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ब्रिक्स, शंघाई सम्मेलन के लिए आज रूस पहुंचेंगे मोदी, शरीफ-जिनपिंग से हो सकती है मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तीन दिन की यात्रा पर बुधवार को उफा शहर पहुंचेंगे। इस दौरान उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और चीन के...

ब्रिक्स, शंघाई सम्मेलन के लिए आज रूस पहुंचेंगे मोदी, शरीफ-जिनपिंग से हो सकती है मुलाकात
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 08 Jul 2015 10:39 AM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तीन दिन की यात्रा पर बुधवार को उफा शहर पहुंचेंगे। इस दौरान उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात हो सकती है।

नौ-दस जुलाई तक चलने वाले इस एससीओ सम्मेलन में भारत को इस संगठन की सदस्यता दिए की घोषणा हो सकती है। रूस के रूसी राष्ट्रपति के सहायक यूरी उसाकोव ने कहा कि भारत को सदस्यता देने की प्रक्रिया अगले साल तक पूरी होगी। साथ ही पाकिस्तान को भी इसकी सदस्यता दी जाएगी। एशिया द्वारा प्राचीन रेशम मार्ग को बहाल करने के प्रयासों का जिक्र करते हुए उसाकोव ने आगाह किया, हमें इतिहास के सबक को नहीं भूलना चाहिए।

भारत और मध्य एशिया के संबंध नई ऊंचाइयों को छुएंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य एशिया दौरे के दूसरे चरण में मंगलवार को कजाकिस्तान पहुंचे। मोदी ने यहां नजरबायेव विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और मध्य एशिया के संबंध नई ऊंचाइयों को छुएंगे, लेकिन यह सदी तभी एशिया की होगी, जब एशियाई देश एकजुट होंगे।

उन्होंने विश्वविद्यालय में इंडिया-कजाकिस्तान सेंटर फॉर एक्सीलेंस ऑफ आईटी टेक्नोलॉजी केंद्र का भी उद्घाटन किया। मोदी ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की 2002 की कजाकिस्तान यात्रा का जिक्र किया, जब उन्होंने नए रेशम मार्ग को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया था। मोदी ने कहा कि अब 21वीं सदी के सिल्क रूट को आगे बढ़ाने का वक्त आ गया है।

उल्लेखनीय है कि कजाकिस्तान प्राचीन रेशम मार्ग का भी एक प्रमुख केंद्र रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत पाकिस्तान, अफगानिस्तान से गुजर कर मध्य एशिया जाने वाले पारंपरिक रेशम मार्ग को बहाल कर सकेगा। प्रधानमंत्री ने उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर भी जोर दिया ताकि भारत की ऊर्जा से संपन्न मध्य एशियाई देशों तक सीधी पहुंच बन सके। इसके लिए तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के बीच गैस पाइपलाइन पर समझौते से विश्वास हासिल किया जा सकता है।

इससे पहले अस्ताना पहुंचने पर मोदी ने ट्वीट कर गर्मजोशी से भरे स्वागत के लिए कजाकिस्तान के पीएम करीम मासीमोव को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के प्राचीन सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत बनाने की बात कही। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी, पारंपरिक औषधि, अंतरिक्ष, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं को सामने रखा।

उन्होंने आतंकवाद और ड्रग तस्करी के खतरे से निपटने के लिए रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने अपने भाषण के अंत में स्थानीय कवि अर्ब्दुरहीम कुर की पंक्तियों का भी उल्लेख किया। मोदी ने कहा, भारत एशिया के भू और जल मार्गों के चौराहे पर है और वह भूमि और समुद्री मार्ग के जरिये पूरब और पश्चिम से जोड़ने के कार्य को प्राथमिकता की तरह लेगा।

सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता में कजाकिस्तान की मदद करेगा भारत
मोदी ने कहा कि कजाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जिम्मेदारी भरा रवैया अपनाया है। उन्होंने याद दिलाया कि 2012 में भारत को सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता दिलाने में कजाकिस्तान ने अहम भूमिका निभाई थी। मोदी ने आश्वासन दिया कि 2017-18 के लिए भारत कजाकिस्तान की उम्मीदवारी का पूर्ण समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि अश्काबाद करार और तापी समझौते के जरिये मध्य एशिया के साथ व्यापारिक संबंधों को मजूबत किया जाएगा।

कारोबारियों से मिले मोदी
मोदी ने कजाकिस्तान की कई कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की। उन्होंने खनिज संसाधनों से संपन्न कजाकिस्तान के कारोबारियों को भारत आकर निर्माण करने के कार्यक्रम मेक इन इंडिया में भागीदारी का प्रस्ताव दिया। मोदी ने ओएनजीसी की ओर से कजाकिस्तान में शुरू हुए पहले तेल कुएं की ड्रिलिंग का शुभारंभ किया। इस ब्लाक में भारतीय कंपनी 40 करोड़ डालर निवेश कर रही है।

तरक्की के साथ भारतीय भाषाएं भी दुनिया में छाएंगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक विकास पर जोर देते हुए कहा है कि आर्थिक संपन्न देशों की भाषा के पंख भी बड़े तेज हो जाते हैं और आने वाले दिनों में भारतीय भाषाओं के साथ भी ऐसा होगा। उन्होंने आगाह किया कि जो देश अपनी भाषा को बचाता है, वह अपने देश के भविष्य को तो ताकतवर बनाता है।

मोदी ने उज्बेकिस्तान यात्रा के आखिरी चरण में विद्वानों, छात्रों और भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, जिन देशों में आर्थिक समद्धि होती है, वहां की भाषाएं भी सारी दुनिया सीखना चाहती है, क्योंकि इससे कारोबार में आसानी होती है। आने वाले समय में भारत की भाषाओं का महत्व भी बढ़ने वाला है क्योंकि भारत जैसे-जैसे आगे जाएगा, उसकी भाषाओं का महत्व बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत उज्बेगी भाषा में अभिवादन के लिए प्रयोग होने वाले शब्द के साथ की।मोदी ने उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री शवकत मिरोमोनोविच मिर्जियोयेव और भारतविद रखमानोव के साथ पहले हिंदी-उज्बेगी शब्दकोश का विमोचन भी किया। उन्होंने हैरानी जताई कि उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव और प्रधानमंत्री मिर्जियोयेव को भारतीय गानों की गहरी जानकारी है। मोदी ने कहा, भारत की तरह उज्बेकिस्तान की भाषा में भी तरबूज कहा जाता है। यहां तंबूर बजाया जाता है और भारत में तानपुरा बजाया जाता है। यहां नक्कारे बजाए जाते हैं, हमारे यहां नगाड़ा बजाया जाता है।

मोदी ने ताशकंद में शास्त्री को दी श्रद्धांजलि
कजाकिस्तान रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने ताशकंद में शास्त्री मार्ग जाकर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। शास्त्रीजी को श्रद्धांजलि देने के बाद मोदी ने ट्वीट किया, भारत के गौरवशाली सपूत को श्रद्धांजलि दे रहा हूं, प्रेरणादायक लाल बहादुर शास्त्रीजी। उल्लेखनीय है कि ताशकंद में ही 1966 में शास्त्री का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। तब वह तत्कालीन रूस की सरकारी यात्रा पर वहां गए थे। शास्त्री ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद पदभार संभाला था।

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