विश्वास नहि भेल जे हमरा पद्मश्री भेटल...!
कृष्णानगर स्थित रिटायर आईपीएस अधिकारी रामचंद्र खान का आवास। रात आठ बजे तक माहौल एकदम शांत था। उषाजी किचेन में व्यस्त थीं और पति महोदय ड्राइंगरूम में टीवी देख रहे थे। अचानक एक फोन आता है और पूरा माहौल...
कृष्णानगर स्थित रिटायर आईपीएस अधिकारी रामचंद्र खान का आवास। रात आठ बजे तक माहौल एकदम शांत था। उषाजी किचेन में व्यस्त थीं और पति महोदय ड्राइंगरूम में टीवी देख रहे थे। अचानक एक फोन आता है और पूरा माहौल बदल जाता है। यह फोन हिन्दुस्तान के संवाददाता का था, जिसमें उषाजी को पद्मश्री मिलने की सूचना थी। खुशी से बोल उठीं उषाजी, एकदम विश्वास नहीं भ रहल अछि जे हमरा अवार्ड भेटल। यह खबर सबसे पहले उन्होंने पति को सुनाई। फिर बच्चों को फोन से बताया। इसके बाद तो उनकी मोबाइल की घंटियां लगातार बचती ही रहीं।
उन्होंने कहा कि सम्मान तो हमेशा अच्छा लगता है। यह पिछले कई वर्षों से लगातार की जा रही मेहनत का सम्मान है। इससे जिम्मेवारी भी बढ़ गई है। 24 अक्टूबर 1945 को जन्मी उषा किरण खान के पति रामचंद्र खान पुलिस अधिकारी रहे हैं। उषा किरण खान ने पटना विवि से प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व व प्राचीन भारतीय इतिहास और एशियाई अध्ययन में एमए किया। इसके बाद मिथिला- एक सांस्कृतिक अध्ययन विषय पर पीएचडी की। इसके बाद राजधानी के बीडी कॉलेज में शिक्षक रहीं और वहीं से सेवानिवृत्त हुईं।