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वो आया खिड़की से

ऊकी चार साल का था। उसे और उसके भाई हर्षित को टीवी देखने का बहुत शौक था। पर पढ़ाई के वक्त टीवी देखने की घर में मनाही थी। पापा तो हर समय घर में रहते नहीं थे। बस मां ही दोनों की शरारतों से लोहा लेतीं। न...

वो आया खिड़की से
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 20 Aug 2014 09:34 AM
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ऊकी चार साल का था। उसे और उसके भाई हर्षित को टीवी देखने का बहुत शौक था। पर पढ़ाई के वक्त टीवी देखने की घर में मनाही थी। पापा तो हर समय घर में रहते नहीं थे। बस मां ही दोनों की शरारतों से लोहा लेतीं। न पढ़ने पर मां कई बार टीवी का रिमोट छिपा देती थीं।

एक शाम मां ने थोड़ी देर दोनों को पढ़ाया। फिर दोनों को पढ़ते रहने का आदेश देकर किचन में चली गईं। टीवी न खोलने का आदेश जारी हो गया। थोड़ी देर बाद खटर-पटर की आवाज आई तो उनका माथा ठनका। चुपके से कमरे में झांका तो पाया, दोनों भाई पढ़ना छोड़, एक चादर में दुबके हुए आराम से टीवी देख रहे थे।

‘किसने टीवी खोला?’ मां ने गरजकर पूछा।
बड़े भाई हर्षित ने आराम से उंगली छोटे की तरफ कर दी।
‘क्यों ऊकी, तुमने टीवी क्यों खोला?’ मां ने डपटा।
‘मैंने जान-बूझकर नहीं खोला।’ ऊकी ने डर-डरकर जवाब दिया।
‘क्या मतलब?’
‘मां, खिड़की खुली हुई थी।’
‘हां, तो?’
‘वहां पर एक भयानक चेहरा दिखाई दिया और वह खिड़की की ग्रिल से अंदर आ गया। वह जरूर कोई राक्षस था।’
‘क्या?’ मां का मुंह खुला का खुला रह गया।
‘हां मां। उसने मुझे डांटा। बोला, टीवी क्यों नहीं देखते?’ ऊकी ने गंभीरता के साथ जवाब दिया।
‘अच्छा! उसने ऐसा कहा?’ मां ने हैरानी से पूछा।
‘हां, पर मैंने उसकी बात नहीं मानी। मैंने उससे कह दिया कि मां ने टीवी देखने को मना किया है।’
‘तो उसने क्या कहा?’ मां मुस्कराने लगी थीं।
पता है मां, उसने जादू से टीवी ऑन कर दिया। फिर गरजकर बोला— ‘चुपचाप तुम दोनों टीवी देखो। अगर नहीं देखोगे तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा।’ ऊकी का बोलने का वही अंदाज था, जिस अंदाज में वह कई बार दादी से कहानियां सुन चुका था।
‘क्या! ऐसा कहा राक्षस ने?’ मां का मुंह खुला का खुला रह गया।
‘हां मां, मैं उससे डर गया। अगर मैं उसकी बात मानकर टीवी नहीं देखता तो राक्षस मुझे खा लेता। फिर आपको आपका बेटा कैसे मिलता? मैंने आपके बेटे को बचाने के लिए टीवी देखा। मैंने ठीक किया न मां?’ ऊकी के स्वर में जिज्ञासा थी।
‘हां, ठीक किया मेरे बेटे ने।’ मां ने हंसते हुए प्यार से बेटे को गले से लगा लिया।
‘तो ठीक है। तुम जाओ मां और मुङो टीवी देखने दो, परेशान मत करो। कहीं राक्षस ने देख लिया कि मैं टीवी न देखकर आपसे बातें कर रहा हूं, तो वह आकर मुङो खा जाएगा।’
‘अच्छा!’ मां बेटे की चालाकी को भांपकर मुस्कराने लगी थीं।
‘और हां मां! कुछ खाने को ला दो, टीवी देखते हुए खाने में मजा आता है।’ कहकर ऊकी फिर से चादर में भाई के साथ दुबक गया और टीवी देखने में मशगूल हो गया।

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