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डेंगू से बचाव के उपाए

आयुर्वेद की दृष्टि से वात और पित्त का बढ़ा हुआ रूप है डेंगू। आमतौर पर बीमारी की शुरुआत जठराग्नि के धीमी पड़ने और टॉक्सिन्स के इकट्ठे होने के कारण होती है। इसके बाद वात और पित्त दोष बढ़ने लगते हैं,...

डेंगू से बचाव के उपाए
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 29 Aug 2014 10:42 AM
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आयुर्वेद की दृष्टि से वात और पित्त का बढ़ा हुआ रूप है डेंगू। आमतौर पर बीमारी की शुरुआत जठराग्नि के धीमी पड़ने और टॉक्सिन्स के इकट्ठे होने के कारण होती है। इसके बाद वात और पित्त दोष बढ़ने लगते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप कई तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द, बढ़े हुए वात का संकेत है और खून का बहना बढ़े हुए पित्त का संकेत है।

क्या हैं उपचार
डेंगू के आयुर्वेदिक उपचार में पूरी तरह से आराम भी शामिल है। ऐसी गतिविधियों से बचें, जो बढ़े हुए वात को और बढ़ाए।
जठराग्नि के कमजोर हो जाने और पाचन तंत्र में विषाक्त तत्वों के बढ़ जाने के कारण रोगी को बहुत हल्का भोजन लेने की सलाह दी जाती है। विभिन्न दालों व चावल का पानी, दलिया आदि अच्छा माना जाता है।     
टॉक्सिन्स को पचाने, जठराग्नि बढ़ाने, वात और पित्त को संतुलित करने और बुखार को कम करने के लिए दवाओं की जरूरत पड़ती है। गुडुचि, मुस्ता, परपटक, खस, संदल (चंदन), धनवयास और पाठा जैसी जड़ी-बूटियां उपर्युक्त सभी लक्षणों में बहुत लाभकारी होती हैं। पित्त को संतुलित करने और खून बहाव को रोकने के लिए ठंडक प्रदान करने वाली दवाएं जैसे खस, संदल, कामादुधा रस, चन्द्रकला रस खासतौर से बहुत लाभकारी होते हैं।
रोगी को पीने के लिए गुनगुना पानी दें और नहाने की जगह शरीर को गीले कपड़े से पोंछना चाहिए। 
मसालेदार, तले हुए और मांसाहारी भोजन से बचें। रसदार फल, अंजीर, पपीता खाए जा सकते हैं और केला, आम जैसे भारी फलों से परहेज करना चाहिए।

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