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इराक में बंधक बनाए गए 39 भारतीय सुरक्षित, संसद में सुषमा ने कहा

इराक के मोसुल में आईएसआईएस द्वारा बंधक बनाये गये 39 भारतीयों की कथित हत्या संबंधी मीडिया के एक वर्ग में आयी खबरों को लेकर विभिन्न दलों द्वारा संसद में जतायी गयी भारी चिंता के बीच सरकार ने आज कहा कि...

इराक में बंधक बनाए गए 39 भारतीय सुरक्षित, संसद में सुषमा ने कहा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Nov 2014 10:51 PM
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इराक के मोसुल में आईएसआईएस द्वारा बंधक बनाये गये 39 भारतीयों की कथित हत्या संबंधी मीडिया के एक वर्ग में आयी खबरों को लेकर विभिन्न दलों द्वारा संसद में जतायी गयी भारी चिंता के बीच सरकार ने आज कहा कि उसका जिन छह सूत्रों से संपर्क है, उनका कहना है कि भारतीय बंधक जीवित और सुरक्षित हैं।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर दिए बयान में कहा कि भले ही सरकार का बंधक बनाये गये लोगों से कोई सीधा संपर्क नहीं है लेकिन छह सूत्रों का दावा है कि वे जीवित हैं। उन्होंने कहा कि इस बात के कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है कि बंधक जीवित हैं या मारे गये और ऐसे में हम उन्हें जीवित मान कर उनकी तलाश और रिहाई के प्रयास जारी रखे हुए हैं।

विदेश मंत्री ने एक समाचार चैनल की बंधक बनाए गए 39 भारतीयों को जून में ही मारे जाने की खबर के बारे में कहा कि मीडिया में पहले भी इस तरह की खबरें आती रही हैं। ये खबरें उस हरजीत मसीह के बयान पर आधारित हैं जिसके बयान में काफी विरोधाभास है जबकि सरकार के संपर्क वाले सूत्रों ने कल रात तक यह दावा किया है कि वे जीवित हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार के पास दो विकल्प हैं। पहला विकल्प यह कि हरजीत के बयान पर भरोसा कर उन 39 लोगों की तलाश बंद कर दे। दूसरा विकल्प यह है कि हम उन छह सूत्रों की बात पर भरोसा कर तलाश जारी रखें जिन्होंने कल रात तक यह दावा किया है कि बंधक बनाए गए 39 भारतीय जीवित हैं।

सुषमा ने कहा कि भारत सरकार ने दूसरा विकल्प चुना और भारतीयों की तलाश जारी रखते हुए जमीन आसमान एक कर रखा है। सुषमा ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि 39 भारतीय जीवित हैं या मारे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि 39 भारतीयों के जीवित होने के सूत्रों के दावों से संबंधित लिखित संदेश गोपनीय हैं और उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। इसलिए इन्हें गोपनीयता की शपथ लिए दो लोगों वित्त मंत्री अरुण जेटली और शिरोमणि अकाली दल की नेता एवं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर से साझा किया गया है।

कई सदस्यों द्वारा बंधकों के रखे जाने के स्थान के बारे में पूछने पर सुषमा ने कहा कि इनका खुलासा न केवल गोपनीयता बल्कि इस तथ्य के चलते भी नहीं किया जा सकता है कि यदि इसे सार्वजनिक किया गया तो सूत्रों का सिर कलम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सूत्रों से मिले संदेश मौखिक नहीं, लिखित हैं। हरजीत मसीह की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वह सरकार की संरक्षणात्मक निगरानी में सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि गोपनीयता के चलते इस बारे में नहीं बताया जा सकता लेकिन वह ठीक ठाक और सुरक्षित है।

समाचार चैनल में दो बांग्लादेशियों के बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों ने भी अपनी बात में हरजीत के बयान को ही आधार बनाया है जबकि स्वयं हरजीत के बयान में कई विरोधाभास हैं। उन्होंने कहा कि इस कहानी के अनुसार आईएसआईएस के लोगों ने इराक के मोसुल में एक कंपनी में काम कर रहे भारतीयों और बांग्लादेशियों को बंधक बनाया था। बाद में दोनों देशों के नागरिकों को अलग कर बांग्लादेशियों छोड़ दिया गया। भारतीय बंधकों को किसी पहाडी पर ले जाकर उन्हें गोली मार दी गयी।

सुषमा ने कहा कि कहानी के अनुसार हरजीत ने मरे होने का नाटक कर अपनी जान बचायी और वह किसी तरह बच निकला। सुषमा ने कहा कि सरकार बंधकों के परिवारों से पांच बार मिल चुकी है और इराक में भारत के एक पूर्व राजदूत सुरेश रेड्डी को इन बंधकों को छुड़ाने का प्रयास करने के लिए भेजा गया। अब इस काम के लिए दो और अधिकारियों को भेजा गया है जो अरबी भाषा बोल सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस काम में पूर्व विदेश राज्य मंत्री ई अहमद की भी मदद ली गयी है क्योंकि अरब क्षेत्र में उनकी अच्छी पहचान है। उन्होंने कहा कि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

इससे पहले दोनों सदनों में सदस्यों ने मीडिया खबरों के आधार पर इन भारतीयों के भविष्य को लेकर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। उच्च सदन में कांग्रेस के आनंद शर्मा, प्रमोद तिवारी, जदयू के के सी त्यागी सहित कई सदस्यों ने सरकार से यह जानना चाहा कि जब मीडिया में आयी खबरों के अनुसार इन भारतीय बंधकों को जून में ही मारा जा चुका था तो उसने संसद में यह बयान कैसे दिया कि वे सुरक्षित हैं।

आनंद शर्मा ने सरकार पर संसद को गुमराह करने का आरोप लगाया जबकि सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार राजनयिक मोर्च पर विफल रही है। तणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में संसद में जो बयान दिया था वह  शार्ट टर्म गेन (अल्पावधि फायदा) के लिए देश को लांग टर्म पेन (दीर्घावधि पीड़ा) मिला।

इस मामले में बसपा नेता मायावती, माकपा के पी राजीव, शिरोमणि अकाली दल के एस एस ढींढसा, बीजद के भूपेंद्र सिंह, कांग्रेस के राजीव शुक्ला, राकांपा के माजिद मेनन, सपा की जया बच्चन एवं जदयू के शरद यादव ने भी इराक में बंधक बनाए गए भारतीयों के भविष्य को लेकर सरकार से विभिन्न सवाल किए। लोकसभा में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी विदेश मंत्री के बयान से पहले सरकार पर इस मामले में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया था।

 

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