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धौलाकुआं अदालत का फैसला सुन बेसुध हुए दोषी

धौलाकुआं सामूहिक बलात्कार मामले में सजा की घोषणा के मद्देनजर पांचों अभियुक्तों को दोपहर सवा दो बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में अदालत पेश किया गया। अदालत में पेशी के समय ही अभियुक्तों के चेहरे की रंगत...

धौलाकुआं अदालत का फैसला सुन बेसुध हुए दोषी
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Oct 2014 11:44 PM
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धौलाकुआं सामूहिक बलात्कार मामले में सजा की घोषणा के मद्देनजर पांचों अभियुक्तों को दोपहर सवा दो बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में अदालत पेश किया गया। अदालत में पेशी के समय ही अभियुक्तों के चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी। लेकिन जैसे ही द्वारका अदालत ने अभियुक्तों की उम्रकैद की सजा का एलान किया। पांचों दोषियों उसमान उर्फ काले, शमशाद उर्फ खुतकान, शाहिद उर्फ छोटी बिल्ली, इकबाल उर्फ बड़ी बिल्ली और कमरुद्दीन उर्फ मोबाइल ने दहाड़कर रोना शुरू कर दिया। वहीं, एक अभियुक्त शाहिद बेहोश हो गया।

सजा की घोषणा होते ही कोर्टरूम के बाहर मौजूद अभियुक्तों के परिवार की महिलाओं ने भी तेज-तेज आवाज में रोना शुरू कर दिया। अभियुक्त शाहिद के बेहोश होने की जानकारी तुरंत एडिशनल सेशन जज वीरेन्द्र भट्ट को दी गई। उन्होंने अभियुक्त को कोर्टरूम स्थित डिस्पेंसरी में ले जाने के निर्देश दिए। हालांकि डिस्पेंसरी में जांच के बाद डॉक्टरों ने दोषी शाहिद को सामान्य बताते हुए एक इंजेक्शन लगाया और उसे वापस अदालत कक्ष में ले जाने की अनुमति दे दी।

व्हील-चेयर पर बिठाकर शाहिद को वापस कोर्टरूम में लाया गया। जहां से फैसले पर हस्ताक्षर कराने के बाद सभी दोषियों को तिहाड़ जेल भेज दिया गया। जेल वैन तक ले जाने के दौरान अभियुक्त लगातार रोते रहे।

फैसला आते ही परिवार पर टूटा पहाड़
अकसर कहा जाता है करता कोई है और भरता कोई और है। कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को द्वारका अदालत में देखने को मिला। दरअसल पांचों अभियुक्तों के दर्जनों परिवार वाले अदालत का निर्णय सुनने के लिए कोर्टरूम में मौजूद थे। इनमें अभियुक्तों की मां, पत्नियां और नाबालिग बच्चे भी थे। हालांकि उन्हें अदालत कक्ष में घुसने से रोका गया था। जैसे ही अदालत ने अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई, बाहर बैठी महिलओं में हा-हाकार मच गया।

कई महिलाएं बाहर बेहोश होकर गिर गईं। कई औरतों ने अपनी चूंड़ियां तोड़ डाली। महिलाओं को आपा खोता देख सुरक्षाकर्मी सचेत हो गए। उन्होंने जल्दी से अभियुक्तों को वहां से बाहर निकाल लॉकअप तक पहुंचाया, वहीं अभियुक्तों के पुरुष सदस्यों को महिलाओं को संभालने की हिदायत दी। आनन-फानन में महिलाओं को अदालत परिसर से बाहर भेजा गया। कई महिलाओं ने विलाप करते हुए अपने आप को चोटिल भी कर लिया।

‘अदालत के फैसले से संतुष्ट हूं। अभियोजन ने एक निर्दोष लड़की को इंसाफ दिलाने के लिए पूरी मेहनत की है। इन अभियुक्तों को अधिकत्तम उम्रकैद की सजा अन्य लोगों के लिए सबक साबित होगी।’ सतविन्द्र कौर, सरकारी वकील

‘अदालत द्वारा दिए गए फैसले के अध्ययन के बाद आगे का निर्णय किया जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील का रास्ता खुला है। जिस पर अभियुक्त की परिवार की सहमति के बाद जल्द कदम उठाया जाएगा।’ अमित श्रीवास्तव, (दोषी उसमान के अधिवक्ता)

‘अदालत के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं। उनका दामाद शाहिद बेकसूर है। वह इस निर्णय के खिलाफ निश्चित्ततौर पर उच्च अदालत में अपील दाखिल करेंगे। बहरहाल बेटी और उसके बच्चों को संभालना पहली प्राथमिकता है।’ जाकिर (दोषी शाहिद के ससुर)

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