मुंबई का करोड़पति पटना में भिखाड़ी
वह महावीर मंदिर के पास पड़े रहते थे। पूरा शरीर जख्म से भरा था। उनमें कीड़े पड़े थे। राहगीर उन्हें देखकर नाक बंद कर लेते थे। कोई एक-दो रुपया फेंक देता तो उसी से कुछ खा पी लेते। एक दिन किस्मत ने करवट...
वह महावीर मंदिर के पास पड़े रहते थे। पूरा शरीर जख्म से भरा था। उनमें कीड़े पड़े थे। राहगीर उन्हें देखकर नाक बंद कर लेते थे। कोई एक-दो रुपया फेंक देता तो उसी से कुछ खा पी लेते। एक दिन किस्मत ने करवट मारी। सेवा कुटीर संस्था वाले साथ ले गए। अब पता चला कि पटना के लोग जिसे भिखारी समझ रहे थे, वह मुंबई का करोड़पति है। नाम है राकेश ओझा। उम्र 47 साल है। अब अपने बहनोई के साथ मुंबई रवाना हो रहे हैं।
पत्नी से झगड़ा कर घर छोड़े
राकेश मूलत: गोरखपुर के ओझौली गांव के हैं। मुंबई में बेकरी का बिजनेस है। मकान है, फ्लैट्स हैं। गांव में भी जमीन-जायदाद है। एक बेटा है, जो दुबई में नौकरी करता है। मगर पत्नी से पटती नहीं है। बार-बार झगड़ा होता है। कई बार घर छोड़े। वापस आए। मगर पिछले साल नवंबर में घर छोड़े तो वापस नहीं गए। जगह-जगह घूमने लगे। भीख मांग कर खाने लगे। पहले गोरखपुर पहुंचे। फिर बनारस और करीब डेढ़ महीना पहले पटना पहुंचे।
घायल अवस्था में पटना आए
राकेश कहते हैं कि ट्रेन से बनारस से पटना आ रहा था। आगे चला गया। झाझा के पास ट्रेन से गिर गया। पूरा पीठ, पैर जख्मी हो गया। वहीं अस्पताल में लोगों ने इलाज कराया और फिर पटना की ट्रेन पर बैठा दिया। यहां स्टेशन पर उतर कर रहने लगा। दवा न खाने के कारण जख्म बढ़ता गया। बेसुध होकर महावीर मंदिर के पास पड़ा रहने लगा। करीब आठ दिन पड़ा रहा। फिर एक दिन सेवा कुटीर के रामबली जी और अमित मुझे कुटीर में ले आए। रूबी, ज्योतिका, कविता सब बच्चे की तरह मेरा देखभाल करती रहीं।
मैं इनका बहनोई हूं। ये मानसिक रूप से ठीक हैं। बस थोड़े जिद्दी हैं। घर में झगड़ा किए और घर छोड़ दिए। इनके पास करोड़ों की संपत्ति है और ये जगह-जगह भीख मांग कर खा रहे हैं। अब इन्हें ले जा रहा हूं। श्याम नारायण मिश्र, बहनोई
इन्हें लाने के लिए कोई ऑटोवाला तैयार नहीं हुआ। फिर रामबली जी ठेला पर लाए। झाड़ से कीड़े झाड़े गए। फिनायल से नहवाया गया। इलाज चला। कुछ दिन बाद इनके मुंबई निवास का पता चला।
जितेंद्र कुमार, सचिव, सेवा कुटीर, नव जागृति