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रेल बजटः बिहार की परियोजनाओं को मिला पैसा

रेल बजट में इस बार बिहार की दो अहम रेल परियोजनाओं के लिए पर्याप्त पैसा दिया गया है। दीघा-सोनपुर रेल पुल के लिए बजट में 300 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसी तरह मुंगेर रेल पुल को 180 करोड़ दिया गया...

रेल बजटः बिहार की परियोजनाओं को मिला पैसा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 26 Feb 2015 08:07 PM
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रेल बजट में इस बार बिहार की दो अहम रेल परियोजनाओं के लिए पर्याप्त पैसा दिया गया है। दीघा-सोनपुर रेल पुल के लिए बजट में 300 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसी तरह मुंगेर रेल पुल को 180 करोड़ दिया गया है। जबकि, इसके लिए बजट में 100 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान भी किया गया है। कोसी पुल के लिए भी 30 करोड़ दे दिया गया है। इसके लिए बमुश्किल 25 करोड़ की ही आवश्यकता है।

बिहार की यह तीनों परियोजनाएं अहम है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में यह पूरा हो जाएगा। इन तीनों के पूरा होने से उत्तर व दक्षिण बिहार के बीच आवागमन आसान हो जाएगा। लंबे समय से इन परियोजनाओं के पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही थी। वहीं, राजेंद्र पुल मोकामा में एक नया पुल बनाने की घोषणा बजट में की गई है।

साथ ही मौजूदा राजेंद्र पुल का दोहरीकरण किया जाएगा। इससे भविष्य में उत्तर बिहार का सफर और आसान हो जाएगा। बिहार में नए  रेल लाइन बनाने, पुराने एकल लाइन को दोहरीकरण करने या छोटी लाइन को आमान परिवर्तन कर बड़ी रेल लाइन करने के लिए  रेलवे ने 1725 करोड़ रुपए दिए हैं।

चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 में इस मद में केवल 981 करोड़ ही दिया गया था। इसी तरह 2014-15 में नए रेल लाइन, दोहरीकरण व आमान परिवर्तन की एक योजनाओं पर काम चल रहा है। वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए छह योजनाओं का चयन किया गया है। जबकि, 2014-15 में एक रेल लाइन के सर्वे का काम हो रहा है।

अगले वित्तीय वर्ष के लिए छह योजनाओं का चयन किया गया है। 123 किलोमीटर लंबे रेलखंड किउल-गया सेक्शन का दोहरीकरण होगा। बिहार में यात्री सुविधाओं पर 446.6 करोड़ खर्च होगा जो 2014-15 के 255.93 करोड़ से लगभग 75 फीसदी अधिक है। दिल्ली-कोलकाता वाया गया रेलखंड पर चलने वाली ट्रेनों की गति बढ़ेगी और संभव है कि दिल्ली से कोलकाता का सफर एक रात में ही पूरी हो।

गांधी सर्किट में बिहार का चंपारण जुटेगा। ए-वन और ए श्रेणी के बाद बी श्रेणी में बिहार के तीन दर्जन से अधिक स्टेशनों पर वाइ-फाई की सुविधा मिलेगी। हालाकि, बिहार की दर्जनों ऐसी परियोजनाएं है जिसे जीवित रखने के लिए केवल टोकन मनी देकर छोड़ दिया गया है।

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