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प्यार जीतेगा मुसीबत हारेगी

चुनौतियां हर जगह है, रिश्ते में भी। पति-पत्नी के रिश्ते में कई ऐसे मौके आते हैं, जब चुनौतियों को पछाड़कर रिश्ते को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत बनाने की दिशा में काम करना पड़ता है। कैसे परेशानियों के...

प्यार जीतेगा मुसीबत हारेगी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 22 Nov 2014 11:37 AM
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चुनौतियां हर जगह है, रिश्ते में भी। पति-पत्नी के रिश्ते में कई ऐसे मौके आते हैं, जब चुनौतियों को पछाड़कर रिश्ते को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत बनाने की दिशा में काम करना पड़ता है। कैसे परेशानियों के बीच रिश्ते की डोर मजबूत करें, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी

कविता और शुभम की शादी को दो साल हो चुके हैं। शुरुआत में लगभग एक साल तक तो सबकुछ बहुत अच्छा था। फिर अचानक शुभम को ऑफिस के काम से पांच माह के लिए विदेश जाना पड़ा। धीरे-धीरे यह दूरी उन दोनों के रिश्ते पर भारी पड़ने लगी। ठीक ऐसे ही सौम्या और सौरभ को अपने रिश्ते में चुनौती का सामना तब करना पड़ा, जब बार-बार की कोशिशों के बाद भी सौम्या गर्भधारण नहीं कर पाई। पेरेंट्स बनने की नाकामी का असर सौम्या और सौरभ के रिश्ते पर पड़ने लगा। आपसी बातचीत कम हो गई। तकरार बढ़ने लगी। प्यार धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगा। पर, समय रहते ये दोनों जोड़े सचेत हो गए। वे इस बात को समझ गए कि उन्हें अपने रिश्ते की इस परेशानी का हल जल्द तलाशना होगा। उसके सामने घुटने टेकने से बात नहीं बनेगी। बस, इसके साथ ही इनका रिश्ता फिर से धीरे-धीरे मुस्कुराने लगा।

हर रिश्ते की अपनी खुशियां होती हैं, अपनी चुनौतियां होती हैं। आपका रिश्ता कितना मजबूत है, यह उस वक्त पता चलता है, जब पति-पत्नी के रूप में साथ मिलकर आप मुसीबत से लड़ते हैं, जीतते हैं और अपने हिस्से की खुशियों को फिर से अपनी मुट्ठी में बंद कर लेते हैं। आज दुनिया के कई देशों में आधी से ज्यादा शादियां सिर्फ इसलिए टूट रही हैं क्योंकि शादीशुदा जोड़े जिंदगी की चुनौतियों के सामने हार मान जाते हैं।
खुशनुमा शादीशुदा जिंदगी के लिए यह जरूरी है कि आप पहले से ही इस बात को लेकर मानसिक रूप से तैयार रहें कि जिंदगी हमेशा यूं ही खुशनुमा नहीं रहेगी। कुछ परेशानियां, कुछ लोग, कुछ परिस्थितियां आपकी खुशियों पर घात लगाने आ सकते हैं। कैसे इन परेशानियों से पार पाएं और रिश्ते को मजबूत बनाएं, आइए जानें...

जानिए, परेशानी कहां है?
किसी भी सवाल का हल हम तभी तलाश पाते हैं, जब हम सवाल को अच्छी तरह से समझ पाते हैं। ठीक ऐसे ही, पहले आपको यह जानना होगा कि आपके रिश्ते में परेशानी कहां है और फिर उस परेशानी का हल तलाशना होगा। अगर आप पार्टनर से नाराज हैं, तो गुस्से में कुढ़ने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। ऐसा करने से आपका मूड ही खराब होगा। वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉं उन्नति कुमार की मानें, तो गुस्से में बहस करने के बजाए शांति से अपने पार्टनर को अपनी परेशानी बताना बेहतर विकल्प है। यह न सोचें कि एक बार बातचीत से आपकी समस्या का हल मिल जाएगा। हो सकता है इस बातचीत के बाद आप दोनों के बीच की दीवार थोड़ी-सी छोटी हो जाए, पर उसे पूरी तरह से टूटने में थोड़ा वक्त लग सकता है। उसके बाद भी समस्या का हल न निकले तो किसी ऐसे शख्स को तलाशें जो आप दोनों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सके। ध्यान रहे, वह शख्स ऐसा हो जो आप दोनों को बखूबी जानता और समझता हो। समस्या का हल जरूर निकलेगा। 

