गया है।

विधेयक में कहा गया है कि वस्तु एवं सेवाकर केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा अधिग्रहीत किए जा रहे अनेक अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा और इसका आशय वस्तु एवं सेवाओं के लिए राष्ट्रीय बाजार का सृजन करना है।

विधेयक के तहत माल एवं सेवा कर को संचालित करने वाली नियम बनाने के लिए संसद और राज्य विधान मंडलों को समवर्ती शक्तियां प्रदान की गई है। पेट्रोलियम एवं पेट्रोलियम उत्पाद की बारे में यह उपबंध किया गया है कि ये माल और सेवा कर परिषद की सिफारिश पर अधिसूचित तारीख तक माल और सेवा कर के प्रावधानों के अधीन नहीं होंगे। पेट्रोलियम उत्पादों पर कर को लेकर प्रस्तावित जीएसटी करीब सात साल से अटका हुआ था।

करों के जंजाल से मिलेगी मुक्ति
जेटली ने कहा, जीएसटी केंद्र और राज्य दोनों के लिए लाभकारी है। उन्होंने कहा इस कानून से एक कर के बाद दूसरे कर के जंजाल से मुक्ति मिल जाएगी।

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