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संयुक्त राष्ट्र में भारत ने उठाया धार्मिक कट्टरता का मुद्दा

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि युवाओं को हिंसक कप्तरता की ओर आकर्षित होने से रोकने के लिए सभी देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके देश के सोशल मीडिया में द्वेषपूर्ण भाषणों का...

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने उठाया धार्मिक कट्टरता का मुद्दा
एजेंसीFri, 24 Apr 2015 06:17 PM
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि युवाओं को हिंसक कप्तरता की ओर आकर्षित होने से रोकने के लिए सभी देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके देश के सोशल मीडिया में द्वेषपूर्ण भाषणों का प्रचार-प्रसार न हो।

संयुक्त राष्ट्र में 'हिंसक कप्तरपंथ से मुकाबले में युवाओं की भूमिका' विषय पर आयोजित परिचर्चा में भाग लेते हुए उप-स्थायी प्रतिनिधि भगवंत सिंह बिश्नोई ने कहा कि धार्मिक कप्तरता युवाओं में हिंसक चरमपंथ की आग धधकाती है और कुछ युवा उस ओर आकर्षित हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रों की जिम्मेदारी है कि वे आतंकवाद का मुकाबला करें। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शिक्षा युवाओं को कप्तरपंथ से दूर रख सकती है। बिश्नोई ने कहा कि शिक्षा से सहिष्णुता को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए उन्होंने उन भारतीय किताबों का उदाहरण दिया जो देश की समृद्ध विविधता को परिलक्षित करती हैं।

प्रतीकात्मक रूप से युवाओं को समर्पित इस सत्र की अध्यक्षता जॉर्डन के 20 वर्षीय राजकुमार अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय ने की। वह परिषद के किसी सत्र की अध्यक्षता करने वाले सबसे युवा व्यक्ति बन गए हैं।

अब्दुल्ला ने कहा कि युवाओं के खून से आतंकवाद को सींचा जाना रोकने के लिए हमें जल्द से जल्द कदम उठाने होंगे। सेना और चरमपंथी आतंकवादी समूहों के लिए युवा भर्ती का प्राथमिक लक्ष्य होते हैं, फिर चाहे वे स्वेच्छा से शामिल हों या मजबूरन।

नाइजीरिया के चिबोक इलाके से आतंकवादी संगठन बोको हरम द्वारा लड़कियों को अपहृत करने की एक साल पुरानी घटना और हाल ही में केन्या के एक कॉलेज में हुए हमले को याद करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने कहा कि हम बारंबार देखते हैं कि हिसक कप्तरपंथ का खामियाजा अक्सर युवाओं को भुगतना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि युवा आशा का प्रतिनिधित्व करते हैं न कि जोखिम का। युवाओं में आदर्शवाद और रचनात्मकता है और ऐसे अनगिनत युवा समूह हैं जो शांति चाहते हैं न कि युद्ध। इसीलिए युवाओं को निर्णय प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर देना चाहिए।

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