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अध्यात्म और संस्कृति का संगम, देखने चलें पुष्कर मेला

देश के कुछ प्रमुख मेलों में से एक पुष्कर मेला कई मायनों में खास है। यहां ऊंटों के अनोखे रंग तो देखने को मिलते ही हैं, राजस्थानी संस्कृति और लोक कला के भी मनमोहक रूप से रूबरू होने का अवसर मिल जाता है।...

अध्यात्म और संस्कृति का संगम, देखने चलें पुष्कर मेला
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Oct 2014 12:41 PM
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देश के कुछ प्रमुख मेलों में से एक पुष्कर मेला कई मायनों में खास है। यहां ऊंटों के अनोखे रंग तो देखने को मिलते ही हैं, राजस्थानी संस्कृति और लोक कला के भी मनमोहक रूप से रूबरू होने का अवसर मिल जाता है। बनारस के बाद दूसरी सबसे अधिक घाट वाली पुष्कर झील की खूबसूरती आपकी यादों में बसेगी, सो अलग। तो क्यों न पुष्कर मेले की सैर को चलें...

पुष्कर मेला का नाम आते ही याद आता है पुष्कर शहर, यहां की पुष्कर लेक, ब्रह्मा मंदिर और स्थानीय व्यंजन। खासकर मेले के समय को याद करें तो शिल्पग्राम की यादें मन के किसी कोने में बस ही जाती हैं। राजस्थान पर्यटन विकास निगम के टूरिस्ट विलेज कैंपस में स्थित शिल्पग्राम में राजस्थान की शिल्प कला, सांस्कृतिक रंग और तरह-तरह के नृत्य-संगीत कार्यक्रमों के आयोजन किए जाते हैं, जबकि दूसरी तरफ यहां ऊंटों के करतब यानी कैमल करिश्मा का आनन्द उठाने का भी मौका मिलता है।

यूं तो मेले का आयोजन कल यानी 26 अक्तूबर से ही शुरू हो जाएगा, लेकिन खासकर आयोजन 31 अक्तूबर से 6 नवम्बर के बीच होंगे, जिनमें शामिल होने के लिए दुनियाभर के पर्यटक यहां पहुंचते हैं। इस मेले में अलग-अलग दिन अलग-अलग अनेक प्रमुख आयोजन होते हैं, जो राजस्थानी जीवन और संस्कृति से जुड़े होते हैं। एक तरफ तो मवेशियों के मेले में गजब की चहल-पहल और रौनक होती है, जिसमें ऊंट से लेकर अन्य अनेक तरह के जानवरों को लाया जाता है, दूसरी तरफ यहां काफी संख्या में युवक-युवती भी जुटते हैं, जिनकी शादियां तय होती हैं। इस बार 6 नवम्बर को यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन मेले का समापन होगा, जिस दिन काफी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु पवित्र पुष्कर लेक में स्नान करेंगे और झील के किनारे स्थित ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करेंगे।

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