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फिल्म रिव्यू: किक

सुपरस्टार सलमान खान की नई फिल्म ‘किक’ के बारे में कुछ भी कहने से पहले जरा एक नजर हिन्दी फिल्मों के एक रटे-रटाए डायलॉग पर डाली जाए। गंभीर भाव के साथ सवाल पूछती एक किरदार की आंखें- तुमने...

फिल्म रिव्यू: किक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 26 Jul 2014 09:44 AM
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सुपरस्टार सलमान खान की नई फिल्म ‘किक’ के बारे में कुछ भी कहने से पहले जरा एक नजर हिन्दी फिल्मों के एक रटे-रटाए डायलॉग पर डाली जाए। गंभीर भाव के साथ सवाल पूछती एक किरदार की आंखें- तुमने ऐसा क्यों किया? क्या सिर्फ पैसों की खातिर तुम बुरे इंसान बने। ऐसा करने से पहले तुमने एक बार भी नहीं सोचा? बुलंद आवाज में जवाब देता दूसरा किरदार-हां, मैं बुरा हूं। बुरा इंसान हूं मैं। लेकिन मैंने बुराई का दामन थामा बुरे लोगों को खत्म करने के लिए। मैं बुरा बना, ताकि बेसहारा लोगों के काम आ सकूं। उन्हें न्याय दिला सकूं। उनकी मदद कर सकूं। अगर ये सब गुनाह है तो जमाना चढ़ा दे मुझे सूली पे।  (तालियां..) ऐसी पंक्तियां न जाने कितनी बार कही-सुनी गयी हैं। अगर आपके बुरे काम में नेकी छिपी है तो आप कुछ भी गलत नहीं कर रहे हैं। बतौर निर्देशक साजिद नाडियाडवाला की पहली फिल्म ‘किक’ में भी कुछ ऐसी ही बातें छिपी हैं, जिन्हें सलमान स्टाइल में पेश किया गया है।

फिल्म की कहानी इंटरवल से शुरू करते हैं, क्योंकि इससे पहले की फिल्म सिर्फ किरदारों के परिचय और नाच-गाने में गुजरी है। मनमौजी टाइप के देवी लाल सिंह (सलमान खान) को ऊटपटांग कार्यों से किक मिलती है। एक अजीब-सी मुलाकात के बाद शायना (जैक्लीन फर्नाडिस) उससे प्यार कर बैठती है। एक दिन देवी लाल शायना को बिना कुछ बताए एक साल के लिए गायब हो जाता है। इस बीच शायना की जिंदगी में एक पुलिस इंस्पेक्टर हिमांशु त्यागी (रणदीप हुड्डा) आ जाता है, जिसे एक मुजरिम डेविल (सलमान खान) की तलाश है। अचानक देवी लाल वापस शायना की जिंदगी में आ जाता है, लेकिन एक मरीज बन कर, जिसकी याददाश्त आती-जाती रहती है। किसी को भनक तक नहीं लगती कि देवी लाल ही डेविल है। वह यहां एक मकसद से आता है। उसे शिवम (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) नाम के एक समाजसेवी और दवा व्यापारी को लूटना है, जो गरीबों पर अत्याचार करता है। डेविल ऐसा क्यों करना चाहता है, इसके पीछे भी एक दुखभरी कहानी है। अंत में देवी लाल उर्फ डेविल, शिवम जैसे खतरनाक विलेन का खात्मा कर देता है। फिर भी शायना के दिल में सवाल उठता है कि आखिर देवी लाल डेविल क्यों बना।

इस राज से पर्दा हटाता है देवी लाल का पिता (मिथुन चक्रवर्ती)। वह शायना को बताता है कि देवी लाल गरीब और मासूम बच्चों के मुफ्त इलाज कराने के लिए डेविल बना है। यह बात जब हिमांशु को पता चलती है तो उसका दिल भी पसीज जाता है। दबी जबान में ही सही, वह भी डेविल का फैन हो जाता है। और पब्लिक को मिलता है बुरे काम करने वाला एक 100 फीसदी शुद्ध हीरो। फिर भी ‘किक’ को देखने के लिए उत्सुकता होगी, क्योंकि ये सलमान खान की फिल्म है। भले ही इसमें नवाजुद्दीन के रोल को बुरी तरह से नजरअंदाज किया गया हो, भले ही चेतन भगत और रजत अरोड़ा जैसे अच्छे लेखकों की कलम को कई समझौते करने पड़े हों। अब जब फिल्म में सलमान हैं तो जैक्लीन के बारे में कुछ लिखने का स्कोप कहां है!  फिर भी वह अपना ग्लैमर पक्ष ठीक से रखने में सफल रही हैं।

संजय मिश्र और सौरभ शुक्ला जैसे कलाकारों को भी दबा कर रखा गया है, क्योंकि ज्यादातर हल्के-फुल्के सीन्स भी सलमान के खाते में गये हैं। अब बात साजिद की। पहली फिल्म के रूप में साजिद ने मेहनत तो की है, पर उन पर भी सलमान का आभामंडल हावी दिखाई देता है। फिल्म में एक्शन अच्छा है। ‘धूम 3’ से काफी बेहतर। ‘किक’ सलमान की पिछली फिल्म ‘जय हो’ से बेहतर है, लेकिन ‘किक’ एक मुकम्मल एंटरटेनर नहीं है। यह कुछ हिस्सों में अच्छी है। सलमान फैन्स के लिए फिल्म में ढेरों किक हैं और एक आम दर्शक के लिए कुछ खास नया नहीं। फिर भी ‘किक’ बॉक्स ऑफिस के चिंतकों के लिए एक आशा की किरण है, जो ईद के मौके पर 200-300 करोड़ से कम क्या बटोरेगी!

कलाकार: सलमान खान, जैक्लीन फर्नाडिस, रणदीप हुड्डा, नवाजुद्दीन सिद्दिकी, मिथुन चक्रवर्ती, सौरभ शुक्ला, संजय मिश्र, विपिन शर्मा, अर्चना पूरण सिंह
निर्माता-निर्देशक: साजिद नाडियाडवाला
संगीत: हिमेश रेशमिया
गीत: कुमार और मयूर पुरी
पटकथा: साजिद नाडियाडवाला, चेतन भगत और रजत अरोड़ा

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