विश्वास को रखें कायम
स्थितियां चाहें कितनी भी बुरी क्यों न हो, अपने जीवनसाथी पर अपना विश्वास बनाए रखें। उनकी क्षमताओं पर संदेह न जताएं। आपका साथ मिलेगा तो साथी भी उस मुसीबत से इस रिश्ते को बचाने के लिए जी-जान लगा देगा। अगर आप अपने साथी की क्षमताओं पर संदेह जताएंगी तो उसकी आंच आपके रिश्ते पर भी पड़ेगी। एक मजबूत जोड़ा, कभी भी एक-दूसरे की क्षमताओं पर शक नहीं करता। चुनौतियां उनके रिश्ते को और मजबूत बना जाती हैं।

अहंकार को न लाएं रिश्ते के बीच
अक्‍सर किसी रिश्ते में परेशानी तब आती है, जब प्यार अहंकार की भेंट चढ़ने लगता है। नतीजा, धीरे-धीरे प्यार कड़वाहट में बदलने लगता है। ऐसा न हो, इस बात का ख्याल रखना किसी भी रिश्ते के लिए बेहद जरूरी है। इस विषय में रिलेशनशिप मैनेजर डॉं. रूबी चावला कहती हैं, ‘जब दो लोगों में से किसी एक के दिमाग में मैं और सिर्फ मैं का भाव आने लगता है, वहीं से रिश्ते में खटास आने की शुरुआत हो जाती है। नतीजा तकरार, मतभेद। ऐसा न हो इसके लिए जरूरत है, तो बस सोच में थोड़ा-सा बदलाव करने की। किसी भी परिस्थिति में अगर आप खुद को अपने साथी की जगह पर रखकर सोचना शुरू कर देंगी, तो तकरार को काफी हद तक टाला जा सकता है।’

सीखें परेशानियों को नजरअंदाज करना 
कभी-कभी नजरअंदाज करने का छोटा-सा नुस्खा दो लोगों के बीच की कड़वाहट को घटाने में बहुत कारगर साबित हो जाता है। अगर आपको मालूम है कि कोई खास बात आपके रिश्ते के लिए परेशानी का कारण बन रही है तो उसे नजरअंदाज करना शुरू कर दें। गलती पर भी दूसरी ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने पर दोबारा उस गलती के होने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। बिना बोले ही बात बन जाती है।

मानें अपनी गलती
हमेशा आप सही हों, यह जरूरी नहीं। गलती होने पर भी तर्क- कुतर्क से खुद को सही साबित करना समझदारी नहीं है। अपनी गलती मानें और उससे आगे की जिंदगी के लिए सबक लें। गलती तो हो चुकी है, ऐसे में समझदारी इसी में है कि आप दोनों साथ बैठकर शांत दिमाग से उस समस्या के बारे में सोचें और उससे बाहर निकलने का रास्ता साथ तलाशें। 

बिठाएं आपसी सामंजस्य
सामंजस्य आजकल नकारात्मक शब्द बन गया है। पर, अपने पार्टनर की खुशी के लिए अपनी इच्छा से किया गया त्याग, त्याग की श्रेणी में नहीं आता, बल्कि उससे खुशी का अहसास होता है। यह त्याग तब बोझिल और नकारात्मक हो जाता है, जब हम कुछ करने के बदले में कुछ पाने की इच्छा रखते हैं। ऐसा भाव न होने पर ही रिश्ते में मधुरता आती है। साथ ही यह भी हो सकता है कि आपके इस बर्ताव को देखकर आपका पार्टनर भी अपनी ओर से कुछ सामंजस्य करने लगे।

बदलने का न करें प्रयास
जैसी आप हैं और आपकी पसंद है, जरूरी नहीं है कि आपका पार्टनर भी वैसा ही हो। किसी चुनौती से लड़ने का उनका तरीका आपसे अलग हो सकता है। हो सकता है कि परेशान होने पर आप बहुत ज्यादा रोने लगती हों और आपका साथी ऐसी स्थिति में बहुत ज्यादा चुप हो जाता हो। यह परेशानी से लड़ने का आप दोनों का अपना तरीका है। इस तरीके पर कभी सवाल न उठाएं। हो सकता है कि कुछ देर चुप रहकर या फिर अपने साथ कुछ वक्त बिताने के बाद चुनौतियों से लड़ने के लिए आपका साथी पहले से कहीं ज्यादा तैयार हो जाता हो। उसे रिश्ते में यह स्पेस हमेशा दें। अगर आप उसे बदलने की कोशिश करेंगी, तो उसकी प्रतिक्रिया तीव्र हो सकती है।

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