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जीवन का साज स्पा मसाज

रोजमर्रा की भागती-दौड़ती जिंदगी में थकान इतनी हो जाती है कि मन करता है किसी भी तरह आराम और शांति मिल जाए। नहाने से बात तो बन जाती है, लेकिन तन और मन दोनों प्रसन्न महसूस करें, इसमें आयुर्वेद स्पा मसाज...

जीवन का साज स्पा मसाज
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Aug 2015 03:31 PM
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रोजमर्रा की भागती-दौड़ती जिंदगी में थकान इतनी हो जाती है कि मन करता है किसी भी तरह आराम और शांति मिल जाए। नहाने से बात तो बन जाती है, लेकिन तन और मन दोनों प्रसन्न महसूस करें, इसमें आयुर्वेद स्पा मसाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आप कैसे इसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं, बता रही हैं पचौली स्पा एंड वेलनेस सेंटर की वेलनेस विशेषज्ञ प्रीति सेठ

शिरोधारा
यह दुनिया भर की बेहतरीन आयुर्वेदिक मसाजों में से एक है। करीब 2000 सालों से अपने देश में यह प्राचीन हीलिंग ट्रीटमेंट चला आ रहा है। यह मस्तिष्क को सुकून और शांति प्रदान करने वाला इलाज है, जिसमें गुनगुने औषधीय तेल का प्रयोग किया जाता है। इस तेल को माथे के एक विशेष स्थान पर निरंतर प्रवाह में डाला जाता है, जिसे अजनाचक्र कहते हैं। यह मसाज चिंता, अनिद्रा और मानसिक तनाव से राहत दिलाने में बेहद प्रभावशाली है। इस मसाज में तिल और अन्य कई जड़ी- बूटियों का प्रयोग किया जाता है। इस थेरेपी में नाक, हथेली और हाथों पर भी औषधीय तेल का प्रयोग किया जाता है। शिरोधारा का मुख्य कार्य नसों और मस्तिष्क को शांत करना है। यह शारीरिक थकान, मानसिक थकान, चिंता, सिर दर्द आदि अन्य कई परेशानियों से निजात दिलाने में मददगार है।
अभ्यंगम
अभ्यंगम का प्रयोग तेल मालिश के पर्याय के तौर पर किया जाता है। इस डिटॉक्सीफाइंग थेरेपी में आपकी पसंद की एक या दो थेरेपी की जाती हैं, जिसे करने से पहले व्यक्ति की जरूरत और स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाता है। युवा बनाए रखने, वात संबंधी समस्याओं को दूर करने, आंखों के आराम के लिए, शरीर की टोनिंग, अच्छी नींद, त्वचा की कोमलता और सुदृढ़ता, त्वचा रोग से बचाव और लंबे जीवन के लिए यह बेहद
लाभकारी है।
मर्म
मर्म मसाज शरीर के विशेष बिंदुओं को उत्तेजित करने का एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपाय है। यह पारंपरिक केरल आयुर्वेदिक मसाज है, जिसमें जड़ी-बूटी युक्त  आयुर्वेदिक तेल का प्रयोग किया जाता है। इस मसाज को करते समय थेरेपिस्ट अपने हाथ और पैरों का इस्तेमाल करते हुए शरीर के विशेष बिंदुओं पर उपयुक्त दबाव डालता है। मर्म मसाज पीठ दर्द, जकड़न और खेल संबंधी चोटों में न केवल राहत देेती है, बल्कि शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों को उत्तेजित भी करती है।
कटि वस्ति
इस थेरेपी में विशेष तौर पर तैयार तेल शामिल है, जिसे पीठ के निचले हिस्से पर धार से अधिक मात्रा में डाला जाता है। इस धारा को जड़ी-बूटी निर्मित पेस्ट की चारदीवारी में रोका जाता है। इस इलाज से पीठ के निचले हिस्से में ठंडक महसूस होती है, पीठ दर्द और रीढ़ की हड्डी संबंधी बीमारियों में आराम मिलता है।
नास्यम
यह एक शक्तिशाली थेरेपी है, जिसका प्रयोग विभिन्न एलर्जी और साइनस से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह कंजेशन और रुखेपन जैसी सर्दी की परेशानी के प्राकृतिक इलाज के तौर पर भी उत्तम है। यह म्यूकस को खोलती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं एवं केंद्रीय नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करती है। इस थेरेपी के अंतर्गत गर्दन को ऊंचा करके सिर को नीचा किया जाता है और गर्म हर्बल तेल को धीरे-धीरे नाक के छिद्रों में डाला जाता है। माइग्रेन और इनसोम्निया के इलाज में भी यह कारगर है।
उदवर्तनम
त्वचा को मुलायम बनाने और कांतिवान रखने में यह थेरेपी सहायक है। इससे मांसपेशियां सुदृढ़ बनती हैं और मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया भी सरल हो जाती है। यह मूल रूप से आयुर्वेदिक स्क्रब है, जो न केवल रक्त संचार को सुधारता है, बल्कि जोड़ों के दर्द को ठीक करता है और कुछ त्वचा रोगों को ठीक करने में भी सहायक साबित हुआ है। इस थेरेपी में पहले हर्बल पेस्ट लगाया जाता है, इसके बाद मसाज की जाती है और अंत में गर्म स्नान। जो लोग मोटापा कम करने के इच्छुक हैं, उनके लिए भी उदवर्तनम लाभकारी है।
पिंड स्वेद
दशकों पुरानी आयुर्वेद परंपरा से इस मसाज को ग्रहण किया गया है, जिसे दो थेरेपिस्ट मिलकर करते हैं। यह आम दर्द को ठीक करने के साथ ही रक्त संचार में भी बढ़ोत्तरी करती है। आर्थ्राइटिस, पीठ दर्द, जोड़ों के दर्द, अस्थमा और अकड़न की स्थिति में सुधार लाती है। पोटलियों में आयुर्वेदिक मसाले और हाथ से चुनी गई जड़ी- बूटी होती हैं, जिन्हें गर्म तेल में डुबोकर शरीर पर लगाने से गर्माहट मिलती है और दर्द से राहत भी। विशेष बिंदुओं पर जकड़न में यह बेहद प्रभावकारी है और लचीलापन भी बढ़ाती है। विशेष स्पर्श और तकनीक का प्रयोग करते हुए हर्बल तेल को शरीर पर रगड़ा जाता है। पिंड स्वेद मसाज आपके शरीर की सफाई, डिटॉक्सीफाई और पोषण प्रदान करते हुए मांसपेशियों के लचीलेपन को सुधारती है।

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