नक्सलियों के हाथ लगने से बची सेना की बुलेटप्रूफ जैकेट
माओवादियों तक पहुंचने से पहले सेना की बुलेटप्रूफ (बीपी) जैकेट एसटीएफ के हाथ लग गई। इनामी माओवादी संदीप इस बीपी जैकेट को खरीदने वाला था। इससे पहले की जैकेट उस तक पहुंचता एसटीएफ को इसकी भनक लग गई और...
माओवादियों तक पहुंचने से पहले सेना की बुलेटप्रूफ (बीपी) जैकेट एसटीएफ के हाथ लग गई। इनामी माओवादी संदीप इस बीपी जैकेट को खरीदने वाला था। इससे पहले की जैकेट उस तक पहुंचता एसटीएफ को इसकी भनक लग गई और उसने जैकेट के साथ हथियारों के तस्कर मो. शम्स को गिरफ्तार कर लिया। उसकी निशानदेही पर रिटायर सैन्यकर्मी राजीव को भी औरंगाबाद के नवीनगर से दबोचा गया। उसी ने जैकेट दी थी। आईजी ऑपरेशन सुशील खोपड़े ने जैकेट के साथ दो लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।
एसटीएफ को सूचना मिली कि गया के रामपुर निवासी मो. शम्स के पास बुलेटप्रूफ जैकेट है। वह जैकेट का सौदा करने वाला है। शेरघाटी का रहने वाला गौतम कुमार माओवादी संदीप (इमामगंज, गया) के लिए जैकेट खरीदने गया आने वाला था। यह सौदा 1.60 लाख में तय हुआ था। गया के रामपुर थाना क्षेत्र में जैकेट की लेनदेन होनी थी। दोनों को दबोचने के लिए एसटीएफ ने घेराबंदी की। इससे पहले की जैकेट गौतम के हाथ लगती एसटीएफ ने शम्स को दबोच लिया। हालांकि गौतम भागने में सफल रहा। बरामद जैकेट हाई क्वालिटी की है और उसपर इंडियन आर्मी लिखा है।
पूछताछ में मो. शम्स ने बताया कि जैकेट उसे एक लाख में राजीव से ली थी। गया के टेकारी निवासी राजीव औरंगाबाद के नवीनगर स्थित एक बैंक में गार्ड है। बाद में उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया। एसटीएफ के मुताबिक वह अपने आपको सेना के नायक सूबेदार के पद से रिटायर बताता है।
गौतम की तलाश जारी है। सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बुलेटप्रूफ जैकेट राजीव के पास कहां से आई इसकी जांच जारी है। सेना की इंटेलिजेंस यूनिट के अलावा आईबी भी गुप्त ठिकाने पर दोनों से पूछताछ कर रही है। मो. शम्स चार साल पहले माओवादियों को हथियार सप्लाई करते वक्त लातेहार में पकड़ा गया था।