चाल खोलती है मूड का राज़
आप खुश हैं या मायूस, उत्साह में हैं या फ्किर में, बहुत ज्यादा गुस्से में, इसका राज़ आपके चेहरे के हाव भाव से ज्यादा आपके चलने के स्टाइल में छिपा रहता है। लेकिन यह मामला एक तरफा नहीं है आपकी चाल भी...
आप खुश हैं या मायूस, उत्साह में हैं या फ्किर में, बहुत ज्यादा गुस्से में, इसका राज़ आपके चेहरे के हाव भाव से ज्यादा आपके चलने के स्टाइल में छिपा रहता है। लेकिन यह मामला एक तरफा नहीं है आपकी चाल भी आपके मूड को प्रभावित करती है।
कनाडा के ओंटारियों स्थित क्वीन्स विश्वविद्यालय में मानवमनोविज्ञान और व्यवहार पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। इससे जुडी रिपोर्ट विज्ञान पत्रिका, बिहेवियर थैरेपी एंड एकसपेरिमेंटल साइकिएटरी में छपी है जिसके अनुसार यदि कोई कंधे झुकाकर, अपने हाथों को ढीला ढाला छोड़कर और आगे की और झुक कर चलता है तो ऐसे इन्सान ज्यादातर मायूस और निराशा में डूबे रहते हैं और जीवन की प्रति उनमें कोई उत्साह नहीं होता। लेकिन वहीं दूसरी ओर सिर उठा कर और सीधे तथा सधे कदमों से चलने वाले इन्सान थोड़े घंमडी और आत्मविश्वास से लबरेज होते हैं। तीसरी श्रेणी उन बिंदास लोगों की होती है जो एक सीध में नहीं चलकर लहराते हुए चलते हैं। इनकी चाल में चंचलता और चपलता होती है तथा यह बीच-बीच में कंधे उचकाते रहते हैं।
चाल में कैसे-कैसे राज छिपें हैं यह तो आपको पता लग ही गया होगा इसलिए अगली बार जब आपके सामने कोई शख्स आए तो उसकी शारीरिक भाव भंगिमा से पहले उसकी चाल पर बारीक नजर जरूर डाल लें हो सकता है जो वह नहीं कहे वह भी आपका पता चल जाए।