गर्भावस्था में सूजन बन न जाए घातक
गर्भावस्था में शरीर में सूजन आ जाना आम समस्या मानी जाती है और इसके इलाज के बारे में सोचा ही नहीं जाता है। पर सूजन की समस्या को मामूली मानना गलत है, इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। बता रही हैं चयनिका...
गर्भावस्था में शरीर में सूजन आ जाना आम समस्या मानी जाती है और इसके इलाज के बारे में सोचा ही नहीं जाता है। पर सूजन की समस्या को मामूली मानना गलत है, इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। बता रही हैं चयनिका निगम
‘अरे सूजन तो गर्भ में लड़का होने की निशानी है। इसकी चिंता मत करो।’ दो महीने बाद मां बनने वाली गरिमा को गांव से आई ताई जी ने यही सुझाव दिया था। पर गर्भावस्था में आई सूजन को ऐसी आधारहीन बातों से जोड़ा जाना बिल्कुल गलत है। अगर डॉंक्टरी सलाह न ली जाए तो यह सूजन मां और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकती है। इसका कारण पोषक तत्वों की कमी के साथ दूसरी शारीरिक कमियां होती हैं।
क्या हैं वजहें
गर्भावस्था के दौरान सूजन की एक प्रमुख वजह एनीमिया हो सकती है। इसके साथ प्रोटीन की कमी, उच्च रक्तचाप, गलत डाइट और ज्यादा उल्टियां आना भी इसका कारण हो सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान सूजन का सबसे आम कारण बढ़ते बच्चे के वजन का नसों पर प्रभाव होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और सूजन बढ़ने लगती है।
दिमाग पर भी आ सकती है सूजन
सूजन सिर्फ चलने-फिरने में दिक्कत ही नहीं देती है। अगर सूजन बहुत ज्यादा हो और इस मामले में डॉंक्टरी सलाह न ली जाए तो दिमाग पर भी सूजन आ सकती है। इसकी वजह होती है रक्तचाप का बढ़ना। इसमें मिर्गी जैसे झटके आ सकते हैं। गर्भवती महिला गिर सकती है और गिरने की वजह से गर्भ और महिला दोनों को ही बड़ा नुकसान हो सकता है। इतना ही नहीं मस्तिष्क के भीतर ब्लीडिंग भी हो सकती है।
एक घंटे का आराम जरूरी
गर्भावस्था में सूजन से बचने का एक तरीका दिनभर में एक घंटे की नींद में भी तलाशा जा सकता है। अकसर कामकाजी गर्भवती महिलाओं को सही आराम नहीं मिल पाता है। सूजन से बचने के लिए जरूरी है कि आप ऑफिस में भी आरामदायक कुर्सी में बैठें और पैर को स्टूल के ऊपर रखें। जितना पैर लटकाने से बचें, उतना अच्छा।
चाहिए ज्यादा पोषण
आमतौर पर हर किसी को वजन के बराबर उतने ही ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। पर गर्भावस्था के दौरान इसकी जरूरत 15 ग्राम और बढ़ जाती है। मतलब आपका वजन 50 किलो है तो हर दिन आपको 65 ग्राम प्रोटीन की जरूरत है। इस बात का ध्यान रखकर प्रोटीन की कमी से होने वाली सूजन से बचा जा सकता है। इसके अलावा कैल्शियम की मात्रा भी गर्भावस्था में 1200 मिलीग्राम तक होनी चाहिए। साथ में अगर बीपी ज्यादा रहता है तो नमक कम करने में ही समझदारी होगी।
डॉक्टरी सलाह है जरूरी
वैसे तो अब हर महिला गर्भावस्था के दौरान डॉंक्टरी सलाह लेती है। पर सेहतमंद प्रेग्नेंसी के लिए बच्चे की प्लानिंग के साथ ही डॉक्टरी सलाह लें। इससे प्रेगनेंसी के दौरान हो सकने वाली दिक्कतों का इलाज डॉक्टर पहले ही कर देगी, जिससे नौ महीनों में कोई बड़ी दिक्कत होने की आशंका कम हो जाएगी। जैसे गर्भावस्था में जिन पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, उन्हें पहले ही पूरा कर लिया जाएगा।
इन्हें भी अपनाएं
माना जाता है कि गाढ़े हरे रंग के बंद गोभी के पत्तों को सूजन वाली जगह पर लपेटने से आराम मिलता है। पत्तों को धोएं नहीं, बल्कि सिर्फ गंदगी साफ करके इन्हें फ्रिज में ठंडा होने को रख दें। कुछ पत्तों को इस्तेमाल करने के बाद दूसरे ठंडे पत्ते लगाएं।
सूजन कम करने का एक तरीका गेंहू की घास के जूस में छिपा है। इस जूस का सेवन दिन में दो बार चार चम्मच से आधे कप तक किया जा सकता है। पर हां, इसे पहले तीन महीनों के बाद ही इस्तेमाल करना चाहिए।
(गाइनेकोलॉजिस्ट डॉं. शिवानी बाजपेई, डाइटीशियन डॉ. निरुपमा सिंह और आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. एस.के. आर्या से बातचीत पर आधारित)