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शर्मिंदा तो नहीं करती खुजली की आदत!

खुजली की समस्या हमें बेचैन कर देती है। अगर आपको कुछ लोगों के बीच खुजली होने लगे तो शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। इससे बचाव के बारे में श्री बालाजी एक्शन इंस्टीटय़ूट के त्वचा विशेषज्ञ डॉं निपुन जैन...

शर्मिंदा तो नहीं करती खुजली की आदत!
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Jul 2015 12:18 PM
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खुजली की समस्या हमें बेचैन कर देती है। अगर आपको कुछ लोगों के बीच खुजली होने लगे तो शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। इससे बचाव के बारे में श्री बालाजी एक्शन इंस्टीटय़ूट के त्वचा विशेषज्ञ डॉं निपुन जैन से बातचीत कर बता रही हैं विनिता झा

हमारी त्वचा को कई तरह के संक्रमणों का सामना करना पड़ता है। एक्जिमा उनमें से एक है। एक्जिमा होने के अलग-अलग कारण होते हैं। शरीर में इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी के चलते खुजली हो जाती है तो कोई कहता है कि सरकाप्ट्स नामक परजीवी के कारण खुजली होने लगती है। एक्जिमा रोग शरीर की त्वचा को प्रभावित करता है। यह एक बहुत ही कष्टदायक रोग है, जो पूरे शरीर में हो सकता है। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन शरीर में तकलीफ होने से आपकी दिनचर्या पर बुरा असर पड़ता है।

एक्जिमा के कारण
एक्जिमा के कई कारणों में से एक यह भी हो सकता है कि आजकल लोग एलर्जी पहुंचाने वाले तत्वों के संपर्क में अधिक आने लगे हैं। घर में धूल और ऑफिस में अन्य रासायनिक उत्पादों के कारण भी ऐसा देखा जा रहा है। इतना ही नहीं, पिछले कुछ दशकों में पर्यावरण और वातावरण में आए बदलावों के कारण भी कुछ लोगों को एक्जिमा की शिकायत होने लगी है। घरों में सफाई के लिए प्रयोग होने वाले पदार्थों का अधिक इस्तेमाल, घोल, डिटर्जेट, तेल और अन्य सामान, जो त्वचा के लिए हानिकारक हो सकते हैं, आदि भी एक्जिमा का कारण हो सकते हैं।

कई प्रकार का एक्जिमा
एक्जिमा कई प्रकार का होता है। किसी व्यक्ति को किसी चीज से एलर्जी हो सकती है तो उसे उससे एक्जिमा हो सकता है। हो सकता है कि किसी दूसरे व्यक्ति पर इसका प्रभाव न पड़े।

एटपिक एक्जिमा
एक्जिमा का यह प्रकार निरंतर आता और जाता रहता है। यह आमतौर पर उन लोगों को होता है, जिनमें एलर्जी के लिए एक आनुवंशिक प्रवृत्ति है। यह एक्जिमा जीवन के प्रारंभिक दिनों में, आम तौर पर 2 महीने से 18 महीने के बीच की आयु के शिशुओं में उभरता है। शिशुओं में एटपिक एक्जिमा मुख्यत: चेहरे, गर्दन, कान और धड़ को प्रभावित करता है। यह पैरों के शीर्ष या कोहनियों के आगे भी दिखाई देता है। बड़े बच्चों, किशोरों और वयस्कों में एटपिक एक्जिमा आमतौर पर कोहनी के अंदर वाले मोड़ की शिकन, घुटने, टखने या कलाई के जोड़ों, हाथों और ऊपरी पलकों में भी उत्पन्न हो सकता है।

जिरोसिस एक्जिमा
इसमें त्वचा काफी ड्राई हो जाती है। यह सभी उम्र के लोगों को होता है, खासकर वृद्धावस्था में होता है। इसकी सर्दी में होने की आशंका सबसे अधिक रहती है, क्योंकि सर्दी में त्वचा सबसे अधिक रूखी व सूखी रहती है।

कैसे दिखते हैं लक्षण
शरीर पर जलन तथा खुजली होने लगती है। रात के समय इस रोग का प्रकोप और भी अधिक हो जाता है।
प्रभावित भाग से कभी-कभी अधिक पानी बहने लगता है और त्वचा भी सख्त होकर फटने लगती है।
एक्जिमा खुश्क होता है, जिसके कारण शरीर की त्वचा खुरदरी तथा मोटी हो जाती है और त्वचा पर अधिक तेज खुजली होने लगती है।

अपनाएं घरेलू उपचार
पीडित व्यक्ति को सुबह के समय धूप में बैठ कर शरीर की सिंकाई करनी चाहिए तथा शरीर के एक्जिमा ग्रस्त भाग पर कम-से-कम 2-3 बार स्थानीय मिट्टी की पट्टी का लेप लगाना चाहिए। जब रोगग्रस्त भाग पर अधिक तनाव या दर्द हो रहा हो तो उस भाग पर भाप तथा गर्म-ठंडा सेंक करना चाहिए।
गुनगुने पानी से नहाएं और तुरन्त बाद किसी मॉइस्चराइजर या क्रीम का उपयोग न करते हुए ऑलिव ऑयल यानी जैतून के तेल का इस्तेमाल करें।
नारियल का तेल भी फायदेमंद होता है। इससे ड्राईनेस नहीं होती और खुजली भी बंद हो जाती है।
तुरंत राहत के लिए देशी घी लगा लें।

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