अध्यादेश जितने कम उतना ही अच्छा: सुमित्रा महाजन
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का कहना है कि सरकार द्वारा अध्यादेश जितने कम लाए जाएं, उतना ही अच्छा होता है लेकिन सरकारें जल्द परफार्मेंस दिखाने और तुरंत फैसला लेने के लिए अध्यादेश ले आती हैं। ऐसा...
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का कहना है कि सरकार द्वारा अध्यादेश जितने कम लाए जाएं, उतना ही अच्छा होता है लेकिन सरकारें जल्द परफार्मेंस दिखाने और तुरंत फैसला लेने के लिए अध्यादेश ले आती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि मीडिया के बढ़ते असर व जनता के दबाव में सरकारों को जल्द काम दिखाना होता है। उन्होंने सवाल किया कि बताइए किसी सरकार के काम के लिए सौ दिन क्या होते हैं?
सुमित्रा महाजन ने यह बात रविवार को लखनऊ में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के समापन के बाद संवाददाता सम्मेलन में कही। यह बात उन्होंने ऐसे मौके पर कही है जब केंद्र की मोदी सरकार पर अध्यादेश लाकर काम चलाने का आरोप विपक्षी दल खास तौर पर कांग्रेस की ओर से लगाया जा रहा है। अभी हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी बार- बार अध्यादेश लाए जाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर की थी।
इसी से संबंधित सवाल पूछे जाने पर स्पीकर ने कहा कि सरकार के सामने जनता की काफी अपेक्षाएं होती हैं। फिर अब तो सरकार के कामकाज पर सौ दिन, तीन महीने व छह महीने के रिपोर्ट कार्ड की बात उठने लगी है। मीडिया भी इस रिपोर्ट कार्ड की चर्चा करता रहता है।
सुमित्रा महाजन ने कहा कि वैसे भी अध्यादेश एक सीमित वक्त के लिए होता है। उसे फिर संसद या विधानमंडल में तो लाना ही पड़ता है। वहीं से पास होकर ही वह कानून बनेगा।
सशक्त विपक्ष के लिए नेता प्रतिपक्ष जरूरी नहीं
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद किसी दल को न दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सशक्त विपक्ष व नेता प्रतिपक्ष का चयन न होना यह अलग-अलग बातें हैं। सशक्त विपक्ष का मतलब है कि वह जनहित के मुद्दे मजबूती से उठाए। वह सरकार को बताए कि हम जो चाहे नहीं कर सकते हैं, हम यहां पर बैठे हैं। इसके लिए विपक्ष का नेता होना जरूरी नहीं। वैसे भी हर दल के नेता होते ही हैं। नियमों के मुताबिक स्पीकर को इस पर निर्णय देने का अधिकार है। अगर इस पर सहमति नहीं है तो नियम बदलना पड़ेगा। तो आपको नियमों की किताब अलग रखनी होगी।