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कुछ वक्त अपने साथ भी गुजारें

आज तक आप सबके लिए और सब काम के लिए वक्त निकालती आ रही हैं। अब खुद के लिए भी वक्त निकालना सीखिए, बता रही हैं प्रतिमा पांडेय बात छोटी सी है, लेकिन इसकी शुरुआत हम कुछ उदाहरणों से करते हैं। पड़ोस में...

कुछ वक्त अपने साथ भी गुजारें
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 17 Apr 2015 12:26 PM
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आज तक आप सबके लिए और सब काम के लिए वक्त निकालती आ रही हैं। अब खुद के लिए भी वक्त निकालना सीखिए, बता रही हैं प्रतिमा पांडेय

बात छोटी सी है, लेकिन इसकी शुरुआत हम कुछ उदाहरणों से करते हैं। पड़ोस में रहने वाली मैडम की तारीफ इसलिए होती है कि वो जाड़ा हो या गर्मी बिना चूके सुबह-सवेरे मंदिर जरूर जाती हैं। ऑफिस में साथ काम करने वाली ग्रुप में इसलिए फेमस हैं कि वह चाहे कितना भी थक जाएं, रात का एक विशेष सीरियल जरूर देखती हैं। घर-परिवार को पूरी तरह समर्पित बड़ी भाभी का मजाक बनता है, तो बस एक ही बात पर, उनके पार्लर प्रेम को लेकर।

ऐसा अकसर होता है कि मां, भाभी, बड़ी बहन या घरेलू जीवन में रची-बसी ऐसी ही किसी महिला की किसी एक आदत पर हम विस्मित होते हैं। पर, अगर गौर करें, तो वही आदत उनके होने की पहचान होती है। उन्हें पता ही नहीं होता कि दरअसल उनकी यह आदत उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितनी जरूरी है। वे अनजाने ही इस आदत को बनाती हैं और खुश रहती हैं। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉं. नीलिमा पांडेय के अनुसार, ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं। आमतौर पर इस ‘अपने वक्त (मी टाइम)’ की जरूरत हमें भी है, हम महिलाएं समझ ही नहीं पातीं। नतीजा होता है एक अनजाना, अनचाहा तनाव। यह आपके मन और शरीर दोनों को प्रभावित करता है। आपके रिश्ते प्रभावित होते हैं। एक घर-परिवार वाली महिला होते हुए ‘अपने लिए वक्त’ की बात करना स्वार्थी होना नहीं है, ना ही मौज-मस्ती के स्वभाव का संकेत। ये तो एक जरूरत है, जिसे किसी न किसी बहाने से आप भी पूरा कीजिए। 

अपने साथ हो बस चाय
आपको एक लोकप्रिय कॉफी ब्रांड का वो विज्ञापन तो याद ही होगा, जिसमें वह स्वावलंबी सी लगती लड़की, सुबह उठकर खिड़की खोलकर हाथ में कॉफी का प्याला लिए मुस्कुराती हुई प्रकृति निहारती है, अकेले चुपचाप। अब माना कि आपके पास वैसी खिड़की और आसपास प्रकृति की छटा नहीं है, तो भी चाय या कॉफी का प्याला तो है ही। तो सुबह-सवेरे अपने लिए एक प्याला चाय बनाइए और चुपचाप पांच मिनट कही शांत कोने में बैठकर उसका लुत्फ लीजिए। आपकी दिनचर्या इससे प्रभावित नहीं होगी। चाय के हर घूंट का आनंद लें। चाय या कॉफी की जगह आपका नीबू पानी, शहद पानी या ऐसा ही कुछ भी हो सकता है। पर इस तरह आप पूरे दिन का तनाव झेलने के लिए मन को तरोताजा कर चुकी होंगी।

कुदरत का नजारा
रात हो गई है। किचन की खिड़की के बार शाल्मली के पेड़ की टहनियों के पीछे से थाली जैसा गोल दूधिया चांद रोशनी बिखेर रहा है। आपने उसे एक बार देखा और फिर अपने काम में लग गईं। पर जीवन में काम तो खत्म होंगे नहीं। तो क्यों न एक बार नजर भर कर इस नजारे को देखिए और उसकी सुंदरता को सराहिए। वक्त ज्यादा नहीं लगा, पर मन खुश हो जाएगा।

मन भज ले हरि का प्यारा नाम
घर और ऑफिस संभालने वाली महिलाओं के लिए पूजा के लिए समय निकालना सबसे कठिन काम होता है। अगर आप भी इस आदत की शिकार हैं, तो इसके लाभों के बारे में जान लीजिए, फिर विचार कीजिए। पूजा-पाठ के दौरान लगभग पंद्रह मिनट तक आप जीवन की बाकी चिंताओं से दूर रहती हैं। इस तरह दिमाग कुछ देर के लिए चैन पाता है। बस, यही तो चाहिए। इसीलिए कहते हैं कि भगवान भजन करो, लाभ होगा।

किताब और योगा का सहारा
अपने लिए वक्त निकालने का एक बढिया तरीका कोई एक हॉबी भी हो सकती है। किताब पढ़ना, दोपहर में अखबार पढ़ना, शाम को बीस मिनट का योग करना आदि इसमें से कुछ भी आपको अपने लिए थोड़ा वक्त मुहैया करा देगा। शुरुआत में हो सकता है दिनचर्या थोड़ी अस्त-व्यस्त हो, लेकिन एक बार यह शुरू हो गया, तो फिर चल निकलेगा।

ब्यूटी पार्लर सिर्फ शौक नहीं
पार्लर जाना खर्चे की बात तो है। लेकिन महीने में एकाध बार पार्लर जाना इतना भी खर्चीला साबित नहीं होगा। पार्लर में केवल फैशन ही नहीं होता, वहां आपको थोड़ी देखरेख मिलती है और शांति से बैठने के कुछ पल भी।

इन सारी बातों के लिए वक्त निकालना एक मुश्किल काम हो सकता है। लेकिन जब आप लगातार काम करके अपने लिए थोड़ा वक्त निकालेंगी, तो यह आपको निराश नहीं करेगा। बल्कि आपके हर दिन की प्रेरणा की तरह काम करेगा।

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