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पर्यावरण बचाने को तीन लाख किलोमीटर की पदयात्रा

पर्यावरण संरक्षण के लिए हर साल होली पर 50 हरे पेड़ों को काटने से बचाने का प्रयास तीन लाख किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले पदयात्री करते हैं। वर्ष 1990 से निकले पदयात्री 2.90 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी...

पर्यावरण बचाने को तीन लाख किलोमीटर की पदयात्रा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 05 Mar 2015 10:14 PM
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पर्यावरण संरक्षण के लिए हर साल होली पर 50 हरे पेड़ों को काटने से बचाने का प्रयास तीन लाख किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले पदयात्री करते हैं। वर्ष 1990 से निकले पदयात्री 2.90 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके हैं। गुरुवार को पदयात्रियों का जत्था गाजियाबाद आया।

पर्यावरण संरक्षण के लिए 20 पदयात्रियों का जत्था बीते 24 वर्षों से देश-विदेश में अलख जगा रहा है। गुरुवार दोपहर चार लोगों का जत्था जिलाधिकारी और नगरायुक्त आवास पर पहुंचा। जिला प्रशासन से उन्होंने गाड़ियों की परमिट लेने वाले प्रत्येक गाड़ी मालिकों को हरे पेड़ लगाने का संकल्प लेने की अपील की। चारों पदयात्रियों में अवध बिहारी लाल (46) निवासी लखीमपुर खीरी, जितेंद्र प्रताप मिश्रा (31) निवासी लखनऊ, गोविंदा नंद (35) निवासी हरदोई और महेंद्र प्रताप (32) निवासी सीतापुर हैं। चारों अविवाहित हैं और स्वेच्छा से देहदान कर चुके हैं।

होली पर बचाते हैं हरे पौधे
महज 11 वर्ष की आयु से वर्ष 1995 से पदयात्रा में शामिल राजाजीपुरम, लखनऊ निवासी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस बार होली से पहले वह जत्था गाजियाबाद में है। एक दिन पूर्व नोएडा में थे। दोनों जगहों पर लोगों से हरे पेड़ ना काटने और ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की अपील करते हैं। प्रत्येक वर्ष लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर लगभग 50 पेड़ बचाते हैं।

राजीव गांधी से मिली थी हरी झंडी
पदयात्री जितेंद्र प्रताप ने बताया कि पहले 30 जुलाई 1980 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने युवा जागृति अंतर्राष्ट्रीय एंडवेंचर स्पोर्ट लॉन्गेस्ट वर्ल्ड टूर टीम को हरी झंडी दिखाई। इसके बाद जुलाई 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दोबारा से हरी झंडी दिखाकर पदयात्रियों के जत्थे को इंडिया गेट से रवाना किया था। उसके बाद से कई प्रदेशों के अलावा देशों की यात्रा कर चुके हैं।

बाढ़ से मिली थी प्रेरणा
जत्थे के वरिष्ठ सहयोगी अवध बिहारी लाल जब 13 वर्ष के थे तब वर्ष 1980 में नेपाल के छोड़े पानी से लखीमपुर खीरी के दर्जनों गांव तबाह हो गए। अवध बिहारी के परिवार के 7 सदस्यों की जान चली गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दौरा कर पौधे लगाकर हरित क्षेत्र बढ़ाने का संदेश दिया। यहीं से अवध बिहारी को प्रेरणा मिली।

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